लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पॉलिटेक्निक संस्थानों में पढ़ने वाले करीब 8000 छात्र-छात्राओं को सेमेस्टर परीक्षा देने से रोक दिया गया है. यह फार्मेसी के छात्र हैं. इन छात्रों का कसूर केवल यह है कि उन्होंने कोरोना काल में कॉलेज छोड़कर जाने वाले छात्रों की जगह दाखिला लिया था.
निजी कॉलेज प्रबन्धतंत्र के प्रतिनिधियों के अनुसार कोरोना काल में काफी छात्र दाखिला लेने के बाद पढ़ने नहीं आए. उन्होंने उनकी फीस भी वापस कर दी. उनकी खाली जगह पर दूसरे योग्य विद्यार्थियों का दाखिला ले लिया. इसकी जानकारी संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद और प्राविधिक शिक्षा परिषद को भी दे दी गई थी. संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद और प्राविधिक शिक्षा परिषद की ओर से कहा गया कि ऐसे छात्रों को परीक्षा दिलाई जाएंगी. इसके बाद कॉलेजों में छात्रों की पढ़ाई शुरू हो गई.
इस बीच कॉलेज प्रबन्धतंत्र के प्रतिनिधि लगातार पैरवी करते रहे. हर बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद और प्राविधिक शिक्षा परिषद की ओर से यह कहा जाता रहा कि चिंता की कोई बात नहीं है. दाखिला हुआ है तो परीक्षा करा दी जाएगी. इस तरह प्रकरण लंबित रहा. पढ़ाई चलती रहीं. इस बीच प्राविधिक शिक्षा परिषद ने ऑनलाइन परीक्षा कार्यक्रम जारी कर दिया. इसके बाद कॉलेज प्रतिनिधियों ने भागदौड़ तेज कर दी. उनके अनुसार संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद लगातार आश्वासन देता रहा, लेकिन परीक्षा शुरू होने के पहले शनिवार शाम तक इन छात्रों के बारे में संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद ने कोई फैसला नहीं लिया.
इसे भी पढ़ें: कम हो रहा कोरोना का प्रकोप, प्रदेश में मिले 5 संक्रमित मरीज
कोर्ट के आदेश पर कुछ को मिली है अनुमति
कुछ छात्रों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की. इस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद उन छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है. कॉलेज प्रबंधतंत्र के प्रतिनिधियों का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर ही सभी छात्रों को प्रोविजनल परीक्षा में बैठने की अनुमति संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद दे, क्योंकि सभी छात्रों का प्रकरण एक ही है. उधर, विशेष सचिव प्राविधिक शिक्षा सुधीर चौधरी का कहना है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के पास जिन छात्रों का नाम है, उन्हें ही परीक्षा में बैठाया जाएगा. फार्मेसी के कॉलेज गलत दाखिला लेंगे, तो उसको परीक्षा में कैसे बैठने दिया जाएगा, जिनको कोर्ट ने अनुमति दी है उन्हें प्रोविजनल अनुमति दी गई है.