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ललितपुर में मनरेगा में भ्रष्टाचार के आरोप में 2 ग्राम विकास अधिकारी समेत 4 पर FIR - Diversion of government money in MNREGA scheme

ललितपुर में मनरेगा में भ्रष्टाचार के आरोप में 2 ग्राम विकास अधिकारी समेत प्रधान व तकनीकी सहायक पर FIR हुई है. जिला अधिकारी द्वारा कार्रवाई की गई है. मनरेगा में भ्रष्टाचार का मामला ब्लॉक मड़ावरा विकास खंड का है.

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दो ग्राम विकास अधिकारी समेत चार पर FIR
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Published : Nov 27, 2022, 9:24 PM IST

ललितपुर: विकासखंड मड़ावरा की ग्राम पंचायत रमगढ़ा में महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना में घालमेल कर सरकारी धन में हरेफेर किया गया. हेरफेर के आरोप में ग्रामप्रधान, 2 पंचायत सेक्रेटरी एवं तकनीकी सहायक के ऊपर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है.

मामला विकासखंड मड़ावरा की ग्राम पंचायत रमगढ़ा से जुड़ाव हुआ है. गांव निवासी और सौंरई सीट से जिला पंचायत सदस्य वीरसिंह बुंदेला ने जिला पंचायत की बैठक में रमगढ़ा एवं खुटगुवां ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत विकास कार्यों में अनियमितता बरते जाने की शिकायत की गई थी. शिकायत पर आवश्यक जांच पड़ताल के लिये मुख्य विकास अधिकारी ने जांच टीम गठित की. जांच दल ने मौके पर जाकर विकास कार्यों का सत्यापन किया. सत्यापन के दौरान पाया गया कि ग्राम पंचायत रमगढ़ा में जालम पुत्र सुंदर के खेत पर मेड़ बंधी काम नहीं किया गया है. जबकि इस काम के लिए 1.66 लाख रुपए पास किए गए थे. जांच में पता चला की खेत में मेड़ बंधी के नाम पर फर्जी मस्टररोल, एमबी एवं फोटोग्राफ लगाए गए थे.

वहीं, जांच में सोमेश पुत्र हीरालाल के खेत पर तालाब निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया गया. जहां पाया गया कि सोमेश के खेत पर कोई तालाब निर्माण नहीं किया गया है. जबकि, तालाब का निर्माण कार्य आशाराम पुत्र गंदू के खेत पर पाया गया. जबकि भूमि संरक्षण अधिकारी महरौनी द्वारा उप्लब्ध कराई गई सूची में उक्त तालाब निर्माण का कार्य भूमि संरक्षण विभाग द्वारा कराया जाना बताया गया है. बगैर कार्य कराये ही विकास कार्यों के नाम पर धन निकासी के लिये फर्जी मस्टररोल, एमबी एवं कार्यपूर्ति के फर्जी फोटोग्राफ तैयार किए गए. इन सब फर्जी दस्तोवेजो पर हस्ताक्षर अंकित करने वाले तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव शैलेन्द्र प्रजापति, निवर्तमान सचिव कमलेश कुमार, मनरेगा तकनीकी सहायक परशुराम कोरी एवं ग्राम प्रधान रमगढ़ा तुलसीराम के विरुद्ध तत्कालीन खंड विकास अधिकारी दीपेंद्र पाण्डेय की तहरीर पर गिरार पुलिस ने आईपीसी की सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया है.

आखिर कैसे बच गया रोजगार सेवक:मनरेगा के तहत विकास कार्यों में घालमेल के आरोपों में जहां दो पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक एवं ग्रामप्रधान पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किये जाने से महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. तो वहीं मनरेगा के तहत कराये जाने वाले विकास कार्यों की आईडी जनरेट करने से लेकर लोकेशन, मस्टर रोल जनरेट, मजदूरों के नाम और बैंक डिटेल फीडिंग, कार्य प्रारंभ के फोटोग्राफ अपलोड करने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी रोजगार सेवक की होती है. लेकिन, यह एक यक्षप्रश्न है कि रमगढ़ा प्रकरण की जांच आख्या में रोजगार सेवक की भूमिका को बखूबी दरकिनार क्यों कर दिया गया. अंदरखाने बातचीत में चर्चा है कि रोजगार सेवक शिकायत करता का खास बताया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: ललितपुर में मनरेगा में भ्रष्टाचार के आरोप में DM ने दिया वीडियो पर FIR का आदेश

