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मोहब्बत की अनूठी मिसाल: नेत्रहीन युवती से रचाई शादी, दोस्त और ग्रामीणों ने निभाई रस्में - नेत्रहीन युवती की शादी

उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में एक अनोखी शादी देखने को मिली, जब एक युवक नेत्रहीन युवती से शादी करने के लिए दोस्तों के साथ बारात लेकर पहुंच गया. इस बारात में युवक के न ही परिजन शामिल थे न ही कोई सगा-संबंधी.

मोहब्बत की अनूठी मिसाल
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Published : Jul 19, 2021, 7:08 PM IST

ललितपुर: कहते हैं प्यार न तो रंग देखता है और न ही जाति धर्म, क्योंकि प्यार अंधा होता है न. उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में भी ऐसे ही एक अनोखे प्यार की कहानी देखने और सुनने को मिली. जहां एक युवक ने परिजनों के खिलाफ जाकर नेत्रहीन लड़की से शादी कर प्यार और मोहब्बत की मिसाल पेश की है.

दरअसल ललितपुर जिले के मड़ावरा ब्लॉक अंतर्गत मदनपुर कस्बे में रहने वाले बब्बू रायकवार की बेटी वंदना जन्म से ही नेत्रहीन थी, जिसकी वजह से उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी नेत्रहीन बेटी की कभी शादी भी होगी. लेकिन मध्यप्रदेश के सागर जिले के मड़ावन ग्राम में रहने वाले पेशे से कारीगर मोहन रायकवार ने एक बार जब वंदना को देखा तो उसे वंदना से एक तरफा प्रेम हो गया और वंदना से ही शादी करने की उसने ठान ली.

मोहन रायकवार ने 15 जुलाई को बारात लेकर नेत्रहीन वंदना के घर पहुंचा और हिन्दू रीति-रिवाज के साथ शादी कर एक अनोखी मिशाल पेश की.

दोनों की अनूठी शादी पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. वहीं मोहन ने नेत्रहीन वंदना से इस जन्म ही नहीं सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा कर लिया. यही नहीं मोहन का कहना है कि वह वंदना को अच्छे से अच्छे आई स्पेशलिस्ट को दिखाकर उसकी आंखों की रोशनी लाने की कोशिश करेगा , अगर वह फिर से देख सकेगी तो और भी अच्छा होगा, लेकिन मेरे लिये तो वंदना का मेरे साथ रहना ही काफी है.

दरअसल मोहन के परिजन शादी के खिलाफ थे और वह शादी में शामिल नहीं हुए. यहां तक कि मां और भाई ने शादी के पहले ही मोहन को घर से निकाल दिया था. मोहन रायकवार ने बताया कि वह 15 सालों से मध्य प्रदेश के इंदौर के मऊ में कारीगरी का काम करता है. एक महीने पहले उसके पिता के दोस्त करन सिंह का फोन आया कि उसकी शादी के लिए उसने उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के कस्बा मदनपुर में एक लड़की देखी है. वह जन्म से ही नेत्रहीन है. मोहन मऊ से गांव पहुंचा और लड़की देखने के लिए अपनी मां, छोटे भाई और रिश्तेदारों के साथ ग्राम मदनपुर गया.

वंदना को देखकर मोहन का दिल उस पर आ गया. इसके अलावा उससे वंदना का दुख भी नहीं देखा गया और उसने शादी के लिए हां बोल दिया, लेकिन शादी को लेकर मोहन की मां, भाई और रिश्तेदार नाराज हो गए और उसे घर से निकाल दिया. इसके बाद मोहन पिता के दोस्त करन सिंह के घर पहुंचा और आपबीती सुनाई. इसके बाद करन सिंह और दोस्तों ने उसका साथ दिया और वह बाराती बन कर 15 जुलाई को शादी करने के लिए मदनपुर पहुंचे. यहां हिन्दू रीति-रिवाज के साथ उसकी शादी हुई.

ललितपुर: कहते हैं प्यार न तो रंग देखता है और न ही जाति धर्म, क्योंकि प्यार अंधा होता है न. उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में भी ऐसे ही एक अनोखे प्यार की कहानी देखने और सुनने को मिली. जहां एक युवक ने परिजनों के खिलाफ जाकर नेत्रहीन लड़की से शादी कर प्यार और मोहब्बत की मिसाल पेश की है.

दरअसल ललितपुर जिले के मड़ावरा ब्लॉक अंतर्गत मदनपुर कस्बे में रहने वाले बब्बू रायकवार की बेटी वंदना जन्म से ही नेत्रहीन थी, जिसकी वजह से उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी नेत्रहीन बेटी की कभी शादी भी होगी. लेकिन मध्यप्रदेश के सागर जिले के मड़ावन ग्राम में रहने वाले पेशे से कारीगर मोहन रायकवार ने एक बार जब वंदना को देखा तो उसे वंदना से एक तरफा प्रेम हो गया और वंदना से ही शादी करने की उसने ठान ली.

मोहन रायकवार ने 15 जुलाई को बारात लेकर नेत्रहीन वंदना के घर पहुंचा और हिन्दू रीति-रिवाज के साथ शादी कर एक अनोखी मिशाल पेश की.

दोनों की अनूठी शादी पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. वहीं मोहन ने नेत्रहीन वंदना से इस जन्म ही नहीं सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा कर लिया. यही नहीं मोहन का कहना है कि वह वंदना को अच्छे से अच्छे आई स्पेशलिस्ट को दिखाकर उसकी आंखों की रोशनी लाने की कोशिश करेगा , अगर वह फिर से देख सकेगी तो और भी अच्छा होगा, लेकिन मेरे लिये तो वंदना का मेरे साथ रहना ही काफी है.

दरअसल मोहन के परिजन शादी के खिलाफ थे और वह शादी में शामिल नहीं हुए. यहां तक कि मां और भाई ने शादी के पहले ही मोहन को घर से निकाल दिया था. मोहन रायकवार ने बताया कि वह 15 सालों से मध्य प्रदेश के इंदौर के मऊ में कारीगरी का काम करता है. एक महीने पहले उसके पिता के दोस्त करन सिंह का फोन आया कि उसकी शादी के लिए उसने उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के कस्बा मदनपुर में एक लड़की देखी है. वह जन्म से ही नेत्रहीन है. मोहन मऊ से गांव पहुंचा और लड़की देखने के लिए अपनी मां, छोटे भाई और रिश्तेदारों के साथ ग्राम मदनपुर गया.

वंदना को देखकर मोहन का दिल उस पर आ गया. इसके अलावा उससे वंदना का दुख भी नहीं देखा गया और उसने शादी के लिए हां बोल दिया, लेकिन शादी को लेकर मोहन की मां, भाई और रिश्तेदार नाराज हो गए और उसे घर से निकाल दिया. इसके बाद मोहन पिता के दोस्त करन सिंह के घर पहुंचा और आपबीती सुनाई. इसके बाद करन सिंह और दोस्तों ने उसका साथ दिया और वह बाराती बन कर 15 जुलाई को शादी करने के लिए मदनपुर पहुंचे. यहां हिन्दू रीति-रिवाज के साथ उसकी शादी हुई.

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