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यूपी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में NEET के बिना एडमिशन पाने वाले 891 छात्र सस्पेंड

यूपी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में बिना NEET एडमिशन लिए 891 छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया है. वहीं, जिन कॉलेजों में दाखिले को लेकर हेराफेरी हुई है. उन सभी कॉलेजों पर सरकारी नोटिस चस्पा किया गया.

प्रतिकात्मक चित्र.
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Published : Nov 8, 2022, 3:08 PM IST

Updated : Nov 8, 2022, 3:43 PM IST

लखनऊ: यूपी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में एडमिशन मामले में बड़ा एक्शन हुआ है. बिना NEET एडमिशन लिए 891 छात्रों को निलंबित कर दिया गया है.

प्रदेश के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में बिना नीट (NEET) की परीक्षा दिए दाखिले का मामला जांच के लिए CBI को सौंपा गया. इस मामले में मंगलवार को यूपी आयुष में नीट (NEET) के बिना दाखिला पाने वाले 891 छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया हैं. वहीं, जिन कॉलेजों में दाखिले को लेकर हेराफेरी हुई है. उन सभी कॉलेजों पर सरकारी नोटिस चस्पा की गई है.

गौरतलब है कि बीते सोमवार को खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामला संज्ञान में लिया था. सभी सरकारी कॉलेजों के प्रधानाचार्य ने छात्रों को निलंबित कर दिया है. जबकि निजी कॉलेजों के छात्रों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई चल रही है. करीब 10 निजी कॉलेजों ने छात्रों को निलंबित करने की सूचना आयुष विभाग में भेज दी है जबकि अन्य की रिपोर्ट अभी तक कार्यालय नहीं पहुंची है. इन सभी छात्रों को हॉस्टल भी खाली करने के लिए कहा गया है.

ये है मामला
स्वास्थ्य निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार 8 राजकीय और 68 निजी आयुष कॉलेजों की कुल 7 हजार 338 सीटों के सापेक्ष 6 हजार 797 दाखिले हुए थे. कॉलेजों की 5 हजार 41 सीटें खाली रह गई थी. रिकॉर्ड के मुताबिक राजकीय और निजी कॉलेजों के आयुर्वेद पाठ्यक्रम में 5 हजार 512 सीटों के सापेक्ष कुल 5 हजार 117 दाखिले हुए थे. इसमें से 516 के रिकॉर्ड नीट (NEET) की मेरिट सूची से संदिग्ध पाएं गए. इसी तरह होम्योपैथ में 1 हजार 28 सीटों के सापेक्ष 946 दाखिले हुए थे. वहीं यूनानी की 798 सीटों के सापेक्ष 734 दाखिले लिए गए थे.

वहीं इस मामले में कार्यवाहक निदेशक, आयुर्वेद सेवाएं, प्रोफेसर डॉ. एस एन सिंह और उमाकांत यादव, प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय आयुर्वेद सेवाएं को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा डॉ. मोहम्मद वसीम, प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय और प्रो. विजय पुष्कर कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. आयुष विभाग की ओर से दो दिन पहले राजधानी लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था. शासन ने इसकी विवेचना यूपी एसटीएफ से कराने का निर्णय लिया गया था. अब कार्मिक मंत्रालय सीबीआई से इस मामले की जांच करने के लिए सिफारिश करने जा रहा है.

लखनऊ: यूपी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में एडमिशन मामले में बड़ा एक्शन हुआ है. बिना NEET एडमिशन लिए 891 छात्रों को निलंबित कर दिया गया है.

प्रदेश के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में बिना नीट (NEET) की परीक्षा दिए दाखिले का मामला जांच के लिए CBI को सौंपा गया. इस मामले में मंगलवार को यूपी आयुष में नीट (NEET) के बिना दाखिला पाने वाले 891 छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया हैं. वहीं, जिन कॉलेजों में दाखिले को लेकर हेराफेरी हुई है. उन सभी कॉलेजों पर सरकारी नोटिस चस्पा की गई है.

गौरतलब है कि बीते सोमवार को खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामला संज्ञान में लिया था. सभी सरकारी कॉलेजों के प्रधानाचार्य ने छात्रों को निलंबित कर दिया है. जबकि निजी कॉलेजों के छात्रों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई चल रही है. करीब 10 निजी कॉलेजों ने छात्रों को निलंबित करने की सूचना आयुष विभाग में भेज दी है जबकि अन्य की रिपोर्ट अभी तक कार्यालय नहीं पहुंची है. इन सभी छात्रों को हॉस्टल भी खाली करने के लिए कहा गया है.

ये है मामला
स्वास्थ्य निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार 8 राजकीय और 68 निजी आयुष कॉलेजों की कुल 7 हजार 338 सीटों के सापेक्ष 6 हजार 797 दाखिले हुए थे. कॉलेजों की 5 हजार 41 सीटें खाली रह गई थी. रिकॉर्ड के मुताबिक राजकीय और निजी कॉलेजों के आयुर्वेद पाठ्यक्रम में 5 हजार 512 सीटों के सापेक्ष कुल 5 हजार 117 दाखिले हुए थे. इसमें से 516 के रिकॉर्ड नीट (NEET) की मेरिट सूची से संदिग्ध पाएं गए. इसी तरह होम्योपैथ में 1 हजार 28 सीटों के सापेक्ष 946 दाखिले हुए थे. वहीं यूनानी की 798 सीटों के सापेक्ष 734 दाखिले लिए गए थे.

वहीं इस मामले में कार्यवाहक निदेशक, आयुर्वेद सेवाएं, प्रोफेसर डॉ. एस एन सिंह और उमाकांत यादव, प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय आयुर्वेद सेवाएं को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा डॉ. मोहम्मद वसीम, प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय और प्रो. विजय पुष्कर कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. आयुष विभाग की ओर से दो दिन पहले राजधानी लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था. शासन ने इसकी विवेचना यूपी एसटीएफ से कराने का निर्णय लिया गया था. अब कार्मिक मंत्रालय सीबीआई से इस मामले की जांच करने के लिए सिफारिश करने जा रहा है.

Last Updated : Nov 8, 2022, 3:43 PM IST
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