लखनऊ: उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल के गुणवत्ता की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश में 280 ऐसे विकासखंड है, जहां भूगर्भ जल दोहन पर पूरी तरह रोक लगानी पड़ी है. प्रदेश के 600 से ज्यादा विकासखंड क्षेत्र में हालत चिंताजनक बनी हुई है.
भूगर्भ दोहन पर लगी रोक
उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल दोहन लगातार बढ़ता जा रहा है, इसकी वजह जहां औद्योगिकीकरण बढ़ा है तो वहीं कृषि क्षेत्र में पानी की लगातार बढ़ती मांग विकराल समस्या के तौर पर सामने आ रही है. प्रदेश के 820 विकासखंड क्षेत्रों में से 280 विकासखंड में भूगर्भ जल दोहन पर रोक लगाई जा चुकी है. इन प्रतिबंधित भाग विकासखंड क्षेत्रों में 82 विकासखंड ऐसे हैं, जहां भूगर्भ जल की मौजूद मात्रा का अधिकतम हिस्सा निकाला जा चुका है.
600 विकासखंड क्षेत्र में कम हुआ जल स्तर
अति दोहित विकासखंड क्षेत्रों के अलावा 47 ऐसे विकासखंड क्षेत्र भी हैं, जहां भूगर्भ जल दोहन को गंभीर श्रेणी में रखा गया है. भूगर्भ जल विभाग के निदेशक वीके उपाध्याय के अनुसार अति दोहित और क्रिटिकल श्रेणी के विकासखंड क्षेत्रों के साथ ही 151 सेमी. क्रिटिकल क्षेत्रों में भी भूगर्भ जल दोहन पर पूरी तरह रोक लगाई जा चुकी है, इसके बावजूद हालात काबू में नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक करीब 600 विकासखंड क्षेत्रों में भूगर्भ जल स्तर तेजी के साथ नीचे गिर रहा है.
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