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अब तक 1660 कैदियों को मिली पैरोल, 8463 अंतरिम जमानत पर रिहा

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Published : May 26, 2021, 3:25 AM IST

उत्तर प्रदेश के जेलों से अब तक 1660 कैदियों को पेरोल और 8463 को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है. ये पेरोल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार की गई है.

उत्तर प्रदेश
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लखनऊः कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर में भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कैदियों को पेरोल देने का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रदेश की जेलों से अब तक 1660 कैदियों को पेरोल दी जा चुकी है. जबकि 8463 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है. डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि प्रदेश की 71 कारागारों में कुल 106026 कैदी बंद हैं. ये पेरोल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार की गई है.

ओवरक्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से रिहाई जारी रहेगी
डीजी जेल के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर में कैदियों को बचाने के लिए जेलों में ओवर क्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में 60 दिन के पैरोल व अंतरिम जमानत दी जा रही है. उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा सिद्धदोष बंदियों और जनपद न्यायाधीश स्तर से विचाराधीन बन्दियों की रिहाई निरंतर हो रही है.

30 मई तक बंदियों के पेशी पर भी रोक
हाई पावर कमेटी ने यह फैसला जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या व कोरोना संक्रमण प्रकोप से निपटने के तहत लिया है. योजना के तहत 30 मई तक कैदियों को कोर्ट में पेश पर रोक लगा दी गई है. अब पेशी वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए ही की जायेगी.


इन बंदियों को मिल रहा लाभ

  • जो कैदी पेरोल पर हैं, उनकी पैरोल अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.
  • जो शांतिपूर्ण पेरोल के बाद समर्पण कर चुके हैं, उन्हें फिर से 60 दिन की पैरोल दी जायेगी.
  • जो सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपी हैं, उन्हें 60 दिन की विशेष पैरोल या अंतरिम जमानत दी जाएगी. बशर्ते जेल मे प्रतिकूल कार्रवाई न की गई हो.
  • 2020-21 में या 5 साल के भीतर कभी पैरोल पर छूटे हों, उन्हे भी 60 दिन की पेन्डेमिक पेरोल दी जाएगी.
  • जिनकी अर्जी सरकार के समक्ष लंबित है. एक हफ्ते में 60 दिन के पैरोल पर रिहाई का फैसला लिया जाएगा.

अधिकारियों को जेल में जाकर आंकलन करने का निर्देश
प्राधिकरण ने एसपी और जिलाधिकारी को पेन्डेमिक पैरोल देने का आंकलन करने को कहा है. प्राधिकरण ने अपने पत्र में कहा है कि न्याय प्रशासन के हित में, लोक शांति, सुरक्षा व संरक्षा बनाये रखने के लिए जेलों में बंद 65 साल से अधिक के महिला-पुरूष कैदियों, 50 साल से अधिक की महिला कैदियों, सजायाफ्ता गर्भवती महिलाओं, कैंसर, हार्ट, जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त सभी कैदियों को 60 दिन का पैरोल पाने का हक है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश व संबंधित न्यायिक अधिकारियों को जेल में जाकर कार्यवाही पूरी करने को कहा गया है.

यह भी पढ़ें-जिसे गोली लगी, उसे थाने पर बैठाकर घंटों पूछताछ करती रही पुलिस

इन्हे पेरोल या अंतरिम जमानत नहीं
हत्या, आजीवन कारावास, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या के लिए अपहरण या उत्प्रेरण, जिनकी उम्र 65 साल से कम हो, राज्य व सेना के विरूद्ध अपराध, स्टैम्प अपराध, डकैती, उद्दापन व इसके उत्प्रेरण, दुराचार, दुराचार का प्रयास, मनी लॉन्ड्रिंग, यूपीकोका, पॉक्सो, संगठित अपराध, विदेशी नागरिक, बैंक नोट, करेंसी, एसिड अटैक, समाज या पीडित के लिए खतरा, सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी लंबित या खारिज की हो. ऐसे आरोपियो व सजायाफ्ता कैदियों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा. सभी सत्र न्यायालयों से कहा गया है कि अर्जी पर 45 दिन की जमानत दे सकते हैंं. 2018 में बनी योजना अनुसार भी कार्य किये जाने की छूट दी गयी है.

