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एलयू में मनाया गया 101वां स्थापना दिवस...जानिए हुई थी विश्वविद्यालय की शुरूआत - एलयू की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे. लखनऊ विश्वविद्यालय में मनाया गया स्थापना दिवस. चंदा जमा करके हुई थी लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना.

एलयू में मनाया गया 101वां स्थापना दिवस
एलयू में मनाया गया 101वां स्थापना दिवस
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Published : Nov 25, 2021, 9:21 PM IST

लखनऊ : एलयू(लखनऊ यूनीवर्सिटी) ने आज 101 साल पूरे कर लिए हैं. 101 वर्ष पूरे होने पर गुरुवार को विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस मनाया गया. एलयू की स्थापना 25 नवंबर 1920 को हुई थी, वर्ष 1921 में यहां अध्यापन शुरु हो गया. 101 साल के इस सफर में विश्वविद्यालय में कई उतार-चढ़ाव हुए. विश्वविद्यायल के 101 वर्ष के सफर का हर पन्ना अपने साथ एक इतिहास को संजोए हुए है. अवध की आन और यूपी की शान कहे जाने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय कई कर्मयोगियों की दीक्षा का केंन्द्र रहा है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा, पूर्व राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला, हरीश रावत से लेकर कई बड़े नामचीन लोगों ने यहां से शिक्षा ग्रहण की है. मौजूदा समय में एलयू उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है.

ऐसे हुई थी विश्वविद्यालय की स्थापना

वर्ष 1915 के आस-पास समय यह वह दौर था, जब शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो रहा था. उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय हुआ करता था. अवध के ताल्लुकेदार चाहते थे कि लखनऊ में ही विश्वविद्यालय बने. तब राजा महमूदाबाद सर मोहम्मद अली मोहम्मद खान बहादुर ने विश्वविद्यालय की बुनियाद रखी. कहा जाता है कि यूनाईटेड प्रोविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर का शिक्षा की तरफ काफी रुझान था, राजा महमूदाबाद इस बात से वाकिफ थे. विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए राजा महमूदाबाद ने उस दौर के एक अंग्रेजी अखबार में लेख के माध्यम से अवध में विश्वविद्यालय की जरूरत पर जोर दिया.

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे

जिसके बाद 10 नवंबर 1919 को हुई एक बैठक में इसे आवासीय यूनिवर्सिटी बनाने का फैसला लिया गया. 12 अगस्त 1920 में ‘लखनऊ विश्वविद्यालय बिल’ कुंवर महाराजा सिंह द्वारा विधान परिषद में रखा गया. 8 अक्टूबर 1920 को इसे पारित कर दिया गया. उस समय राजा महमूदाबाद और जहांगीराबाद ने एक-एक लाख रुपये की धनराशि इसके निर्माण के लिए दी थी. इलके अलावा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए ताल्लुकेदारों ने 30 लाख रुपये चंदा इकट्ठा किया था. जिसके बाद कैनिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय बना दिया गया. इलाहाबाद विवि से रिटायर रजिस्ट्रार ज्ञानेंद्र नाथ चक्रवर्ती को यहां का पहला कुलपति बनाया गया था.

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे

16 दिसंबर 1920 को 3,000 रुपये प्रतिमाह की तनख्वाह पर 5 वर्ष के लिए ज्ञानेंद्र नाथ चक्रवर्ती ने विश्वविद्यालय का कार्यभार संभाला. आगरा कॉलेज के मेजर टीएफओ डोनेल ने 1200 रुपये प्रति माह वेतन पर कुलसचिव पद की जिम्मेदारी संभाली. जिसके बाद एक जुलाई 1921 को विश्वविद्यालय का सत्र शुरू हुआ.

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे

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विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. बीएन पुरी अपनी किताब ‘हिस्ट्री ऑफ लखनऊ यूनिवर्सिटी’ में इस विश्वविद्यालय के इतिहास के संजोया है. वह लिखते हैं, 1921 के मई-जून में लखनऊ विश्वविद्यालय के लिए बड़ी मुश्किल से बेहतरीन शिक्षकों की तलाश की गई. विश्वविद्यालय की पहली एकेडमिक काउंसिल की बैठक 10 अगस्त 1921 में हुई.

इसमें प्रो. राधा कमल मुखर्जी, प्रो. बीरबल साहनी जैसे दिग्गज शिक्षाविद थे. प्रोफेसर में अंग्रेजी विभाग में सीजे ब्राउन व एचएस वॉकर, दर्शनशास्त्र में एमबी कॉमरून व जेजे कॉर्नेलियस, गणित में जेए स्ट्रेंग व लक्ष्मी नारायण, भौतिक विभाग में पुराने कैनिंग कॉलेज से डीबी देवधर को लिया गया. अर्थशास्त्र में बीबी मुखर्जी, संस्कृत में केए सुब्रह्मण्यम अय्यर और रसायन विज्ञान में एसएम साने को बतौर रीडर जोड़ा गया.

इस काउंसलिग में मेडिकल कॉलेज का प्रतिनिधित्व लेफ्टिनेंट कर्नल स्प्रासन, लेफ्टिनेंट कर्नल एचआर नट (दोनों इंडियन मेडिकल सर्विसेज से थे) ने किया. जेजी मुखर्जी, रघुनंदन लाल, एसएस जफर खान, जेपी मोदी, डीडी पाण्डेय, और जीआर ताम्बे भी शामिल हुए. शुरुआती संकायों में कला, विज्ञान, वाणिज्य, मेडिसिन और विधि शामिल किए गए.

