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क्या सच में सिर्फ 28 लाख लोग पीते हैं गांजा-भांग ?

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Published : Jun 9, 2021, 3:26 PM IST

देश भर में नशे का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वे में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

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यूपी में नशे का कारोबार.

लखनऊ : यूपी में गांजा का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. कभी नशे का धुआं पंजाब को उड़ा रहा था, लेकिन अब आंकड़ों पर नजर डालें तो यह यूपी की हवा में पूरी तरह से घुल गया है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, नशे पर हुए राष्ट्रीय सर्वेक्षण बताते हैं कि देश में लगभग 73 लाख लोग गांजा और भांग की लत से ग्रसित हैं. कुल आंकड़ों में से 28 लाख लोग यूपी में गांजा और भांग की लत का शिकार हो चुके हैं. हेरोइन और अफीम के नशे की बात करें तो देश भर में 77 लाख लोग इससे प्रभावित हैं. इनमें से लगभग 11 लाख लोग यूपी से प्रभावित हैं, जबकि पंजाब में इनकी संख्या करीब 7 लाख है.

खुलेआम होता है मौत का कारोबार

नशे के कारोबार की सरपरस्ती खुद खाकी करने लगे तो इसका बढ़ना भला कैसे रोका जा सकता है. सब कुछ जानने के बावजूद पुलिस एवं नारकोटिक्स डिपार्टमेंट नशे को लेकर खामोश है. गांजा का कश लगाने वालों में गरीब ही नहीं बल्कि, हाई सोसाइटी के युवा भी शामिल हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ में गांजे का चलन काफी बढ़ गया है.

राजधानी की नुक्कड़ और खास गलियों में गांजा आसानी से उपलब्ध हो जाता है. पुलिस की नाक के नीचे गुंडबा थाने के पीछे भट्टे के पास 4 लोग गांजा बेचते हैं. वहीं ठाकुरगंज पंपिंग स्टेशन बंधा के पास 3-4 महिलाएं गांजा और स्मैक बेंचती हैं.

चिनहट स्थित फैजाबाद हाईवे पर एक गुमटी में गांजा बेचा जाता है. कृष्णा नगर में कब्रिस्तान के पास, हसनापुर, मवैया, पारा, महानगर, कैंट के सदर इलाके, लालकुआं, नाका और तालकटोरा में भी इसकी बिक्री की जाती है. पुलिस को इस मौत के कारोबार की खबर भी नहीं है.

पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा कारोबार

गांजा का कारोबार चिनहट, गाजीपुर, चौक व कृष्णानगर सहित कई अन्य इलाकों में भी पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा है. हाल ही में कृष्णानगर इलाके में गांजा कारोबारियों से गठजोड़ का खुलासा हुआ है. लखनऊ पुलिस ने हाल ही में एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश कर 1 व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. जो रेव पार्टी में ड्रग्स सप्लाई करता था. वर्ष 2020 में नारकोटिस सेल ने कैंट इलाके में पुलिस लाइन में तैनात एक सिपाही को गिरफ्तार किया था, जो गांजा व चरस की बिक्री करता था. उसने नशे के लती और रिक्शा चालकों को ही अपना कैरियर बनाया था.


क्या कहते हैं आंकड़े

1 जनवरी से 31 दिसम्बर 2020 तक पकड़ा गया मादक पदार्थ
गांजा 370 किलोग्राम
मारफीन 4.600 किलोग्राम
स्मैक 11.724 किलोग्राम
नशीला पाउडर 37.854 किलोग्राम
चरस5.515 किलोग्राम
डाइजापाम 655 हेरोइन 0.050 किलोग्राम
भांग 1.250 केजीपोस्ता (डोडा) 120.2किलोग्राम


कितने मामलों में हुई कार्रवाई

एनडीपीएस की कार्रवाई के आंकड़ों पर नजर डालें तो 3 वर्षीय तुलनात्मक आंकड़ों में खासी बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में सिर्फ 3 माह में 3,754 लोगों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी. वहीं वर्ष 2020 में एनडीपीएस एक्ट के तहत 3,375 लोगों पर कार्रवाई हुई है. वर्ष 2021 में एनडीपीएस एक्ट तहत हुई कार्रवाई के मामलों की संख्या बढ़ी है. इस वर्ष 1जनवरी 2021 से 15 मई 2021 तक कुल 3,836 लोगों को कार्रवाई करके गिरफ्तार किया गया है.

