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एसपीजीआई की बड़ी उपलब्धि, 150 किलो वजनी मरीज का किया सफल ऑपरेशन

एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉक्टरों ने 150 किलो वजन के मरीज का सफल इलाज किया है. डॉक्टरों के मुताबिक मरीज को दिल की गंभीर बीमारी थी. वजन अधिक होने के चलते ऑपरेशन काफी मुश्किल था.

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एसपीजीआई की बड़ी उपलब्धी
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Published : Apr 8, 2022, 10:33 PM IST

लखनऊ: राजधानी में एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने दिल की गंभीर बीमारी से जूझ रहे 150 किलो वजन के मरीज की जिंदगी बचाने में कामयाबी हासिल की है. डॉक्टरों के मुताबिक ऑपरेशन काफी मुश्किल था क्योंकि एक तो मरीज का हृदय की पंपिंग कम हो गयी थी. अधिक वजन की वजह से मरीज में पेसमेकर लगाना बेहद कठिन था. जैसे-तैसे खास तरह की एक सुई का उपयोग कर मरीज के गर्दन की नस में सुराख कर पेसमेकर लगाया गया है.

पीजीआई में कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ. रूपाली खन्ना के मुताबिक मोटे मरीजों में ऑपरेशन की चुनौतियां ज्यादा होतीं हैं. मोटापे में वसा ज्यादा होने के कारण गर्दन में नस को पंचर (सुराख) करना मुश्किल हो जाता है. इस सुराख के माध्यम से पेसमेकर को डालने की आवश्यकता होती है. आमतौर पर पंचर करने के लिए पांच सेमी लंबाई की सुई का उपयोग किया जाता है. पर, मरीज का वजन अधिक है. इसके चलते नस में सुराख करने के लिए एक विशेष सुई का उपयोग किया गया था. सफलतापूर्वक इलाज कर के मरीज को दो दिनों के भीतर ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

लखनऊ: राजधानी में एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने दिल की गंभीर बीमारी से जूझ रहे 150 किलो वजन के मरीज की जिंदगी बचाने में कामयाबी हासिल की है. डॉक्टरों के मुताबिक ऑपरेशन काफी मुश्किल था क्योंकि एक तो मरीज का हृदय की पंपिंग कम हो गयी थी. अधिक वजन की वजह से मरीज में पेसमेकर लगाना बेहद कठिन था. जैसे-तैसे खास तरह की एक सुई का उपयोग कर मरीज के गर्दन की नस में सुराख कर पेसमेकर लगाया गया है.

पीजीआई में कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ. रूपाली खन्ना के मुताबिक मोटे मरीजों में ऑपरेशन की चुनौतियां ज्यादा होतीं हैं. मोटापे में वसा ज्यादा होने के कारण गर्दन में नस को पंचर (सुराख) करना मुश्किल हो जाता है. इस सुराख के माध्यम से पेसमेकर को डालने की आवश्यकता होती है. आमतौर पर पंचर करने के लिए पांच सेमी लंबाई की सुई का उपयोग किया जाता है. पर, मरीज का वजन अधिक है. इसके चलते नस में सुराख करने के लिए एक विशेष सुई का उपयोग किया गया था. सफलतापूर्वक इलाज कर के मरीज को दो दिनों के भीतर ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

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