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मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन

बेसिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में हाईकोर्ट के 13 मार्च के आदेश के तहत 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 शिक्षकों की चयन सूची रद्द कर दी गई है. इससे प्रभावित अभ्यर्थी राज्य सरकार पर पैरवी न करने का आरोप लगा रहे हैं. साथ ही जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. साथ ही महाआंदोलन की तैयार भी कर रहे हैं.

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Published : Mar 21, 2023, 4:21 PM IST

लखनऊ : 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले से प्रभावित दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों ने अपनी मांगों को लेकर अपना आंदोलन जमीनी स्तर पर तेज कर दिया है. अभ्यर्थी आगामी 27 मार्च को महा आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. वहीं इससे पहले अपनी मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधियों से मिलकर उनसे मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का आग्रह भी कर रहे हैं. अभ्यर्थियों के आग्रह पर कई जिलों के ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्यों ने मुख्यमंत्री को इस आशय में पत्र भी लिखा है. ज्ञात हो कि 13 मार्च को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 शिक्षकों की चयन सूची को रद्द कर दिया है. इसके बाद से अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.
मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.



अभ्यर्थियों ने आंदोलन के क्रम में वे अपनी पीड़ा को ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ब्लाॅक प्रमुख इत्यादि जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी मांग माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाने का कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया है. अभ्यर्थियों के पीड़ा सुनने के बाद भाजपा के ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत प्रमुख ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि आदेशों का पालन अधिकारियों ने ठीक प्रकार से नहीं किया. जिस कारण 69000 शिक्षकों भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी, एससी समाज के 6800 चयनित अभ्यर्थियों को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है. सदस्यों ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच का ऑर्डर भी अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है. अधिकारियों की लचर पैरवी के कारण 6800 की सूची कोर्ट में रद्द हो गई है. जबकि अभ्यर्थियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर (रामशरण मौर्य राघवेंद्र प्रताप सिंह) अधिकारियों को उपलब्ध कराया गया था. जिसे सिंगल बेंच में प्रस्तुत नहीं किया गया.

मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.
मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.

जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि हमने अभ्यर्थियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आर्डर आदि सिंगल बेंच के सामने ठीक प्रकार से प्रस्तुत कराए गए होते तो, इस तरह का आदेश सिंगल बेंच से नहीं आता और ना ही प्रक्रिया बाधित होती. हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछड़े व दलित समाज के अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त है अब वो खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. बता दें, यूपी में अखिलेश यादव की सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के समायोजन को कोर्ट ने रद्द कर दिया था और खाली हुए 1 लाख 26 हज़ार पदों पर भर्ती का आदेश दिया था. इस पर सरकार ने कहा कि इतनी बड़ी भर्ती एक साथ नहीं हो सकती है. इसलिए एक बार में 69 हज़ार और दूसरी बार 68 हजार सहायक शिक्षक भर्ती की जाएगी. यह शिक्षकों की भर्ती का पहला चरण है.

मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.
मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.



ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ल की एकल पीठ ने यह आदेश जारी किया है. कोर्ट में दर्ज याचिकाओं में चयन सूची को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि आरक्षित कैटेगरी के उन अभ्यर्थियों को भी अनारक्षित कैटेगरी में ही जगह दी गई है. जिन्होंने अनारक्षित वर्ग के लिए तय कट ऑफ मार्क्स प्राप्त किए हैं. दूसरी ओर अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को गलत तरीके से अनारक्षित वर्ग में रखा गया. जिन्होंने टीईटी व सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ ले लिया था. अदालत में कहा गया कि एक बार आरक्षण का लाभ दिए जाने के बाद अनारक्षित वर्ग में आरक्षित अभ्यर्थियों का चयन करना गलत है. वहीं दो याचिकाओं में 05 जनवरी, 2022 को आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की जारी चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना विज्ञापन के ही जारी किया गया था.


इसके बाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने भर्ती करते समय आरक्षण के नियमों का ठीक से पालन नहीं किया. ऐसे में सरकार 1 जून 2020 को जारी चयन सूची की समीक्षा करे. इस बार समीक्षा करते समय आरक्षण के नियमों का सही से पालन किया जाए. यह तय किया जाए कि कुल पदों के सापेक्ष आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न होने पाए. यह काम तीन महीने में पूरा कर लिया जाए. कोर्ट ने 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 शिक्षकों की चयन सूची को रद्द कर दिया है. यह निर्णय जस्टिस ओपी शुक्ला की बेंच ने 100 से अधिक याचिकाओं के एक साथ निस्तारित करते हुए सुनाया. इस भर्ती में पुराने चयनित लोग जो नौकरी कर रहे हैं, वे अभी काम करते रहेंगे. कोर्ट ने राज्‍य सरकार को 3 महीने का समय दिया है. ऐसे में 2 महीने के समय के बाद जब नई लिस्ट जारी होगी तब उसके बाद डिसीज़न होगा कि कितने लोगों को रखना है कितने को नहीं.

