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22वां अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन : भावी पीढ़ी को शान्तिपूर्ण वातावरण देना हम सबका दायित्व : मुख्यमंत्री

चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन शनिवार से लखनऊ में शुरू. मुख्य न्यायाधीशों का यह है 22वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन' (22nd International Chief Justice Conference) सम्मेलन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा- भावी पीढ़ी को शान्तिपूर्ण माहौल उपलब्ध कराना हम सभी का नैतिक दायित्व.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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Published : Nov 20, 2021, 8:31 PM IST

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) की ओर से ऑनलाइन आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन' ('22nd International Conference of International Chief Justices') में बतौर मुख्य अतिथि कहा कि भावी पीढ़ी को शान्तिपूर्ण माहौल उपलब्ध कराना हम सभी का नैतिक दायित्व है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 में विश्व शान्ति के प्रोत्साहन के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं. मुझे आशा है कि मुख्य न्यायाधीशों का यह सम्मेलन वैश्विक शान्ति व एकता को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के इस सम्मेलन में शनिवार को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष (state assembly speaker) हृदय नारायण दीक्षित, सांसद सुधांशु त्रिवेदी, रोमानिया, क्रोएशिया व लेसोथो के पूर्व राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री समेत 50 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने सारगर्भित संबोधनों से एक नवीन विश्व व्यवस्था की सुखमय तस्वीर प्रस्तुत की.

‘अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’
‘मुख्य न्यायाधीशों का 22वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन'

इस अवसर पर सी.एम.एस. गोमती नगर एवं राजाजीपुरम कैम्पस के छात्रों ने विद्यालय के 55,000 छात्रों का प्रतिनिधितव करते हुए विश्व संसद एवं मॉडल यूनाइटेड नेशन्स के माध्यम से बहुत ही प्रभावशाली तरीके से विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित व सुखमय भविष्य की अपील प्रस्तुत की, जिसका 50 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने पुरजोर समर्थन किया.

सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि व सांसद सुधांशु त्रिवेदी व रोमानिया के पूर्व राष्ट्रपति एमिल कान्टैन्स्यू ने एक स्वर में कहा कि विश्व व्यवस्था में कानून का राज स्थापित करना असंभव नहीं है, बस इसके लिए एक विचारधारा व दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है. इस अवसर पर क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति स्टीपन मेसिक एवं लेसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. पकालिथा बी. मोसिलिली ने भी अपने सारगर्भित विचारों से ‘विश्व एकता’ का समर्थन किया.

‘अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’
'मुख्य न्यायाधीशों का 22वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’

इसे भी पढ़ेः सिटी मोन्टेसरी स्कूल में 5 अप्रैल से शुरू होगी ऑनलाइन पढ़ाई

प्रो. सुबीर के. भटनागर, वाइस चांसलर, डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान स्वरूप पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया. प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि शिक्षा द्वारा ऐसे बीज बोने चाहिए जिससे विश्व एकता व विश्व शान्ति पर आधारित एक नया समाज गठित हो.

सम्मेलन में घाना की संसद के अध्यक्ष अल्बान किंग्सफोर्ड सुमाना बागबिन, इजिप्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शेरीफ, युगाण्डा के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. जे. ओडोकी, अर्जेन्टीना के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रिकार्डो ली रोसी, भारतीय सप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति एपी मिश्रा, स्लोवेनिया सप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बारबरा जोबेक, इजरायल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व डेप्युटी प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति हेनान मेल्सर, केरल सरकार के एन.आर.आई. कमीशन के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.डी. राजन एवं गुयाना ज्यूडिशियरी के पूर्व चांसलर न्यायमूर्ति कार्ल अशोक सिंह समेत कई देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने सारगर्भित विचारों से नई विश्व व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया.

सीएमएस प्रेसीडेन्ट एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने बताया कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन के अन्तर्गत 50 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों के सारगर्भित विचारों का दौर जारी है. सम्मेलन के तीसरे दिन यानी कल 21 नवम्बर, रविवार को प्रातः कालीन सत्र में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, उप-मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा प्रदेश के कानून एवं न्यायमंत्री बृजेश पाठक संबोधित करेंगे.

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लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) की ओर से ऑनलाइन आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन' ('22nd International Conference of International Chief Justices') में बतौर मुख्य अतिथि कहा कि भावी पीढ़ी को शान्तिपूर्ण माहौल उपलब्ध कराना हम सभी का नैतिक दायित्व है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 में विश्व शान्ति के प्रोत्साहन के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं. मुझे आशा है कि मुख्य न्यायाधीशों का यह सम्मेलन वैश्विक शान्ति व एकता को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के इस सम्मेलन में शनिवार को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष (state assembly speaker) हृदय नारायण दीक्षित, सांसद सुधांशु त्रिवेदी, रोमानिया, क्रोएशिया व लेसोथो के पूर्व राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री समेत 50 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने सारगर्भित संबोधनों से एक नवीन विश्व व्यवस्था की सुखमय तस्वीर प्रस्तुत की.

‘अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’
‘मुख्य न्यायाधीशों का 22वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन'

इस अवसर पर सी.एम.एस. गोमती नगर एवं राजाजीपुरम कैम्पस के छात्रों ने विद्यालय के 55,000 छात्रों का प्रतिनिधितव करते हुए विश्व संसद एवं मॉडल यूनाइटेड नेशन्स के माध्यम से बहुत ही प्रभावशाली तरीके से विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित व सुखमय भविष्य की अपील प्रस्तुत की, जिसका 50 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने पुरजोर समर्थन किया.

सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि व सांसद सुधांशु त्रिवेदी व रोमानिया के पूर्व राष्ट्रपति एमिल कान्टैन्स्यू ने एक स्वर में कहा कि विश्व व्यवस्था में कानून का राज स्थापित करना असंभव नहीं है, बस इसके लिए एक विचारधारा व दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है. इस अवसर पर क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति स्टीपन मेसिक एवं लेसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. पकालिथा बी. मोसिलिली ने भी अपने सारगर्भित विचारों से ‘विश्व एकता’ का समर्थन किया.

‘अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’
'मुख्य न्यायाधीशों का 22वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’

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प्रो. सुबीर के. भटनागर, वाइस चांसलर, डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान स्वरूप पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया. प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि शिक्षा द्वारा ऐसे बीज बोने चाहिए जिससे विश्व एकता व विश्व शान्ति पर आधारित एक नया समाज गठित हो.

सम्मेलन में घाना की संसद के अध्यक्ष अल्बान किंग्सफोर्ड सुमाना बागबिन, इजिप्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शेरीफ, युगाण्डा के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. जे. ओडोकी, अर्जेन्टीना के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रिकार्डो ली रोसी, भारतीय सप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति एपी मिश्रा, स्लोवेनिया सप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बारबरा जोबेक, इजरायल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व डेप्युटी प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति हेनान मेल्सर, केरल सरकार के एन.आर.आई. कमीशन के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.डी. राजन एवं गुयाना ज्यूडिशियरी के पूर्व चांसलर न्यायमूर्ति कार्ल अशोक सिंह समेत कई देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने सारगर्भित विचारों से नई विश्व व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया.

सीएमएस प्रेसीडेन्ट एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने बताया कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन के अन्तर्गत 50 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों के सारगर्भित विचारों का दौर जारी है. सम्मेलन के तीसरे दिन यानी कल 21 नवम्बर, रविवार को प्रातः कालीन सत्र में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, उप-मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा प्रदेश के कानून एवं न्यायमंत्री बृजेश पाठक संबोधित करेंगे.

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