लखनऊ: सीएम योगी ने बताया कि 36 जिलों में सिंगल डिजिट में केस आये हैं. यूपी में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं. रविवार को यूपी में 3.10 लाख हुए कोविड-19 के टेस्ट में महज 1165 नए संक्रमित मरीज मिले हैं. जिसकी वजह से अब 71 जिलों में कोरोना कर्फ्यू में ढील दे दी गई हैं. वहीं, जिन चार जिलों में (लखनऊ, मेरठ, सहारनपुर, गोरखपुर) एक्टिव केस के मामले 600 से ज्यादा हैं. वहां अभी कोरोना कर्फ्यू जारी रहेगा. इन जिलों में ढील देने पर विचार मंगलवार को किया जाएगा. जिसके बाद पूरे उत्तर प्रदेश को कोरोना कर्फ्यू से निजात मिल जाएगी.
सीएम ने बताया कि प्रदेश में वायरस कमजोर हुआ है, लेकिन अभी तक खत्म नहीं हुआ है. थोड़ी भी लापरवाही बहुत भारी पड़ सकती है. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना हम सभी की जिम्मेदारी है. बीते 24 घंटे में पॉजिटिविटी दर 0.4 फीसदी रही, जबकि रिकवरी दर 96.7% हो चुकी है. उत्तर प्रदेश में अब तक 05 करोड़ 13 लाख से अधिक कोविड टेस्ट हो चुके हैं.
चार जिलों में जारी है कोरोना कर्फ्यू
जानकारी के मुताबिक राजधानी लखनऊ समेत जिन जिलों में 600 से अधिक मामले हैं, वहां भी कोरोना कर्फ्यू में ढील देने को लेकर मंगलवार को फैसला हो सकता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टीम 9 संग होने वाली बैठक में इस फैसला ले सकते हैं. दरअसल, इन चार जिलों के व्यापारियों ने कोरोना कर्फ्यू में ढील दिए जाने की गुहार सरकार से लगाई है. कहा जा रहा है कि इस तरह से एक्टिव केसों की संख्या कम हो रही है,उस हिसाब से देखें तो आने वाले तीन से चार दिनों में स्वतः इन जिलों में कोरोना कर्फ्यू से राहत मिल जाएगी.
सीएम ने टीम-9 के साथ बैठक में दिए निर्देश
● संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को और बेहतर करने की जरूरत है. हर एक पॉजिटिव केस की पुष्टि पर उसके संपर्क में आये न्यूनतम 15 लोगों तक ट्रेसिंग-ट्रेस्टिंग कराई जाए. मेरठ, लखनऊ, सहारनपुर और गोरखपुर जनपद की स्थिति पर सतत नजर रखी जा रही है. यहां कोरोना के मामले 600 से ज्यादा है. इन जिलों में कोरोना कर्फ्यू में ढील देने का विचार मंगलवार को किया जाएगा. कोरोना के कम होते संक्रमण दर के दृष्टिगत जिलों में कोरोना कर्फ्यू प्रभावी रखने के लिए 600 एक्टिव केस का मानक तय किया गया है.
● कोरोना से बचाव के लिए सभी प्रदेशवासियों के टीकाकरण की कार्रवाई तेजी से चल रहा है. अब तक 2 करोड़ प्रदेशवासियों ने टीका-कवर प्राप्त कर लिया है. 1,66,27,059 लोगों को पहली डोज और 36,27,433 लोगों ने दूसरी डोज दी जा चुकी है.वहीं, 18 से 44 आयु वर्ग के 30 लाख युवाओं को वैक्सीनेट किया जा चुका है.
● उत्तर प्रदेश की विशाल आबादी को देखते हुए हमें कोविड वैक्सीनेशन को और तेज करना होगा. जनपदवार रणनीति बनाई जाए. वैक्सीन का अभाव नहीं है. भारत सरकार के सौजन्य से कई नए वैक्सीन विकल्प भी जल्द ही उपलब्ध होंगे. जून में 1 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य है. जुलाई में इस लक्ष्य 3 गुना विस्तार किया जाएगा. इसके लिए 1 लाख अतिरिक्त वैक्सीनेटर तैयार किए जाएं. नर्सिंग के विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करें. साथ ही अन्य विकल्प भी तलाश किए जाएं.
● सीएमओ, डिप्टी सीएमओ और एडिशनल सीएमओ जैसे वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के चिकित्सकीय अनुभवों का लाभ लिया जाना चाहिए. यह सभी ओपीडी में सेवाएं देना सुनिश्चित करें. जिला अस्पताल/सीएचसी/पीएचसी में रोटेशन के साथ ओपीडी में सेवाएं दें. टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से लोगों को चिकित्सकीय परामर्श दें. इनका यह प्रयास अन्य चिकित्सकों के लिए प्रेरणादायी भी होगा. यह व्यवस्था तत्काल प्रभावी करा दी जाए.
● स्वास्थ्य विभाग के सभी अस्पतालों में सेवारत स्टाफ निर्धारित गणवेश में ही रहे. उनके गणवेश पर उनका नाम पर पद नाम अवश्य लिखा हो, ताकि मरीज और परिजनों को सुविधा हो. प्रत्येक दशा में चिकित्सकों से प्रशासनिक अथवा प्रबंधकीय कार्य न लिया जाए. इनकी तैनाती केवल चिकित्सकीय कार्य में ही होनी चाहिए.
● यह संतोषप्रद है कि कोरोना संक्रमण से हमारे गांव सुरक्षित रहे हैं. जो गांव कोरोना मुक्त हैं. वहां मनरेगा अंतर्गत गतिविधियां शुरू की जाएं. आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने जल संचय की महत्ता के दृष्टिगत 'कैच द रेन' अभियान शुरू किया है. इसे जनअभियान के रूप में विस्तार देते हुए गांवों में इस दिशा में विशेष प्रयास किए जाए. एक्सप्रेस-वे के किनारे पौधारोपण कराया जाए.
● ब्लैक फंगस के मरीजों के समुचित इलाज के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं. इसके इलाज में उपयोगी मानी जा रहे एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की आपूर्ति सुचारू कराई जा रही है. विशेषज्ञों ने दो और दवाओं का भी विकल्प दिया है. इनकी उपलब्धता यथाशीघ्र सुनिश्चित कराई जाए.
● सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जाए. सभी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड के पीआईसीयू स्थापित किये जाने हैं. इसके साथ 50 बेड का एनआईसीयू भी हों. इसी तरह जिला अस्पताल और सीएचसी स्तर पर भी मिनी पीकू स्थापित किए जा रहे हैं. सभी जिलाधिकारीगण इन कार्यों की सतत मॉनीटरिंग करें.
● प्रदेश के सभी जनपदों की सीएचसी और पीएचसी में उपकरणों की मरम्मत, क्रियाशीलता, परिसर की रंगाई-पुताई, स्वच्छता और मैन पावर की पर्याप्त उपलब्धता के संबंध में इस संबंध में जारी विशेष कार्रवाई तेज की जाए. जिसकी सतत मॉनिटरिंग हो.
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