ललितपुर: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन घोषित किया गया है. लॉकडाउन की अवधि में स्कूल, कॉलेज व सभी कार्यालयों को बंद कर दिया गया है. आमजनता से लगातार अपने-अपने घरों में रहने की अपील की जा रही है और सरकारें किसान, गरीब और मजदूरों की हरसंभव मदद कर रही हैं, लेकिन इस संकट में बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में बैंक संस्थाएं कर्ज वसूली के लिए किसानों को नोटिस भेजकर दबाव बना रही हैं, जिससे किसान परेशान हो रहा है.
गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से दैवीय आपदाओं का शिकार हो रहे बुन्देलखण्ड के किसान बैंक, साहूकारों से कर्ज लेकर खेती करने को मजबूर हैं. इस साल कोरोना संकट के चलते किसानों की अभी चना, मटर, मसूर और गेहूं की फसल की कटाई हुई नहीं. जिले के ग्राम मैलवारा कलां समेत कई गांवों में प्रथमा सर्व यूपी बैंक ने किसानों को नोटिस जारी कर दिए हैं कि वह जल्द से जल्द अपने केसीसी (किसान कृषि कार्ड) पर लिए गए लोन की अदायगी करें. अन्यथा, कर्ज नहीं लौटाने की स्थिति में उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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न फसल बिक रहा न आमदनी है कोई
नोटिस मिलने के बाद से किसानों की हालत खराब हो रही अब वह इस स्थिति में बैंक से लिये कर्ज की भरपाई कैसे करेंगे, किसानों को यही चिंता खाये जा रही है. वहीं किसानें का कहना है कि समस्या ये है कि हम हर साल किसान कार्ड का पैसा भरते हैं. फिर भी नोटिस पहुंचा दिया. बंदी चल रही है फसल कट नहीं पा रही औऱ न ही बिक पा रही है. तो पैसे कहां से भरें और तब भी बैंक वाले परेशान कर रहे हैं. बैंक वालों ने चिट्ठी द्वारा नोटिस पहुंचाया है.
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वहीं अन्य किसान का कहना है दो साल पहले किसान क्रेडिट बनवाया था औऱ नोटिस आया है. उस साल फसल भी खराब हो गई थी और अब नोटिस आ गया और लॉकडाउन की वजह से फसल काट नहीं पा रहा और बिक नहीं पा रही है. अब कहा से भरूंगा पैसे.
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11 तारीख में बने थे नोटिस
वहीं इस मामले में अग्रणी जिला प्रबंधक का कहना है कि इस बात की जानकारी कल जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से मिली थी. वहीं बताया कि जिस व्यक्ति को लेकर ये बात कही गई थी मैं उनके गांव मैलवारा कला में गया था. हालांकि उनसे मुलाकात नही हुई और वो ललितपुर आ गए थे. उन्होंने कहा कि इस बात की कहीं कोई शिकायत नहीं की गई है. जब शाखा प्रबंधक से सारे तथ्यों की जांच की हमने तो 11 तारीख में इन्होंने नोटिस बनाये थे.
बैंक ने पोस्ट ऑफिस की बताई गलती
उन्होंने बताया कि एक सामान्य प्रकिया के दौरान, क्योंकि 31 मार्च की जो बैंको की लेखाबन्दी होती है. उस लेखाबन्दी को देखते हुए संबंधित बैंक का जो प्रधान कार्यालय का जो निर्देश था और सामान्य तरीके की गतिविधियों के लिए था. इन्होंने नोटिस बनाए थे औऱ बनाकर पोस्ट ऑफिस में दिया था. पोस्ट ऑफिस ने एक दिन में न निर्गत करके टुकड़े-टुकड़े में निर्गत किया है जो कि गलती पोस्ट ऑफिस की है. बैंक की गलती किसी स्तर से नहीं है. क्योंकि जितनी भी सारी प्रकिया है वो सब से पोस्ट ऑफिस के संबंधित व्यक्ति जो जिम्मेदार हैं. इससे संबंधित पोस्ट ऑफिस के जो बड़े अधिकारी हैं उनके संज्ञान में लेकर इस तथ्य की जांच करेंगे.