ललितपुर: विकासखंड मड़ावरा की ग्राम पंचायत रमगढ़ा में महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना में घालमेल कर सरकारी धन में हरेफेर किया गया. हेरफेर के आरोप में ग्रामप्रधान, 2 पंचायत सेक्रेटरी एवं तकनीकी सहायक के ऊपर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है.

मामला विकासखंड मड़ावरा की ग्राम पंचायत रमगढ़ा से जुड़ाव हुआ है. गांव निवासी और सौंरई सीट से जिला पंचायत सदस्य वीरसिंह बुंदेला ने जिला पंचायत की बैठक में रमगढ़ा एवं खुटगुवां ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत विकास कार्यों में अनियमितता बरते जाने की शिकायत की गई थी. शिकायत पर आवश्यक जांच पड़ताल के लिये मुख्य विकास अधिकारी ने जांच टीम गठित की. जांच दल ने मौके पर जाकर विकास कार्यों का सत्यापन किया. सत्यापन के दौरान पाया गया कि ग्राम पंचायत रमगढ़ा में जालम पुत्र सुंदर के खेत पर मेड़ बंधी काम नहीं किया गया है. जबकि इस काम के लिए 1.66 लाख रुपए पास किए गए थे. जांच में पता चला की खेत में मेड़ बंधी के नाम पर फर्जी मस्टररोल, एमबी एवं फोटोग्राफ लगाए गए थे.

वहीं, जांच में सोमेश पुत्र हीरालाल के खेत पर तालाब निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया गया. जहां पाया गया कि सोमेश के खेत पर कोई तालाब निर्माण नहीं किया गया है. जबकि, तालाब का निर्माण कार्य आशाराम पुत्र गंदू के खेत पर पाया गया. जबकि भूमि संरक्षण अधिकारी महरौनी द्वारा उप्लब्ध कराई गई सूची में उक्त तालाब निर्माण का कार्य भूमि संरक्षण विभाग द्वारा कराया जाना बताया गया है. बगैर कार्य कराये ही विकास कार्यों के नाम पर धन निकासी के लिये फर्जी मस्टररोल, एमबी एवं कार्यपूर्ति के फर्जी फोटोग्राफ तैयार किए गए. इन सब फर्जी दस्तोवेजो पर हस्ताक्षर अंकित करने वाले तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव शैलेन्द्र प्रजापति, निवर्तमान सचिव कमलेश कुमार, मनरेगा तकनीकी सहायक परशुराम कोरी एवं ग्राम प्रधान रमगढ़ा तुलसीराम के विरुद्ध तत्कालीन खंड विकास अधिकारी दीपेंद्र पाण्डेय की तहरीर पर गिरार पुलिस ने आईपीसी की सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया है.

आखिर कैसे बच गया रोजगार सेवक:मनरेगा के तहत विकास कार्यों में घालमेल के आरोपों में जहां दो पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक एवं ग्रामप्रधान पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किये जाने से महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. तो वहीं मनरेगा के तहत कराये जाने वाले विकास कार्यों की आईडी जनरेट करने से लेकर लोकेशन, मस्टर रोल जनरेट, मजदूरों के नाम और बैंक डिटेल फीडिंग, कार्य प्रारंभ के फोटोग्राफ अपलोड करने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी रोजगार सेवक की होती है. लेकिन, यह एक यक्षप्रश्न है कि रमगढ़ा प्रकरण की जांच आख्या में रोजगार सेवक की भूमिका को बखूबी दरकिनार क्यों कर दिया गया. अंदरखाने बातचीत में चर्चा है कि रोजगार सेवक शिकायत करता का खास बताया जा रहा है.

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