दूसरे राज्यों से लाया जाता है गांजा

गांजा की सबसे बड़ी खेप की सप्लाई ओडिशा से हो रही है. इसके अलावा नेपाल से भी राजधानी में गांजा का कारोबार फल-फूल रहा है. हालांकि कई बार एसटीएफ और लोकल पुलिस ने गांजे की बड़ी खेप बरामद की है. जिसमें अब तक 50 कुंतल से ज्यादा गांजा पकड़ा जा चुका है.

नशा कारोबार के बड़े सप्लायर पुलिस की गिरफ्त से दूर

पुलिस गांजा के धंधे में लिप्त लोगों को गिरफ्तार करती है, लेकिन गांजा बेंचने वाले छोटी-मोटे लोग ही पकड़े जाते हैं. बड़ी मात्रा में सप्लाई करने वाले तस्कर पुलिस की गिरफ्त से काफी दूर हैं. इस पूरे खेल के मास्टर माइंड कभी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं. गांजा की सप्लाई के लिए महिलाओं, बुजुर्गो को यूज किया जाता है, वहीं इसकी सप्लाई पब्लिक ट्रांसपोर्ट से की जाती है.

पुड़िया एक, रेट अनेक
गांजा की पुडि़या का रेट और क्वालिटी पर भी धंधेबाजों का पूरा ध्यान रहता है. 100 रुपये प्रति पुड़िया से इसकी शुरूआत होती है. 100 रुपये की पुड़िया में 5 ग्राम. वहीं 150 रुपये की पुड़िया में करीब 10 ग्राम व 500 रुपये की पुड़िया में लगभग 25 ग्राम गांजा होता है.

लोगों में बढ़ रही नशे की लत

कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से लेकर पेशेवर लोग भी गांजा का सेवन करने के लती हो रहे हैं. इसका सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.

लखनऊ : यूपी में गांजा का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. कभी नशे का धुआं पंजाब को उड़ा रहा था, लेकिन अब आंकड़ों पर नजर डालें तो यह यूपी की हवा में पूरी तरह से घुल गया है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, नशे पर हुए राष्ट्रीय सर्वेक्षण बताते हैं कि देश में लगभग 73 लाख लोग गांजा और भांग की लत से ग्रसित हैं. कुल आंकड़ों में से 28 लाख लोग यूपी में गांजा और भांग की लत का शिकार हो चुके हैं. हेरोइन और अफीम के नशे की बात करें तो देश भर में 77 लाख लोग इससे प्रभावित हैं. इनमें से लगभग 11 लाख लोग यूपी से प्रभावित हैं, जबकि पंजाब में इनकी संख्या करीब 7 लाख है.

खुलेआम होता है मौत का कारोबार

नशे के कारोबार की सरपरस्ती खुद खाकी करने लगे तो इसका बढ़ना भला कैसे रोका जा सकता है. सब कुछ जानने के बावजूद पुलिस एवं नारकोटिक्स डिपार्टमेंट नशे को लेकर खामोश है. गांजा का कश लगाने वालों में गरीब ही नहीं बल्कि, हाई सोसाइटी के युवा भी शामिल हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ में गांजे का चलन काफी बढ़ गया है.

राजधानी की नुक्कड़ और खास गलियों में गांजा आसानी से उपलब्ध हो जाता है. पुलिस की नाक के नीचे गुंडबा थाने के पीछे भट्टे के पास 4 लोग गांजा बेचते हैं. वहीं ठाकुरगंज पंपिंग स्टेशन बंधा के पास 3-4 महिलाएं गांजा और स्मैक बेंचती हैं.

