लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में बीते दो दशक से अधिक समय से अपनी सेवा दे रहे शिक्षक पदोन्नति को लेकर काफी समय से इंतजार कर रहे हैं. शिक्षकों की पदोन्नति का आलम यह है कि बीते एक दशक से राजधानी लखनऊ में ही शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ नहीं दिया गया है, जिसके कारण इन शिक्षकों को अपना वेतनमान निर्धारण कराने के साथ ही वरिष्ठता सूची तय कराने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पदोन्नति न होने के पीछे शिक्षकों का कहना है कि 'विभाग ने पदोन्नति का जो मानक निर्धारित किया है वह इतना कठिन हो गया है कि उसे पूरा किए बिना बेसिक शिक्षा विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को पदोन्नति मिल पाना काफी कठिन है. शिक्षकों का कहना है कि सहायक अध्यापक से प्रधानाध्यापक की पदोन्नति को लेकर शिक्षक काफी परेशान हैं, इतना ही नहीं पदोन्नत वेतनमान भी लटका हुआ है.'
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि 'बेसिक विभाग में तैनात शिक्षकों को बीते कई वर्षों से प्रोन्नत वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि अगर लखनऊ की ही बात करें तो यहां के 1600 से अधिक विद्यालयों में 2013 में आखिरी बार प्रमोशन हुआ था, जबकि प्रोन्नत वेतनमान का लाभ देने का मामला उससे भी पहले से चल रहा है. राजधानी लखनऊ में ही सैकड़ों शिक्षक ऐसे हैं जो 2013 से पहले हुए प्रमोशन के प्रोन्नत वेतनमान के लिए आज भी विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, वहीं प्रदेश के 40 से अधिक जिलों में शिक्षक वर्षों से प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों में लगे हैं, लेकिन उनका अभी तक प्रमोशन नहीं किया गया है. विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम होने से उनकी पदोन्नति पिछले 10 वर्षों से रुकी है. प्राथमिक शिक्षक संघ ने कहा कि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं तो संघ अधिकारियों का घेराव करेगा और धरना देगा.'
विनय सिंह ने बताया कि 'प्रदेश के ज्यादातर जिलों में आखिरी बार साल 2013 में शिक्षकों का प्रमोशन किया गया था. वह बताते हैं कि बेसिक स्कूलों में प्रमोशन के दो नियम हैं. एक प्राथमिक के सहायक अध्यापक, दूसरा प्राइमरी के प्रधानाध्यापक व जूनियर के सहायक अध्यापक को प्रमोशन मिलता है. उन्होंने बताया कि विभाग में नियमानुसार, हर साल शिक्षक को प्रमोशन दिया जाना चाहिए, वहीं प्रदेश के करीब डेढ़ लाख से अधिक बेसिक विद्यालयों में 80 हजार से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां पर छात्र संख्या कम होने के कारण शिक्षकों को समय पर प्रमोशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने बताया कि पदोन्नति पर शिक्षकों को प्रोन्नत वेतनमान मिलता है. आखिरी बार यह पदोन्नत वेतनमान साल 2005 में दिया गया था. विनय सिंह ने बताया कि इसके लिए भी एक नियम है, जो शिक्षक एक ही पद पर 10 साल रहता है उसे एक बार उसी पद पर 12 साल रहने पर दो पदोन्नत वेतनमान का लाभ दिया जाना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी विभाग इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर रहा है.'
बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े आंकड़े
- प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के कुल विद्यालयों की संख्या 1.51 लाख से अधिक है.
- इन विद्यालयों में कार्यरत कुल शिक्षकों की संख्या पांच लाख से अधिक है.
- राजधानी लखनऊ में ही साल 2013 में आखिरी बार हुआ था शिक्षकों का प्रमोशन.
- राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई जिलों में पदोन्नति न होने से शिक्षकों को वेतनमान में अनियमितताओं का सामना करना पड़ता है.