लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस (corona virus) से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से कमी आई है. लेकिन डेंगू और वायरल बुखार (Dengue and viral fever) ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के सामने चुनौती पेश कर दी है. हालांकि, शुक्रवार को प्रदेश में कोविड (Covid) के महज 18 नए केस ही सामने आए. इस प्रकार से 191 एक्टिव केस बचे हैं, जिनका इलाज चल रहा है. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, अभी कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) का खतरा मंडरा रहा है. वहीं, शुक्रवार को राज्य में डेंगू के 219 नए मरीज मिले. इसमें से 21 मरीज राजधानी लखनऊ के हैं. यहां डेंगू पीड़ित बच्ची की इलाज की दौरान मौत हो गई. मासूम का इलाज बलरामपुर अस्पताल के बाल रोग विभाग में चल रहा था.
शुक्रवार को 1 लाख 91 हजार से ज्यादा कोरोना के टेस्ट किए गए. इस दौरान महज 18 संदिग्ध लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई. वहीं 16 मरीज डिस्चार्ज किए गए. यूपी में देश में सर्वाधिक सात करोड़, 59 लाख से अधिक टेस्ट किए गए. यहां एक व्यक्ति के पॉजिटिव आने पर 42.3 लोगों की जांच की जा रही है. यह डब्ल्यूएचओ (WHO) के मानक से अधिक है. इस दौरान केजीएमयू, बीएचयू, सीडीआरआई की लैब में जीन सिक्वेंसिंग टेस्ट किए जा रहे. इसमें अब तक सिर्फ दो डेल्टा प्लस (Delta Plus) के केस रहे. वहीं 90 फीसद से ज्यादा डेल्टा वैरिएंट ही पाया गया.
शुक्रवार को एक्टिव केस 191 रह गए थे. मरीजों का यह आंकड़ा गत मार्च का रहा. वहीं तीसरी लहर से निपटने की तैयारी जारी है. अस्पतालों में 409 ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो गए हैं. इनके संचालन के लिए आईटीआई पास कर्मी तैनात किए जा रहे हैं. वहीं 56 हजार से अधिक आईसोलेशन बेड, 18 हजार आईसीयू बेड, 6700 पीकू-नीकू बेड तैयार हो गए हैं.
35 जिले हैं कोरोना मुक्त
शुक्रवार को प्रदेश के 61 के करीब जिलों में 24 घंटे में कोई केस नहीं मिला. अब 35 जनपद करोना मुक्त हो गए हैं. यह जिले अलीगढ़, अमरोहा, अमेठी, अयोध्या, बागपत, बलिया, बांदा, बस्ती, बहराइच, भदोही, चंदौली, बिजनौर, चित्रकूट, देवरिया, एटा, हापुड़, फतेहपुर, गाजीपुर, गोंडा, हमीरपुर, हरदोई, हाथरस, कौशाम्बी, ललितपुर, महोबा, मथुरा, मिर्जापुर, सोनभद्र, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, रामपुर, शामली और सीतापुर आदि शामिल हैं.
जिन राज्यों में साप्ताहिक संक्रमण दर 3 फीसद तक है, वहां से आने वाले लोगों की आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य है. इसके अलावा यदि वैक्सीन की दोनों डोज का प्रमाणपत्र है, तो जांच की जरूरत नहीं है. मगर, बाहर से आने पर सात दिन क्वारन्टीन की सलाह दी गई है. इसमें मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, गोवा, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मिजोरम, केरल, आदि हैं.
मरीजों की कुल पॉजिटीविटी रेट 2.27 रह गई है. इसके अलावा राज्य में दैनिक पॉजिटीविटी रेट 0.01 फीसद से कम हो गई है. वहीं मृत्युदर अभी 1 फीसद पर बनी हुई है. जून में प्रदेश में संक्रमण दर का औसत 1 फीसद रहा, जबकि जुलाई में 0.3 फीसद पॉजिटीविटी रेट की गई.
30 अप्रैल को यूपी में सर्वाधिक एक्टिव केस 3 लाख 10 हजार 783 रहे. अब यह संख्या 191 रह गई. वहीं रिकवरी रेट मार्च में जहां 98.2 फीसद थी. अप्रैल में घटकर 76 फीसद तक पहुंच गई. वर्तमान में फिर रिकवरी रेट 98.7 फीसद हो गई है.
संचारी रोग निदेशक मेजर डॉ. जीएस बाजपेयी के मुताबिक, स्क्रब टाइफस व लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया है. इसका बुखार ज्यादा दिन रहने पर ब्रेन पर असर पड़ता है. ऐसे में वयस्कों को डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) और बच्चों को एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) एंटीबायोटिक डॉक्टर से परामर्श लें. बारिश की समाप्ति के एक माह बाद तक डेंगू का खतरा रहता है. ऐसे में आशंका है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक सतर्क ज्यादा रहना होगा. उधर, पैर पसार रहे डेंगू को लेकर सभी जिलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. अस्पतालों में इलाज की मुफ्त व्यवस्था की गई है. बुखार के मरीजों का घर-घर सर्वे किया जा रहा है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यूपी के फिरोजाबाद जिले में अधिकांश मौतें डेंगू बुखार के डी-टू स्ट्रेन के कारण होने का दावा किया है. उन्होंने बताया कि यह स्ट्रेन बहुत घातक होता है और जानलेवा है. यह अक्सर ब्लीडिंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट्स काउंट को भी तेजी से प्रभावित करता है. यह स्ट्रेन मथुरा और आगरा में भी पाया गया है.
बच्ची की डेंगू से मौत
डेंगू पीड़ित बच्ची की इलाज की दौरान मौत हो गई. मासूम का इलाज बलरामपुर अस्पताल के बाल रोग विभाग में चल रहा था. डॉक्टरों का कहना है कि गंभीर अवस्था में बच्ची को भर्ती किया गया था. हरदोई के संडीला निवासी अल्बीना (चार) को करीब डेढ़ हफ्ते पहले जाड़ा लगकर बुखार आया. पिता नफीस ने बताया कि कई स्थानीय अस्पतालों में दिखाया. इलाज के बावजूद बुखार कम नहीं था. डॉक्टरों ने जांच कराई. जांच में डेंगू की पुष्टि हुई. प्लेटलेट्स काउंट भी सामान्य से कम था. परिजनों का आरोप है कि ट्रॉमा में बेड खाली न होने की बात कहते हुए मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया. आखिर में परिवारीजन बच्ची को लेकर बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती कर लिया. प्राथमिक इलाज के बाद बच्ची को बाल रोग विभाग में शिफ्ट किया गया. शुक्रवार को इलाज के दौरान मासूम अल्बीना की सांसें थम गई.