लखनऊः वैसे तो बैंक के खातों से लोग रुपये निकालते हैं लेकिन एक ऐसा भी बैंक है, जिससे गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भोजन निकलता है, वह भी पूरी तरह मुफ्त. जी हां, हम बात कर रहे हैं इंडियन रोटी बैंक (Indian Roti Bank) की. आज के दौर में जब दिन रात की कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद दो जून की रोटी (2 June Ki Roti) जुटाना भी लोगों को भारी पड़ रहा है. वहीं, कोरोना काल में किसी को सड़क पर भीख मांगना पड़ रहा है तो किसी को भूखे पेट रहने को मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में इंडियन रोटी बैंक हर रोज लखनऊ समेत प्रदेश और देश भर में हजारों लोगों के पेट भरने का काम कर रही है. जिन लोगों को दो जून की रोटी जुटा पाना संभव नहीं हो पा रहा है, उन्हें इंडियन रोटी बैंक भूखा सोने नहीं दे रहा है.
छह साल पहले शुरू हुआ था इंडियन रोटी बैंक का कारवां
इंडियन रोटी बैंक के संस्थापक विक्रम पांडेय बताते हैं कि रोटी बैंक छह साल पहले हरदोई से शुरू हुआ था. आज बहुत से लोग इंडियन रोटी बैंक के साथ जुड़े हैं और हर रोज हजारों लोगों की सेवा कर रहे हैं. विक्रम पांडेय ने बताया कि इंडियन रोटी बैंक देश के 16 राज्यों समेत 95 जिलों में निशुल्क भोजन आपूर्ति कर रहा है. हमारा उद्देश्य है कि अपने संगठित प्रयास से गैर धार्मिक, जातिवाद और गैर राजनीतिक आधार पर निस्वार्थ भाव से अधिकतम लोगों को यथासंभव भोजन प्रदान करें. आपसी परस्पर सहयोग से लोगों को भोजन उपलब्ध हो सके. कोई भूखा न रहे यह राष्ट्रीय आंदोलन जन आंदोलन के रूप में युवाओं, महिलाओं और सीनियर सिटीजन का यथासंभव सहयोग मिल रहा है. अब ये एक जन आंदोलन बन गया है. विक्रम पांडेय ने बताया कि किस्से, कहावतों में कहा जाता है कि दो जून की रोटी नसीब वालों को और किस्मत वालों को मिलती है, इसीलिए इंडियन रोटी बैंक की तरफ से इस तरह का कार्यक्रम रखा गया है. जिससे लोगों को दो जून की रोटी का महत्व मालूम हो सके.
मां अन्नपूर्णा रसोई से भरते हैं गरीबों का पेट
विक्रम पांडेय ने बताया कि मां अन्नपूर्णा रसोई (Maa Annapurna Kitchen) की स्थापना लॉकडाउन के दौरान की गई है. आर्थिक रूप से अक्षम लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए लखनऊ सहित 11 जिलों में इस रसोई की स्थापना की गई है. लगातार पिछले एक माह से रोटी बैंक के वॉलिंटियर, कार्यकर्ता और पदाधिकारियों द्वारा परस्पर सहयोग से मां अन्नपूर्णा रसोई का संचालन किया जा रहा है. पूरे लखनऊ को सात भागों में वितरित किया है. उन्होंने बताया कि हमारा प्रतिदिन का उद्देश्य होता है कि लखनऊ में कोई भी भूखा न सोए.
जरूरतमंदों का पेट भरना लक्ष्य
विक्रम पांडेय ने बताया कि पहले दिन से जब हमने रोटी बैंक शुरू किया था तो 350 से 400 पैकेट वितरित किए जाते थे, जो अब 1000 से 1100 तक पहुंच गई है. बड़े मंगलवार पर भी हलवा पूरी सब्जी वितरित की गई. हमारा प्रयास है जन सहयोग से, जन समर्थन से ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों का पेट भर सकें. इसी मौके पर चारबाग रेलवे स्टेशन पर भी रेलवे से जुड़े अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर गरीबों को रोटी और दाल का वितरण किया गया और उन्हें भोजन कराया गया. इंडियन रोटी बैंक का सिलसिला पूरे प्रदेश और देश में जारी है.