लखनऊ : प्रदेश में 30 फीसदी महिलाएं सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीडी) बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खबर भी नहीं होती है. यौन संचारित रोग (एसटीडी) या यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई), ऐसा संक्रमण है जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. पुरुषों के मुकाबले इससे महिलाएं ज्यादातर पीड़ित होती हैं. साफ शब्दों में कह सकते हैं कि यह एक फंगल इंफेक्शन होता है. इंफेक्शन हर किसी को होता है, लेकिन जब प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन हो तो थोड़ा संभलने की जरूरत है.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एस देव के मुताबिक, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज जिसे इस समय सेक्सअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन का नाम दिया गया है, यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण होती है. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह बीमारी जल्दी होती है. पुरुषों को भी होती है, लेकिन एक लंबे समय के बाद उनमें लक्षण सामने आते हैं. अगर एक पार्टनर को है तो उससे दूसरे पार्टनर को होने की पूरी संभावना होती है. इसके लिए जरूरी है कि अगर आप यौन संबंध बना रहे हैं तो उस दौरान साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें. आखिरी लेवल पर जाकर यह बीमारी ज्यादा खतरनाक भी हो जाती है. स्थिति यह हो जाती है कि बाद में डॉक्टर उन्हें पार्टनर से इंटीमेट होने के लिए मना कर देते हैं. प्रदेश की 30 फीसदी महिलाएं एसटीडी से पीड़ित हैं. बहुत सारी महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं होती है.
महिला रोग विशेषज्ञ वरिष्ठ डॉ. अनीता नेगी के मुताबिक, जैसा कि नाम से ही साफ तौर पर जाहिर होता है कि यह एक यौन संबंधित बीमारी है. जब आप अपने पार्टनर के साथ इंटीमेट होते हैं उस दौरान आपको इंफेक्शन होता है. इंफेक्शन बढ़ते-बढ़ते एसटीडी का रूप ले लेता है. अगर आपको इंफेक्शन हो रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें. उन्होंने कहा कि इंफेक्शन के दौरान अपने पार्टनर से दूरियां रखनी पड़ती हैं. कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना पड़ता है.
वहीं सिविल अस्पताल की यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) काउंसलर मीनावती ने बताया कि आज के दौर में भी लोग खुलकर बात करने में शर्माते हैं. उन्हें सोसाइटी की परवाह होती है, लेकिन यह बीमारी एक ऐसी बीमारी है जो आगे चलकर खतरनाक साबित होती है. कई बार महिलाओं को प्रेग्नेंसी में भी दिक्कत परेशानी आती है. काउंसलिंग के लिए रोजाना 25 से 30 लोग आते हैं जो अपनी दिक्कत परेशानी बताते हैं और उनकी दिक्कतों के अनुसार जांच के लिए कहा जाता है, जिसके बाद उन्हें ट्रीटमेंट देते हैं. शुक्रवार को मरीजों की संख्या थोड़ा कम होती है. महिला व पुरुष दोनों को ही जागरुक होने की जरूरत है.
लक्षण
- चकत्ते.
- संभोग या पेशाब के दौरान दर्द.
- औरतों में योनि के आसपास खुजली व स्राव.
- पुरूषों मे लिंग से स्राव.
- सौम्य फोड़े या छाले.
- असामान्य छूत रोग, न समझ आने वाली थकावट, रात को पसीना आना और वजन घटना.
बचाव
- संबंध बनाने से पहले अपनी और साथी की जांच कराकर.
- पुरूषों द्वारा लेटेक्स कंडोम के सही प्रयोग से इन रोगों से ग्रस्त होने का खतरा कम हो जाता है, हालांकि पुरुष के मुकाबले महिला कंडोम इतने प्रभावशाली नहीं हैं, लेकिन यदि पुरूष न उपयोग करें तो स्त्री को जरूर उपयोग करना चाहिए.
- समय-समय पर जांच करवाते रहें.