लखनऊ: यूं तो पुस्तक मेले की शान किताबें और किताबों से जुड़े हुए कई सामान होते हैं, लेकिन 17 वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला में कुछ ऐसे आयोजन भी होते हैं. जहां पर पुस्तक का सम्मान होता है और उसे लिखने वाली विभूतियों से भी मुखातिब होने का मौका मिलता है. ऐसा ही एक कार्यक्रम मंगलवार को पुस्तक मेला के प्रांगण में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में एक व्यंग संवाद का आयोजन किया गया. इसमें व्यंग्यकार अनूप मणि त्रिपाठी की पुस्तक 'शोरूम में जननायक' पर चर्चा की गई.
व्यंग्यकार अनूप ने बताया व्यंग का स्तर हो रहा है खत्म
व्यंग्य एक बेहद मुश्किल विधा है. यह एक आम व्यक्ति को आसानी से समझ आ सकने और एक कलात्मक ढंग से लिखने की विधा है. उस पर अधिक से अधिक काम करने और समझने की आवश्यकता है. लेकिन आजकल व्यंग का स्तर तो खत्म हो ही रहा है पर साथ ही धीरे-धीरे व्यंग्य रचनाएं भी समाप्त होती जा रही हैं. हालांकि टीवी सीरियल और फिल्मों में तमाम तरह के व्यंग डाले जाते हैं लेकिन वह अब इस काबिल नहीं रह गए हैं कि उन्हें किसी ऐसे मंच पर बोला जा सके जो सभी के लिए सुनने योग्य हो.