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कोरोना का बढ़ रहा खतरा,प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आए लोग

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना के संक्रमण के बीच एक बार फिर प्लाजमा थेरेपी से कोरोना मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है. ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो. तूलिका चंद्रा ने बताया कि, रविवार को संस्थान में आकर 9 लोगों ने आकर अपना प्लाज्मा डोनेट किया.

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Published : Apr 12, 2021, 9:22 AM IST

कोरोना
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लखनऊ: कोरोना संक्रमण को मात देने वाले लोग एक बार फिर आगे आकर अपना प्लाज्मा डोनोट कर रहे है. ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो. तूलिका चंद्रा ने बताया कि, रविवार को संस्थान में आकर 9 लोगों ने आकर अपना प्लाज्मा डोनेट किया. इसमें प्रियंका तिवारी, अमन अख्तर, विजय सिंह, प्रशांत सिंह, रिषभ मित्तल, डॉ. अर्पूव, अर्पित जैस, गुंजन और करमदीप सिंह शामिल है.

प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित
प्लास्माफेरेसिस की यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित एवं हानिरहित है. प्लाजमा डोनेट करने से पहले एचआईवी, हिमोग्लोबिन, मलेरिया, हिपेटाइटिस-बी, हिपेटाइटिस-सी सहित कई अन्य जांच कराई जाती है. ऐसे में कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हो चुके सभी लोगों से अपील की गई है कि वह आगे आए और प्लाजमा डोनेट कर कोरोना से ग्रसित मरीजों की जान बचाने में अपना सहयोग प्रदान करें. इसके अलावा जो लोग वैक्सीन लगवा चुके है वो लोग प्लाज्मा नहीं दे सकते है.

इसे भी पढ़ें- स्वास्थ्य विभाग की अपील, स्वस्थ हुए कोरोना मरीज करें प्लाज्मा डोनेट

क्या है प्लाजमा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के खून से प्लाज्मा लेकर कोरोना मरीजों का इलाज किया जाता है.आईसीएमआर ने भी कोरोना मरीजों का मरीजों का इलाज करने के लिए इस थेरेपी को मंजूरी दे दी है. इस विधि में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों का खून लिया जाता है फिर उसमें से एंटीबॉडीज युक्त प्लाजमा को अलग कर लिया जाता है. इसके बाद इस प्लाजमा को कोरोना मरीजों को दिया जाता है.

लखनऊ: कोरोना संक्रमण को मात देने वाले लोग एक बार फिर आगे आकर अपना प्लाज्मा डोनोट कर रहे है. ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो. तूलिका चंद्रा ने बताया कि, रविवार को संस्थान में आकर 9 लोगों ने आकर अपना प्लाज्मा डोनेट किया. इसमें प्रियंका तिवारी, अमन अख्तर, विजय सिंह, प्रशांत सिंह, रिषभ मित्तल, डॉ. अर्पूव, अर्पित जैस, गुंजन और करमदीप सिंह शामिल है.

प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित
प्लास्माफेरेसिस की यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित एवं हानिरहित है. प्लाजमा डोनेट करने से पहले एचआईवी, हिमोग्लोबिन, मलेरिया, हिपेटाइटिस-बी, हिपेटाइटिस-सी सहित कई अन्य जांच कराई जाती है. ऐसे में कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हो चुके सभी लोगों से अपील की गई है कि वह आगे आए और प्लाजमा डोनेट कर कोरोना से ग्रसित मरीजों की जान बचाने में अपना सहयोग प्रदान करें. इसके अलावा जो लोग वैक्सीन लगवा चुके है वो लोग प्लाज्मा नहीं दे सकते है.

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क्या है प्लाजमा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के खून से प्लाज्मा लेकर कोरोना मरीजों का इलाज किया जाता है.आईसीएमआर ने भी कोरोना मरीजों का मरीजों का इलाज करने के लिए इस थेरेपी को मंजूरी दे दी है. इस विधि में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों का खून लिया जाता है फिर उसमें से एंटीबॉडीज युक्त प्लाजमा को अलग कर लिया जाता है. इसके बाद इस प्लाजमा को कोरोना मरीजों को दिया जाता है.

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