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गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाशोत्सव में शामिल होंगे जलशक्ति राज्यमंत्री

केंद्र सरकार ने सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर साहिब के 400वें प्रकाशोत्सव को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए एक समिति गठित की गई है जिसमें प्रदेश के जल शक्ति राज्यमंत्री बलदेव सिंह 'औलख' को सदस्य नामित किया गया है.

गुरु तेग बहादुर का 400वें प्रकाशोत्सव
गुरु तेग बहादुर का 400वें प्रकाशोत्सव
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Published : Dec 15, 2020, 12:39 PM IST

लखनऊः केंद्र सरकार ने सिखों के 9वें गुरु श्रीगुरु तेग बहादुर साहिब के 400वें प्रकाशोत्सव को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है. इस समिति में प्रदेश के जल शक्ति राज्यमंत्री बलदेव सिंह 'औलख' को सदस्य नामित किया गया है. यह जानकारी केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने दी है.


मानवता के रक्षक थे गुरु तेगबहादुर साहिब
गुरु तेगबहादुर साहिब सिख धर्म के नौवें गुरु थे. गुरु तेगबहादुर साहिब को हिन्द की चादर भी कहा जाता है. उन्होंने मुगल सल्तनत के आगे कभी हार नहीं मानी. सिख इतिहासकारों का कहना है कि गुरु तेगबहादुर मुस्लिम शासन और सम्राट औरंगजेब के लिए एक सामाजिक-राजनीतिक चुनौती बन गए थे.


यहियागंज गुरुद्वारे में ठहरे थे गुरु तेगबहादुर
यहियागंज स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब के सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि साल 1670 में गुरु तेगबहादुर साहिब मुगलों से युद्ध के दौरान दिल्ली जाते समय यहां आए थे, और 3 दिन इसी गुरद्वारा में ठहरे थे. उन्होंने नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान भी लगाया था. नीम का पेड़ आज भी गुरुद्वारा में स्थित है. मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि अगले साल 2021 में गुरु साहिब की जयंती बड़े श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी. इसके लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.

लखनऊः केंद्र सरकार ने सिखों के 9वें गुरु श्रीगुरु तेग बहादुर साहिब के 400वें प्रकाशोत्सव को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है. इस समिति में प्रदेश के जल शक्ति राज्यमंत्री बलदेव सिंह 'औलख' को सदस्य नामित किया गया है. यह जानकारी केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने दी है.


मानवता के रक्षक थे गुरु तेगबहादुर साहिब
गुरु तेगबहादुर साहिब सिख धर्म के नौवें गुरु थे. गुरु तेगबहादुर साहिब को हिन्द की चादर भी कहा जाता है. उन्होंने मुगल सल्तनत के आगे कभी हार नहीं मानी. सिख इतिहासकारों का कहना है कि गुरु तेगबहादुर मुस्लिम शासन और सम्राट औरंगजेब के लिए एक सामाजिक-राजनीतिक चुनौती बन गए थे.


यहियागंज गुरुद्वारे में ठहरे थे गुरु तेगबहादुर
यहियागंज स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब के सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि साल 1670 में गुरु तेगबहादुर साहिब मुगलों से युद्ध के दौरान दिल्ली जाते समय यहां आए थे, और 3 दिन इसी गुरद्वारा में ठहरे थे. उन्होंने नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान भी लगाया था. नीम का पेड़ आज भी गुरुद्वारा में स्थित है. मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि अगले साल 2021 में गुरु साहिब की जयंती बड़े श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी. इसके लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.

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