चिनहट स्थित फैजाबाद हाईवे पर एक गुमटी में गांजा बेचा जाता है. कृष्णा नगर में कब्रिस्तान के पास, हसनापुर, मवैया, पारा, महानगर, कैंट के सदर इलाके, लालकुआं, नाका और तालकटोरा में भी इसकी बिक्री की जाती है. पुलिस को इस मौत के कारोबार की खबर भी नहीं है.

पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा कारोबार

गांजा का कारोबार चिनहट, गाजीपुर, चौक व कृष्णानगर सहित कई अन्य इलाकों में भी पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा है. हाल ही में कृष्णानगर इलाके में गांजा कारोबारियों से गठजोड़ का खुलासा हुआ है. लखनऊ पुलिस ने हाल ही में एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश कर 1 व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. जो रेव पार्टी में ड्रग्स सप्लाई करता था. वर्ष 2020 में नारकोटिस सेल ने कैंट इलाके में पुलिस लाइन में तैनात एक सिपाही को गिरफ्तार किया था, जो गांजा व चरस की बिक्री करता था. उसने नशे के लती और रिक्शा चालकों को ही अपना कैरियर बनाया था.


क्या कहते हैं आंकड़े

1 जनवरी से 31 दिसम्बर 2020 तक पकड़ा गया मादक पदार्थ
गांजा 370 किलोग्राम
मारफीन 4.600 किलोग्राम
स्मैक 11.724 किलोग्राम
नशीला पाउडर 37.854 किलोग्राम
चरस5.515 किलोग्राम
डाइजापाम 655 हेरोइन 0.050 किलोग्राम
भांग 1.250 केजीपोस्ता (डोडा) 120.2किलोग्राम


कितने मामलों में हुई कार्रवाई

एनडीपीएस की कार्रवाई के आंकड़ों पर नजर डालें तो 3 वर्षीय तुलनात्मक आंकड़ों में खासी बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में सिर्फ 3 माह में 3,754 लोगों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी. वहीं वर्ष 2020 में एनडीपीएस एक्ट के तहत 3,375 लोगों पर कार्रवाई हुई है. वर्ष 2021 में एनडीपीएस एक्ट तहत हुई कार्रवाई के मामलों की संख्या बढ़ी है. इस वर्ष 1जनवरी 2021 से 15 मई 2021 तक कुल 3,836 लोगों को कार्रवाई करके गिरफ्तार किया गया है.

दूसरे राज्यों से लाया जाता है गांजा

गांजा की सबसे बड़ी खेप की सप्लाई ओडिशा से हो रही है. इसके अलावा नेपाल से भी राजधानी में गांजा का कारोबार फल-फूल रहा है. हालांकि कई बार एसटीएफ और लोकल पुलिस ने गांजे की बड़ी खेप बरामद की है. जिसमें अब तक 50 कुंतल से ज्यादा गांजा पकड़ा जा चुका है.

नशा कारोबार के बड़े सप्लायर पुलिस की गिरफ्त से दूर

पुलिस गांजा के धंधे में लिप्त लोगों को गिरफ्तार करती है, लेकिन गांजा बेंचने वाले छोटी-मोटे लोग ही पकड़े जाते हैं. बड़ी मात्रा में सप्लाई करने वाले तस्कर पुलिस की गिरफ्त से काफी दूर हैं. इस पूरे खेल के मास्टर माइंड कभी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं. गांजा की सप्लाई के लिए महिलाओं, बुजुर्गो को यूज किया जाता है, वहीं इसकी सप्लाई पब्लिक ट्रांसपोर्ट से की जाती है.

पुड़िया एक, रेट अनेक
गांजा की पुडि़या का रेट और क्वालिटी पर भी धंधेबाजों का पूरा ध्यान रहता है. 100 रुपये प्रति पुड़िया से इसकी शुरूआत होती है. 100 रुपये की पुड़िया में 5 ग्राम. वहीं 150 रुपये की पुड़िया में करीब 10 ग्राम व 500 रुपये की पुड़िया में लगभग 25 ग्राम गांजा होता है.

लोगों में बढ़ रही नशे की लत

कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से लेकर पेशेवर लोग भी गांजा का सेवन करने के लती हो रहे हैं. इसका सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.

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