लखनऊ: राजधानी के अस्पतालों में ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ गए हैं. लखनऊ में इस बीमारी के 16 मरीज भर्ती किए गए हैं, इसमें 13 मरीज केजीएमयू में भर्ती हैं. यहां के 7 मरीज ऐसे हैं, जिनको कोरोना भी है. वहीं अन्य कोरोना से ठीक होने के बाद इस बीमारी से पीड़ित हुए हैं.
केजीएमयू में ब्लैक फंगस पीड़ित किसी मरीज की नहीं हुई मृत्यु
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक यहां ब्लैक फंगस के 13 मरीज भर्ती हैं. इनमें से अभी तक 7 मरीज कोरोना वायरस की भी गिरफ्त में हैं. वहीं कोरोना को हरा चुके 5 मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए हैं. इन मरीजों को पोस्ट कोविड वार्ड में भर्ती किया गया है. एक मरीज मेडिसिन विभाग के आईसीयू में भर्ती है. मरीज कोरोना से जंग जीत चुके हैं. जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों की टीम ने मरीज का ऑपरेशन किया है. अभी तक केजीएमयू में ब्लैक फंगस पीड़ित किसी मरीज की मृत्यु नहीं हुई है. सभी मरीज दूसरे अस्पतालों से रेफर होकर आए हैं. इलाज के दौरान किसी भी मरीज में नई दिक्कतें नहीं पनपी हैं. लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह के मुताबिक ब्लैक फंगस के तीन मरीज भर्ती हैं, सभी का इलाज चल रहा है. मरीजों की तबीयत स्थिर है.
नाक, आंख, ब्रेन पर बोलता है हमला
डॉ. विक्रम के मुताबिक ब्लैक फंगस म्यूकरमायकोसिस के मामलों में इजाफा हो रहा है. डायबिटीज मरीज कोरोना की चपेट में आने के बाद स्टरॉयड डॉक्टर की सलाह पर ही लें, क्योंकि डायबिटीज मरीजों में पहले से रोगों से लड़ने की ताकत कम होती है. स्टरॉयड से रोग प्रतिरोधक क्षमता और घट जाती है, इससे ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है. यह फंगस लकड़ी, गोबर के कंडे, गमले और नाक में पाया जाता है. इसका दूसरा कारण है ऑक्सीजन मास्क का संक्रमित होना. यह फंगस नाक, आंख, ब्रेन, फेफड़े पर असर करता है.