लखनऊ: एंटी रोमियो स्क्वॉड्स के गठन को आज चार साल पूरे हो गए हैं. पुलिस मुख्यालय की मानें तो इतने दिनों में कुल 14,454 लोगों पर कार्रवाई कर गिरफ्तारी की गई है. इस अवधि के दौरान हर दिन औसतन 11 गिरफ्तारियां हुई हैं. उत्तर प्रदेश की आबादी और क्षेत्रफल को देखते हुए ये आंकड़ा बहुत कम है.
हाथरस और बदायूं में कथित दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं सामने आने के बाद लोगों का सवाल है कि एंटी रोमियो स्क्वॉड्स कहां हैं. वर्ष 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद एंटी रोमियो स्क्वॉड्स का गठन किया गया था. इसका उद्देश्य राज्य में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, लेकिन कमेटी के गठन का उद्देश्य कहीं खो सा गया है.
एंटी रोमियो स्क्वॉड्स के गठन के साथ ही लगने लगे थे आरोप
एंटी रोमियो स्क्वॉड्स तब विवादों में आ गए थे, जब उस पर मोरल पुलिसिंग और सार्वजनिक रूप से जोड़ों का उत्पीड़न करने के आरोप लगने लगे. समय बीतने के साथ इन स्क्वॉड की गतिविधियां भी समाचारों की सुर्खियों से बाहर हो गईं.
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राज्य के हर जिले में काम कर रहा एंटी रोमियो स्क्वॉड
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि एंटी रोमियो स्क्वॉड्स का गठन 22 मार्च 2017 को हुआ था. तब सभी जिलों के प्रभारियों को एंटी रोमियो स्क्वॉड्स बनाने के निर्देश दिए गए थे. 22 मार्च 2017 से 30 नवंबर 2020 के बीच प्रदेश भर से 14,454 लोगों की गिरफ्तारी की गई. एंटी रोमियो स्क्वॉड अभी भी काम कर रहा है.
इन स्क्वॉड्स का गठन किस मकसद से हुआ था
हमारे इस सवाल के जवाब में एडीजी ने कहा कि एंटी रोमियो स्क्वॉड्स का गठन महिलाओं से छेड़छाड़, अभद्रता, महिलाओं और लड़कियों को अश्लील इशारे या फब्तियां कसने पर रोक लगाने के लिए किया गया था. जरूरत के हिसाब से जिला पुलिस एंटी रोमियो स्क्वॉड्स में पुलिसकर्मियों की नियुक्ति करती है. राज्य के हर जिले में एंटी रोमियो स्क्वॉड तैनात हैं.
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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, कम नहीं हो रहे महिला अपराध
यूपी पुलिस की पहल के बावजूद राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में गिरावट नहीं आई है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा के मुताबिक, 2017 में जब एंटी रोमियो स्क्वॉड बने थे, तो महिलाओं के खिलाफ अपराध के 153 केस सामने आए थे. 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 164 हो गया. इन स्क्वॉड के बनने के बाद प्रदेश में दुष्कर्म के केसों में कमी आई है. साल 2017 में उत्तर प्रदेश में हर दिन औसतन 13 दुष्कर्म के केस दर्ज हुए. ये आंकड़ा 2019 में घटकर 8 पर आ गया.