लखनऊ: आजादी के बाद पुलिस के हाथ में दिखने वाली थ्री नॉट थ्री राइफल की विदाई होने वाली है. 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर इसे विदाई देने के लिए भव्य विदाई समारोह आयोजित किया जाएगा. इस दौरान परेड के साथ ही थ्री नॉट थ्री को विदाई दी जाएगी.
जानिये क्यों दी जा रही थ्री नॉट थ्री को विदाई
303 बोर की मसकट रायफल 1857 में पहली बार मिली थी. बोल्ट एक्शन गन 70 के दशक में परिष्कृत कर बनाई गई. चलन से बाहर होने के बाद पुलिस के पाठ्यक्रम से बाहर किया गया. इसकी मारक क्षमता 1600 गज से भी अधिक है. इसकी गोली शरीर को छूते हुए भी निकल जाए तो काफी नुकसान पहुंचाती है. हालांकि, इसमें बहुत सारे खामियां भी हैं. पुरानी होने की वजह से राइफल का बहुत से पार्ट घीस गए हैं और मरम्मत में दिक्कत आ रही थी. बाजार में इसके पार्ट्स नहीं मिल रहे हैं. बोल्ट एक्शन वाली राइफल है. इसके लिए एक बार फायर करने के बाद रुकना पड़ता है. दोनों हाथों का प्रयोग कर ही थ्री नॉट थ्री राइफल से फायर किया जा सकता है. थ्री नॉट थ्री राइफल फायर के समय पीछे जोर का झटका मारती है.
जानिये किन-किन जिलों में कितनी है थ्री नॉट थ्री की संख्या
- बदायू जनपद में थ्री नॉट थ्री राइफल की संख्या 838 है.
- बलिया जिले में 668 है.
- मिर्जापुर जिले में इसकी संख्या 500 है.
थ्री नॉट थ्री राइफल की विदाई 26 जनवरी को हो रही है. यह 1945 में पुलिस को मिली थी, तबसे यह लगातार अपनी सेवाएं दे रही थी. आगामी 26 जनवरी की परेड के बाद इन्हें सम्मान पूर्वक विदाई के आदेश मिले हैं. इसे हटाए जाने के बाद हमारे जनपद के पास इंसास, एसएलआर और AK-47 असलाह रहेंगे. हमारा प्रयास है कि इतने वर्षों तक हमारे साथ रहने वाली राइफल्स को हम लोग ससम्मान पूर्वक विदा करें.
पंकज कुमार सिंह, आर.आई, बदायूं
इंडिया मेड इंसास राइफल अब सिपाहियों को दी जा रही है. इसके अलावा पुलिस के पास रिवॉल्वर, पिस्टल और AK-47 जैसे हथियार भी उपलब्ध हैं.
-अरुण कुमार सिंह, पुलिस लाइन प्रतिसार निरीक्षक, बलिया