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Comet Of Paleolithic Period:50 हजार साल बाद आज दिखेगा धूमकेतु, इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के वैज्ञानिक टेलिस्कोप से देखेंगे धूमकेतु

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Published : Feb 1, 2023, 10:54 PM IST

लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला में पुरापाषाण काल के 50 हजार साल पुराने धूमकेतू को देखने की पूरी व्यवस्था की गई है. यह धूमकेतू गुरुवार अलसुबह 3 बजे पृथ्वी के पास से गुजरेगा. यह हरे रंग का आसमान में दिखाई देगा.

इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला
इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला

लखनऊ: पुरापाषाण काल का एक धूमकेतु 50 हजार साल बाद पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है. इस धूमकेतु को ग्रीन कॉमेट यानी हरा धूमकेतु कहा जा रहा है. यह धूमकेतु गहरे अंतरिक्ष की यात्रा के बाद वापस लौट रहा है. फरवरी के शुरुआत में यह पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचेगा.राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के खगोल वैज्ञानिक सुमित कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि नक्षत्र शाला में धूमकेतु को देखने के लिए पूरी व्यवस्था कर ली गई है. गुरुवार अलसुबह 3:00 बजे से 5:00 बजे तक धूमकेतु हरे रंग का आसमान में दिखाई देगा. जिसे देखने के लिए नक्षत्र शाला में टेलिस्कोप व दूरबीन की व्यवस्था गई है.

उन्होंने बताया कि धूमकेतु 50 हजार साल बाद दिखने वाला है. ऐसे में लोग भी काफी उत्सुक हैं. यह एक हरे रंग के तारे नुमा दिखाई देता है. जो लंबवत लकीर के जैसा दिखाई देगा. रात के समय आम लोग अपने छतों से इसका नजारा ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों की आंख मजबूत होगी. वह बिना चश्मे के भी इसे देख पाएंगे. जबकि जिन लोगो की आंख कमजोर होगी, उन्हें टेलिस्कोप स्पेक्टाकल या दूरबीन का सहारा लेना पड़ेगा. कभी-कभी बादल होने के कारण यह साफ तौर पर नहीं दिखाई देता है. जो टेलिस्कोप से देखेगा उसे ही दिखाई देगा. इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला में इसे देखने के लिए टेलिस्कोप लगाए गए हैं. रात करीब 2:30 बजे सभी वैज्ञानिक और कुछ स्टूडेंट छत से टेलीस्कोप की मदद से धूमकेतु को देखेंगे और उसकी तस्वीर निकालेंगे.

वैज्ञानिक के अनुसार इस धूमकेतु का नाम C/2022 E3 (ZTF) है. यह अगले महीने यानी 1 या 2 फरवरी 2023 में अंतरिक्ष में दिखाई देगा. यदि आपके इलाके में आसमान साफ़ रहेगा, तो आप इसे बिना टेलिस्कोप के देख सकेंगे अर्थात इसे नग्न आंखों से देख सकेंगे. यह धूमकेतु 1 या 2 फरवरी को पृथ्वी से करीब 4.20 करोड़ किलोमीटर दूर से निकलेगा. यह अगली बार कब दिखाई देगा? इसके बारे में भविष्यवाणी करना बहुत कठिन है, लेकिन इसका पीरियड 50 हजार साल है तो ऐसे में कह सकते हैं कि यह अगले 50 हजार साल बाद दिखाई देगा.

उन्होंने कहा कि 12 जनवरी को धूमकेतु C/2022 E3 (ZTF) की सूर्य से दूरी लगभग 16 करोड़ किलोमीटर रही थी, जबकि 1 व 2 फरवरी को इसकी पृथ्वी से दूरी करीब 4.2 करोड़ किलोमीटर रह जाएगी. अर्थात इस समय यह हमारी पृथ्वी से सबसे नजदीक होगा. मौजूदा समय में यह धूमकेतु आंतरिक सौर मंडल (inner solar system) से गुजर रहा है. 12 जनवरी को यह सूर्य के सबसे नजदीक पहुंच था. जबकि 1-2 फरवरी में यह पृथ्वी के सबसे नजदीक से गुजरेगा.

लखनऊ: पुरापाषाण काल का एक धूमकेतु 50 हजार साल बाद पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है. इस धूमकेतु को ग्रीन कॉमेट यानी हरा धूमकेतु कहा जा रहा है. यह धूमकेतु गहरे अंतरिक्ष की यात्रा के बाद वापस लौट रहा है. फरवरी के शुरुआत में यह पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचेगा.राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के खगोल वैज्ञानिक सुमित कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि नक्षत्र शाला में धूमकेतु को देखने के लिए पूरी व्यवस्था कर ली गई है. गुरुवार अलसुबह 3:00 बजे से 5:00 बजे तक धूमकेतु हरे रंग का आसमान में दिखाई देगा. जिसे देखने के लिए नक्षत्र शाला में टेलिस्कोप व दूरबीन की व्यवस्था गई है.

उन्होंने बताया कि धूमकेतु 50 हजार साल बाद दिखने वाला है. ऐसे में लोग भी काफी उत्सुक हैं. यह एक हरे रंग के तारे नुमा दिखाई देता है. जो लंबवत लकीर के जैसा दिखाई देगा. रात के समय आम लोग अपने छतों से इसका नजारा ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों की आंख मजबूत होगी. वह बिना चश्मे के भी इसे देख पाएंगे. जबकि जिन लोगो की आंख कमजोर होगी, उन्हें टेलिस्कोप स्पेक्टाकल या दूरबीन का सहारा लेना पड़ेगा. कभी-कभी बादल होने के कारण यह साफ तौर पर नहीं दिखाई देता है. जो टेलिस्कोप से देखेगा उसे ही दिखाई देगा. इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला में इसे देखने के लिए टेलिस्कोप लगाए गए हैं. रात करीब 2:30 बजे सभी वैज्ञानिक और कुछ स्टूडेंट छत से टेलीस्कोप की मदद से धूमकेतु को देखेंगे और उसकी तस्वीर निकालेंगे.

वैज्ञानिक के अनुसार इस धूमकेतु का नाम C/2022 E3 (ZTF) है. यह अगले महीने यानी 1 या 2 फरवरी 2023 में अंतरिक्ष में दिखाई देगा. यदि आपके इलाके में आसमान साफ़ रहेगा, तो आप इसे बिना टेलिस्कोप के देख सकेंगे अर्थात इसे नग्न आंखों से देख सकेंगे. यह धूमकेतु 1 या 2 फरवरी को पृथ्वी से करीब 4.20 करोड़ किलोमीटर दूर से निकलेगा. यह अगली बार कब दिखाई देगा? इसके बारे में भविष्यवाणी करना बहुत कठिन है, लेकिन इसका पीरियड 50 हजार साल है तो ऐसे में कह सकते हैं कि यह अगले 50 हजार साल बाद दिखाई देगा.

उन्होंने कहा कि 12 जनवरी को धूमकेतु C/2022 E3 (ZTF) की सूर्य से दूरी लगभग 16 करोड़ किलोमीटर रही थी, जबकि 1 व 2 फरवरी को इसकी पृथ्वी से दूरी करीब 4.2 करोड़ किलोमीटर रह जाएगी. अर्थात इस समय यह हमारी पृथ्वी से सबसे नजदीक होगा. मौजूदा समय में यह धूमकेतु आंतरिक सौर मंडल (inner solar system) से गुजर रहा है. 12 जनवरी को यह सूर्य के सबसे नजदीक पहुंच था. जबकि 1-2 फरवरी में यह पृथ्वी के सबसे नजदीक से गुजरेगा.

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