इसे पढ़ें- वसीम रिजवी बोले- राहुल गांधी की सहमति से मेरा सिर काटने पर रखा इनाम...

लखनऊ : एलयू(लखनऊ यूनीवर्सिटी) ने आज 101 साल पूरे कर लिए हैं. 101 वर्ष पूरे होने पर गुरुवार को विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस मनाया गया. एलयू की स्थापना 25 नवंबर 1920 को हुई थी, वर्ष 1921 में यहां अध्यापन शुरु हो गया. 101 साल के इस सफर में विश्वविद्यालय में कई उतार-चढ़ाव हुए. विश्वविद्यायल के 101 वर्ष के सफर का हर पन्ना अपने साथ एक इतिहास को संजोए हुए है. अवध की आन और यूपी की शान कहे जाने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय कई कर्मयोगियों की दीक्षा का केंन्द्र रहा है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा, पूर्व राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला, हरीश रावत से लेकर कई बड़े नामचीन लोगों ने यहां से शिक्षा ग्रहण की है. मौजूदा समय में एलयू उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है.

ऐसे हुई थी विश्वविद्यालय की स्थापना

वर्ष 1915 के आस-पास समय यह वह दौर था, जब शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो रहा था. उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय हुआ करता था. अवध के ताल्लुकेदार चाहते थे कि लखनऊ में ही विश्वविद्यालय बने. तब राजा महमूदाबाद सर मोहम्मद अली मोहम्मद खान बहादुर ने विश्वविद्यालय की बुनियाद रखी. कहा जाता है कि यूनाईटेड प्रोविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर का शिक्षा की तरफ काफी रुझान था, राजा महमूदाबाद इस बात से वाकिफ थे. विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए राजा महमूदाबाद ने उस दौर के एक अंग्रेजी अखबार में लेख के माध्यम से अवध में विश्वविद्यालय की जरूरत पर जोर दिया.

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे

जिसके बाद 10 नवंबर 1919 को हुई एक बैठक में इसे आवासीय यूनिवर्सिटी बनाने का फैसला लिया गया. 12 अगस्त 1920 में ‘लखनऊ विश्वविद्यालय बिल’ कुंवर महाराजा सिंह द्वारा विधान परिषद में रखा गया. 8 अक्टूबर 1920 को इसे पारित कर दिया गया. उस समय राजा महमूदाबाद और जहांगीराबाद ने एक-एक लाख रुपये की धनराशि इसके निर्माण के लिए दी थी. इलके अलावा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए ताल्लुकेदारों ने 30 लाख रुपये चंदा इकट्ठा किया था. जिसके बाद कैनिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय बना दिया गया. इलाहाबाद विवि से रिटायर रजिस्ट्रार ज्ञानेंद्र नाथ चक्रवर्ती को यहां का पहला कुलपति बनाया गया था.

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे

16 दिसंबर 1920 को 3,000 रुपये प्रतिमाह की तनख्वाह पर 5 वर्ष के लिए ज्ञानेंद्र नाथ चक्रवर्ती ने विश्वविद्यालय का कार्यभार संभाला. आगरा कॉलेज के मेजर टीएफओ डोनेल ने 1200 रुपये प्रति माह वेतन पर कुलसचिव पद की जिम्मेदारी संभाली. जिसके बाद एक जुलाई 1921 को विश्वविद्यालय का सत्र शुरू हुआ.

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष हुए पूरे

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विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. बीएन पुरी अपनी किताब ‘हिस्ट्री ऑफ लखनऊ यूनिवर्सिटी’ में इस विश्वविद्यालय के इतिहास के संजोया है. वह लिखते हैं, 1921 के मई-जून में लखनऊ विश्वविद्यालय के लिए बड़ी मुश्किल से बेहतरीन शिक्षकों की तलाश की गई. विश्वविद्यालय की पहली एकेडमिक काउंसिल की बैठक 10 अगस्त 1921 में हुई.

इसमें प्रो. राधा कमल मुखर्जी, प्रो. बीरबल साहनी जैसे दिग्गज शिक्षाविद थे. प्रोफेसर में अंग्रेजी विभाग में सीजे ब्राउन व एचएस वॉकर, दर्शनशास्त्र में एमबी कॉमरून व जेजे कॉर्नेलियस, गणित में जेए स्ट्रेंग व लक्ष्मी नारायण, भौतिक विभाग में पुराने कैनिंग कॉलेज से डीबी देवधर को लिया गया. अर्थशास्त्र में बीबी मुखर्जी, संस्कृत में केए सुब्रह्मण्यम अय्यर और रसायन विज्ञान में एसएम साने को बतौर रीडर जोड़ा गया.

इस काउंसलिग में मेडिकल कॉलेज का प्रतिनिधित्व लेफ्टिनेंट कर्नल स्प्रासन, लेफ्टिनेंट कर्नल एचआर नट (दोनों इंडियन मेडिकल सर्विसेज से थे) ने किया. जेजी मुखर्जी, रघुनंदन लाल, एसएस जफर खान, जेपी मोदी, डीडी पाण्डेय, और जीआर ताम्बे भी शामिल हुए. शुरुआती संकायों में कला, विज्ञान, वाणिज्य, मेडिसिन और विधि शामिल किए गए.

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