यह भी पढ़ें : कल देखा जाएगा माहे रमज़ान का चांद, बरकतों और रहमतों का है महीना

लखनऊ : 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले से प्रभावित दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों ने अपनी मांगों को लेकर अपना आंदोलन जमीनी स्तर पर तेज कर दिया है. अभ्यर्थी आगामी 27 मार्च को महा आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. वहीं इससे पहले अपनी मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधियों से मिलकर उनसे मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का आग्रह भी कर रहे हैं. अभ्यर्थियों के आग्रह पर कई जिलों के ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्यों ने मुख्यमंत्री को इस आशय में पत्र भी लिखा है. ज्ञात हो कि 13 मार्च को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 शिक्षकों की चयन सूची को रद्द कर दिया है. इसके बाद से अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.
मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.



अभ्यर्थियों ने आंदोलन के क्रम में वे अपनी पीड़ा को ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ब्लाॅक प्रमुख इत्यादि जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी मांग माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाने का कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया है. अभ्यर्थियों के पीड़ा सुनने के बाद भाजपा के ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत प्रमुख ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि आदेशों का पालन अधिकारियों ने ठीक प्रकार से नहीं किया. जिस कारण 69000 शिक्षकों भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी, एससी समाज के 6800 चयनित अभ्यर्थियों को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है. सदस्यों ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच का ऑर्डर भी अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है. अधिकारियों की लचर पैरवी के कारण 6800 की सूची कोर्ट में रद्द हो गई है. जबकि अभ्यर्थियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर (रामशरण मौर्य राघवेंद्र प्रताप सिंह) अधिकारियों को उपलब्ध कराया गया था. जिसे सिंगल बेंच में प्रस्तुत नहीं किया गया.

मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.
मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.

जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि हमने अभ्यर्थियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आर्डर आदि सिंगल बेंच के सामने ठीक प्रकार से प्रस्तुत कराए गए होते तो, इस तरह का आदेश सिंगल बेंच से नहीं आता और ना ही प्रक्रिया बाधित होती. हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछड़े व दलित समाज के अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त है अब वो खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. बता दें, यूपी में अखिलेश यादव की सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के समायोजन को कोर्ट ने रद्द कर दिया था और खाली हुए 1 लाख 26 हज़ार पदों पर भर्ती का आदेश दिया था. इस पर सरकार ने कहा कि इतनी बड़ी भर्ती एक साथ नहीं हो सकती है. इसलिए एक बार में 69 हज़ार और दूसरी बार 68 हजार सहायक शिक्षक भर्ती की जाएगी. यह शिक्षकों की भर्ती का पहला चरण है.

मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.
मुख्यमंत्री तक मांग पहुंचाने के लिए 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को मिला जनप्रतिनिधियों का समर्थन.



ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ल की एकल पीठ ने यह आदेश जारी किया है. कोर्ट में दर्ज याचिकाओं में चयन सूची को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि आरक्षित कैटेगरी के उन अभ्यर्थियों को भी अनारक्षित कैटेगरी में ही जगह दी गई है. जिन्होंने अनारक्षित वर्ग के लिए तय कट ऑफ मार्क्स प्राप्त किए हैं. दूसरी ओर अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को गलत तरीके से अनारक्षित वर्ग में रखा गया. जिन्होंने टीईटी व सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ ले लिया था. अदालत में कहा गया कि एक बार आरक्षण का लाभ दिए जाने के बाद अनारक्षित वर्ग में आरक्षित अभ्यर्थियों का चयन करना गलत है. वहीं दो याचिकाओं में 05 जनवरी, 2022 को आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की जारी चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना विज्ञापन के ही जारी किया गया था.


इसके बाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने भर्ती करते समय आरक्षण के नियमों का ठीक से पालन नहीं किया. ऐसे में सरकार 1 जून 2020 को जारी चयन सूची की समीक्षा करे. इस बार समीक्षा करते समय आरक्षण के नियमों का सही से पालन किया जाए. यह तय किया जाए कि कुल पदों के सापेक्ष आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न होने पाए. यह काम तीन महीने में पूरा कर लिया जाए. कोर्ट ने 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 शिक्षकों की चयन सूची को रद्द कर दिया है. यह निर्णय जस्टिस ओपी शुक्ला की बेंच ने 100 से अधिक याचिकाओं के एक साथ निस्तारित करते हुए सुनाया. इस भर्ती में पुराने चयनित लोग जो नौकरी कर रहे हैं, वे अभी काम करते रहेंगे. कोर्ट ने राज्‍य सरकार को 3 महीने का समय दिया है. ऐसे में 2 महीने के समय के बाद जब नई लिस्ट जारी होगी तब उसके बाद डिसीज़न होगा कि कितने लोगों को रखना है कितने को नहीं.

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