लखनऊ : शहर में 10 साल पहले बिके करीब 2000 फ्लैटों का ताला अब तक नहीं खुल सका है. इनके बेनामी होने का शक है. जांच का आगाज किया जा रहा है. नेता, अफसर और अपराधी काले धन का इस्तेमाल करके यह संपत्ति या खरीद चुके हैं. जरूरतमंदों को मकान नहीं मिल रहे. रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों की समस्या यह है कि उनको मेंटेनेंस संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही समय-समय पर इन फ्लैटों में अवैध कब्जा हो जाता है. अराजक तत्वों का अड्डा बन जाते हैं. दूसरी और लखनऊ विकास प्राधिकरण अब आवंटन निरस्त करके जांच शुरू करने जा रहा है.
लखनऊ विकास प्राधिकरण की अलग-अलग आवासीय योजनाओं में 2000 फ्लैट ऐसे हैं, जिनका आवंटन तो कई साल पहले हो गया मगर अब तक दरवाजा नहीं खुला है. इन फ्लैटों की कुछ किस्त जमा हैं. जिसके बाद में आवंटी ने बची हुई किस्तों का भुगतान नहीं किया. एलडीए के अनुसार, आवंटी अब रजिस्ट्री भी नहीं करवा रहे हैं. एलडीए की ओर से इन आवंटियों को अंतिम नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं.
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉक्टर इन मणि त्रिपाठी ने बताया कि ऐसे आवंटियों की तादाद काफी है, जिन्होंने रजिस्ट्री नहीं करवाया है. इनमें से आधे तो तो ऐसे हैं, जिन्होंने बहुत कम किस्तें जमा की हैं. कानपुर रोड योजना, अलीगंज योजना, गोमती नगर योजना के अलावा गोमती नगर विस्तार योजना में भी बड़ी संख्या में हैं. गोमती नगर विस्तार में ही इनकी संख्या करीब 700 है.
पारिजात सोसाइटी के वरिष्ठ पदाधिकारी समर विजय सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर बंद फ्लैटों की जांच होनी चाहिए. इनके कारण मेंटेनेंस संबंधित दिक्कतें भी हो रही हैं. यह फ्लैट अराजक तत्वों का अड्डा भी बन सकते हैं. सृष्टि अपार्टमेंट के वरिष्ठ पदाधिकारी विवेक शर्मा ने बताया कि हम समय-समय पर लखनऊ विकास प्राधिकरण को सूचित करते हैं. उम्मीद करते हैं कि इस बार कोई न कोई कार्रवाई जरूर होगी. लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि हम चाहते हैं कि इन रिक्त फ्लैटों को लखनऊ विकास प्राधिकरण अपने कब्जे में ले ले. आवंटन निरस्त कर नए सिरे से लॉटरी में आवंटन किया जाए.
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