लखनऊः कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर में भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कैदियों को पेरोल देने का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रदेश की जेलों से अब तक 1660 कैदियों को पेरोल दी जा चुकी है. जबकि 8463 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है. डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि प्रदेश की 71 कारागारों में कुल 106026 कैदी बंद हैं. ये पेरोल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार की गई है.

ओवरक्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से रिहाई जारी रहेगी
डीजी जेल के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर में कैदियों को बचाने के लिए जेलों में ओवर क्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में 60 दिन के पैरोल व अंतरिम जमानत दी जा रही है. उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा सिद्धदोष बंदियों और जनपद न्यायाधीश स्तर से विचाराधीन बन्दियों की रिहाई निरंतर हो रही है.

30 मई तक बंदियों के पेशी पर भी रोक
हाई पावर कमेटी ने यह फैसला जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या व कोरोना संक्रमण प्रकोप से निपटने के तहत लिया है. योजना के तहत 30 मई तक कैदियों को कोर्ट में पेश पर रोक लगा दी गई है. अब पेशी वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए ही की जायेगी.


इन बंदियों को मिल रहा लाभ

  • जो कैदी पेरोल पर हैं, उनकी पैरोल अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.
  • जो शांतिपूर्ण पेरोल के बाद समर्पण कर चुके हैं, उन्हें फिर से 60 दिन की पैरोल दी जायेगी.
  • जो सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपी हैं, उन्हें 60 दिन की विशेष पैरोल या अंतरिम जमानत दी जाएगी. बशर्ते जेल मे प्रतिकूल कार्रवाई न की गई हो.
  • 2020-21 में या 5 साल के भीतर कभी पैरोल पर छूटे हों, उन्हे भी 60 दिन की पेन्डेमिक पेरोल दी जाएगी.
  • जिनकी अर्जी सरकार के समक्ष लंबित है. एक हफ्ते में 60 दिन के पैरोल पर रिहाई का फैसला लिया जाएगा.

अधिकारियों को जेल में जाकर आंकलन करने का निर्देश
प्राधिकरण ने एसपी और जिलाधिकारी को पेन्डेमिक पैरोल देने का आंकलन करने को कहा है. प्राधिकरण ने अपने पत्र में कहा है कि न्याय प्रशासन के हित में, लोक शांति, सुरक्षा व संरक्षा बनाये रखने के लिए जेलों में बंद 65 साल से अधिक के महिला-पुरूष कैदियों, 50 साल से अधिक की महिला कैदियों, सजायाफ्ता गर्भवती महिलाओं, कैंसर, हार्ट, जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त सभी कैदियों को 60 दिन का पैरोल पाने का हक है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश व संबंधित न्यायिक अधिकारियों को जेल में जाकर कार्यवाही पूरी करने को कहा गया है.

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इन्हे पेरोल या अंतरिम जमानत नहीं
हत्या, आजीवन कारावास, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या के लिए अपहरण या उत्प्रेरण, जिनकी उम्र 65 साल से कम हो, राज्य व सेना के विरूद्ध अपराध, स्टैम्प अपराध, डकैती, उद्दापन व इसके उत्प्रेरण, दुराचार, दुराचार का प्रयास, मनी लॉन्ड्रिंग, यूपीकोका, पॉक्सो, संगठित अपराध, विदेशी नागरिक, बैंक नोट, करेंसी, एसिड अटैक, समाज या पीडित के लिए खतरा, सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी लंबित या खारिज की हो. ऐसे आरोपियो व सजायाफ्ता कैदियों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा. सभी सत्र न्यायालयों से कहा गया है कि अर्जी पर 45 दिन की जमानत दे सकते हैंं. 2018 में बनी योजना अनुसार भी कार्य किये जाने की छूट दी गयी है.

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