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69000 शिक्षक भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों को अभी तक नहीं कराया गया ब्रिज कोर्स, अब आएगा ऐसा संकट

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 23, 2023, 1:11 PM IST

Updated : Aug 23, 2023, 2:29 PM IST

प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बीएड प्रशिक्षितों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर करने के सुप्रीम आदेश के बाद 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल शिक्षकों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से बीएड पास अभ्यर्थियों के साथ अब 69000 शिक्षक भर्ती में नियुक्त हुए शिक्षकों की भी नौकरी संकट में आ सकती है.

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69000 शिक्षक भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों के सामने संकट. देखें खबर

लखनऊ : 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल शिक्षकों के सामने एक नई दुविधा खड़ी हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बीएड प्रशिक्षितों को बेसिक कक्षाओं (1 से 5) की भर्ती से बाहर करने के आदेश के बाद बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों में इस आदेश को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है. ऐसे में यह प्रदेश में आखिरी बार हुए बेसिक शिक्षा परिषद के 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल बीएड अभ्यर्थियों के सामने एक चुनौती खड़ी हो गई है. क्योंकि उनकी नियुक्ति के समय जारी विज्ञापन में यह कहा गया था कि प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5) में पाने के लिए बीएड अभ्यर्थियों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स कराया जाएगा. यह कोर्स उनकी नियुक्ति के 2 साल के अंदर पूरा हो जाना चाहिए, पर विभाग की आखिरी भर्ती को हुए दो साल से अधिक समय हो चुका है, पर इनका अभी तक ब्रिज कोर्स पूरा नहीं कराया गया है. ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया में जो अभ्यर्थी प्राथमिक विद्यालयों में नौकरी पाए हैं. उनके सामने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है.

ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.



सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्णय पर रोक लगाने के बाद से सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों पर देखने को मिल रहा है. 69000 शिक्षक भर्ती वर्ष 2018 में आयोजित की गई थी. 21 जून 2020 को 69000 अभ्यर्थियों की चयन सूची जारी की गई थी. तब सरकार ने कहा था कि बीएड डिग्री धारकों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स कराया जाएगा. यह कोर्स उन्हें नियुक्ति मिलने के दो साल के अंदर ही करना होगा. वर्ष 2018 में एनसीटीई के संशोधन के बाद प्रदेश में यह पहले भर्ती आयोजित हुई थी. नियुक्ति के करीब तीन साल से अधिक का समय बीतने के बाद भी अभी तक प्राइमरी विद्यालयों में नहीं कराया गया है.

ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.



सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फंस सकता है मामला


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि वर्ष 1999 वह 2000 में हुए प्राथमिक शिक्षक भर्ती में भी बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति दी गई थी. उसे समय भी बीटीसी की अनिवार्यता थी, पर सरकार ने उन्हें ब्रिज कोर्स कर कर उनकी अनिवार्यता को पूर्ण किया था. वर्ष 2018 में हुई 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सरकार ने कहा था कि प्राथमिक विद्यालय में नौकरी पर बीएड डिग्री धारकों को यह कोर्स करना होगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 के एनसीटीई की गाइडलाइन को रद्द कर दिया है, साथ ही अभी तक 69000 शिक्षक भारती में शामिल बीएड डिग्री धारकों का ब्रिज कोर्स नहीं हुआ है, ऐसे में इनकी नौकरी पर संकट है. अगर इसका हल सरकार की ओर से नहीं निकाला जाता है तो नौकरी पा चुके बीएड डिग्री धारकों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ेगा.





यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में लाखों आवासीय योजनाएं, मगर रेरा में केवल 3467 पंजीकृत

69000 शिक्षक भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों के सामने संकट. देखें खबर

लखनऊ : 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल शिक्षकों के सामने एक नई दुविधा खड़ी हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बीएड प्रशिक्षितों को बेसिक कक्षाओं (1 से 5) की भर्ती से बाहर करने के आदेश के बाद बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों में इस आदेश को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है. ऐसे में यह प्रदेश में आखिरी बार हुए बेसिक शिक्षा परिषद के 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल बीएड अभ्यर्थियों के सामने एक चुनौती खड़ी हो गई है. क्योंकि उनकी नियुक्ति के समय जारी विज्ञापन में यह कहा गया था कि प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5) में पाने के लिए बीएड अभ्यर्थियों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स कराया जाएगा. यह कोर्स उनकी नियुक्ति के 2 साल के अंदर पूरा हो जाना चाहिए, पर विभाग की आखिरी भर्ती को हुए दो साल से अधिक समय हो चुका है, पर इनका अभी तक ब्रिज कोर्स पूरा नहीं कराया गया है. ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया में जो अभ्यर्थी प्राथमिक विद्यालयों में नौकरी पाए हैं. उनके सामने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है.

ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.



सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्णय पर रोक लगाने के बाद से सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों पर देखने को मिल रहा है. 69000 शिक्षक भर्ती वर्ष 2018 में आयोजित की गई थी. 21 जून 2020 को 69000 अभ्यर्थियों की चयन सूची जारी की गई थी. तब सरकार ने कहा था कि बीएड डिग्री धारकों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स कराया जाएगा. यह कोर्स उन्हें नियुक्ति मिलने के दो साल के अंदर ही करना होगा. वर्ष 2018 में एनसीटीई के संशोधन के बाद प्रदेश में यह पहले भर्ती आयोजित हुई थी. नियुक्ति के करीब तीन साल से अधिक का समय बीतने के बाद भी अभी तक प्राइमरी विद्यालयों में नहीं कराया गया है.

ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.
ब्रिज कोर्स न करने पर नौकरी पर संकट.



सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फंस सकता है मामला


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि वर्ष 1999 वह 2000 में हुए प्राथमिक शिक्षक भर्ती में भी बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति दी गई थी. उसे समय भी बीटीसी की अनिवार्यता थी, पर सरकार ने उन्हें ब्रिज कोर्स कर कर उनकी अनिवार्यता को पूर्ण किया था. वर्ष 2018 में हुई 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सरकार ने कहा था कि प्राथमिक विद्यालय में नौकरी पर बीएड डिग्री धारकों को यह कोर्स करना होगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 के एनसीटीई की गाइडलाइन को रद्द कर दिया है, साथ ही अभी तक 69000 शिक्षक भारती में शामिल बीएड डिग्री धारकों का ब्रिज कोर्स नहीं हुआ है, ऐसे में इनकी नौकरी पर संकट है. अगर इसका हल सरकार की ओर से नहीं निकाला जाता है तो नौकरी पा चुके बीएड डिग्री धारकों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ेगा.





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Last Updated : Aug 23, 2023, 2:29 PM IST
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