ललितपुर: जिले में आज सुबह अलग-अलग जगह पर 2 किसानों ने आत्महत्या कर ली. जिले में पिछले सात दिनों में 6 किसानों की मौत हो गई है. किसानों का आरोप है कि जिले भर के खाद व्यापारियों द्वारा डीएपी तथा यूरिया की जमाखोरी कर ओवररेटिंग की जा रही है, वहीं व्यापारियों का कहना है कि उन्हें ऊपर से ही बढ़े हुये दामों में खाद दी जा रही है, जिसके बाद भाड़ा और पल्लेदारी जोड़ने के बाद दामों में बढ़ोत्तरी उनकी मजबूरी है.
जनपद में आलम यह है कि जरूरतमंद किसान 50 किग्रा वजन डीएपी की एक बोरी 1400 रुपये तक मे लेने को तैयार है. बावजूद इसके उन्हें खाद नहीं मिल रही है. गौरतलब है की जनपद के अधिकतर हिस्सों में अच्छी बारिश हो जाने से मटर, मसूर और चने की बोहनी के लिए पलेवा करने की जरुरत नहीं है. अब एक साथ बोहनी का मौका मिलने से किसान खाद की व्यवस्था के लिए भी एक साथ उमड़ पड़ा.
दो और किसान की मौत
जिले के केलागुआ गांव के रहने वाले गनेश पुत्र जलुआ रैकवार ने अपने खेत के कुंए में कूदकर आत्महत्या कर ली. गनेश के 3 लड़के और 2 लड़की है. जिसमें 2 बच्चों की शादी नहीं हो पाई है. परिजनों ने बताया कि आर्थिक तंगी व मानसिक तनाव के चलते ऐसा कदम उठाया है.
वहीं जिले के मसोरा खुर्द गांव के रहने वाले रघवीर पटेल के परिजनों ने बताया कि आर्थिक तंगी से परेशान थे. सही समय पर खाद नहीं मिलने खेत बुबाई नहीं हो पाई. इसलिए रघवीर ने आत्महत्या कर ली है.
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हफ्ते भर में इन चार किसानों ने गंवाई जान
22 अक्टूबर: खाद के लिए दो दिन से लाइन में लगे नयागांव निवासी 55 वर्षीय किसान भोगी पाल की मौत हो गई थी.
25 अक्टूबर: कोतवाली सदर क्षेत्र के मैलवारा खुर्द निवासी सोनी अहिरवार (40) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
26 अक्टूबर: थाना नाराहट के ग्राम बनयाना निवासी 30 साल के किसान महेश बुनकर की मौत हो गई थी.
27 अक्टूबर: बल्लू पाल ने फांसी लगाई थी.
जनपद ललितपुर में खाद खरीद की लाइन में लगने से हुई किसान की मौत के बाद कांग्रेस महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने जिले के दौरा किया था. प्रियंका ने जिले के पाली क्षेत्र में मृतक किसान के परिजनों मिली थी. इसके बाद प्रियंका से सभी किसान परिवारों ने आर्थिक संकट की बात कही तो उन्होंने ने सभी को 5-5 लाख की आर्थिक मदद देने के लिए भरोसा दिया था. उन्होंने कहा था कि कर्ज चुकाने के साथ पांच लाख की मदद और बच्चों की पढ़ाई की जिम्मा भी कांग्रेस लेगी.