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आयुष एडमिशन घोटाला, पूर्व डायरेक्टर एसएन सिंह समेत 12 लोग गिरफ्तार - 891 फर्जी छात्रों के दाखिले

उत्तर प्रदेश में आयुष काॅलेजों में 891 फर्जी छात्रों के दाखिले की जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने घोटाले (Ayush admission scam) के आरोपी आयुर्वेद सेवाएं के निलंबित डायरेक्टर एसएन सिंह व काउंसलिंग के नोडल ऑफिसर उमाकांत यादव समेत 12 लोगों की गिरफ़्तारी की है.

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Published : Nov 18, 2022, 6:20 AM IST

Updated : Nov 18, 2022, 6:29 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आयुष काॅलेजों में 891 फर्जी छात्रों के दाखिले की जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने घोटाले (Ayush admission scam) के आरोपी आयुर्वेद सेवाएं के निलंबित डायरेक्टर एसएन सिंह व काउंसलिंग के नोडल ऑफिसर उमाकांत यादव समेत 12 लोगों की गिरफ़्तारी की है. सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ ने बीते कई दिनों की जांच के बाद सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की है. फिलहाल सभी आरोपियों को हजरतगंज कोतवाली में दाखिल कर दिया गया है, हालांकि शासन पहले ही इस घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश कर चुका है.

सूत्रों के मुताबिक, आयुष एडमिशन घोटाले (Ayush admission scam) के मामले में एसटीएफ ने निलंबित कार्यवाहक डायरेक्टर डाॅ. एसएन सिंह, निलंबित प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय, आयुर्वेद सेवाएं डा. उमाकांत यादव, डाटा फीडिंग का काम कर रही कंपनी अपट्राॅन पावरट्राॅनिक्स द्वारा नामित वेंडर कंपनी के प्रतिनिधि कुलदीप व अपट्राॅन के कई कर्मचारियों समेत 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में आयुष काॅलेजों में पिछले शैक्षिक सत्र-2021 में 891 फर्जी छात्रों के एडमिशन का मामला सामने आया था. इस मामले में तत्कालीन कार्यवाहक डायरेक्टर, आयुर्वेदिक सेवाएं प्रो. एसएन सिंह की ओर से चार नवंबर को हजरतगंज कोतवाली में डाटा फीडिंग का काम कर रही कंपनी अपट्राॅन पावरट्राॅनिक्स तथा उसके द्वारा नामित वेंडर कंपनी वी-3 साॅफ्ट साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह समेत अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई गई थी. आरोप था कि, शैक्षिक सत्र-2021 में नीट-यूजी की मेरिट को अनदेखा करते हुए आयुर्वेद, होम्योपैथिक व यूनानी काॅलेजों में 891 अभ्यर्थियों को आयुष काॅलेजों में प्रवेश दिया गया, जिनके नाम मेरिट लिस्ट में नहीं थे. यही नहीं कम मेरिट वाले छात्रों को अच्छे काॅलेज आवंटित किए गए थे.


सीएम योगी ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए जांच एसटीएफ को सौंप दी थी. एसटीएफ ने जांच शुरू करते हुए 23 काॅलेजों के प्राचार्याें को नोटिस देकर तलब किया था और उनसे भी बारी-बारी पूछताछ चल रही थी. पूछताछ में सामने आया कि आयुर्वेद, होम्योपैथिक व यूनानी काॅलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों के दाखिलों में खूब बंदरबाट हुई. मेरिट सूची में खेलकर अधिकारियों व कंपनी की मिलीभगत से बीएएमएस, बीयूएमएस व बीएचएमएस पाठ्यक्रमों में ऐसे लगभग 891 विद्यार्थियों को गलत ढंग से दाखिला दिए जाने की पुष्टि हुई है. शासन ने 7 नवंबर को इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की सिफारिश की थी, हालांकि सीबीआई ने अब तक यह केस अपने हाथ में नहीं लिया है.

यह भी पढ़ें : सड़क किनारे मिला बाराबंकी के पुताई कारीगर का शव, हत्या की आशंका

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आयुष काॅलेजों में 891 फर्जी छात्रों के दाखिले की जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने घोटाले (Ayush admission scam) के आरोपी आयुर्वेद सेवाएं के निलंबित डायरेक्टर एसएन सिंह व काउंसलिंग के नोडल ऑफिसर उमाकांत यादव समेत 12 लोगों की गिरफ़्तारी की है. सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ ने बीते कई दिनों की जांच के बाद सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की है. फिलहाल सभी आरोपियों को हजरतगंज कोतवाली में दाखिल कर दिया गया है, हालांकि शासन पहले ही इस घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश कर चुका है.

सूत्रों के मुताबिक, आयुष एडमिशन घोटाले (Ayush admission scam) के मामले में एसटीएफ ने निलंबित कार्यवाहक डायरेक्टर डाॅ. एसएन सिंह, निलंबित प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय, आयुर्वेद सेवाएं डा. उमाकांत यादव, डाटा फीडिंग का काम कर रही कंपनी अपट्राॅन पावरट्राॅनिक्स द्वारा नामित वेंडर कंपनी के प्रतिनिधि कुलदीप व अपट्राॅन के कई कर्मचारियों समेत 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में आयुष काॅलेजों में पिछले शैक्षिक सत्र-2021 में 891 फर्जी छात्रों के एडमिशन का मामला सामने आया था. इस मामले में तत्कालीन कार्यवाहक डायरेक्टर, आयुर्वेदिक सेवाएं प्रो. एसएन सिंह की ओर से चार नवंबर को हजरतगंज कोतवाली में डाटा फीडिंग का काम कर रही कंपनी अपट्राॅन पावरट्राॅनिक्स तथा उसके द्वारा नामित वेंडर कंपनी वी-3 साॅफ्ट साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह समेत अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई गई थी. आरोप था कि, शैक्षिक सत्र-2021 में नीट-यूजी की मेरिट को अनदेखा करते हुए आयुर्वेद, होम्योपैथिक व यूनानी काॅलेजों में 891 अभ्यर्थियों को आयुष काॅलेजों में प्रवेश दिया गया, जिनके नाम मेरिट लिस्ट में नहीं थे. यही नहीं कम मेरिट वाले छात्रों को अच्छे काॅलेज आवंटित किए गए थे.


सीएम योगी ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए जांच एसटीएफ को सौंप दी थी. एसटीएफ ने जांच शुरू करते हुए 23 काॅलेजों के प्राचार्याें को नोटिस देकर तलब किया था और उनसे भी बारी-बारी पूछताछ चल रही थी. पूछताछ में सामने आया कि आयुर्वेद, होम्योपैथिक व यूनानी काॅलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों के दाखिलों में खूब बंदरबाट हुई. मेरिट सूची में खेलकर अधिकारियों व कंपनी की मिलीभगत से बीएएमएस, बीयूएमएस व बीएचएमएस पाठ्यक्रमों में ऐसे लगभग 891 विद्यार्थियों को गलत ढंग से दाखिला दिए जाने की पुष्टि हुई है. शासन ने 7 नवंबर को इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की सिफारिश की थी, हालांकि सीबीआई ने अब तक यह केस अपने हाथ में नहीं लिया है.

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Last Updated : Nov 18, 2022, 6:29 AM IST
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