ललितपुर: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 साल तक बलात्कार के आरोप में जेल में सजा काट चुके व्यक्ति को आखिरकार निर्दोष साबित कर दिया है. पूरा मामला महरौनी कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सिलावन का है. 20 साल पहले 16 सितंबर को विष्णु तिवारी को गांव के कुछ लोगों ने बलात्कार के झूठे आरोप में फसाया था, जिसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. लेकिन 20 साल बाद विष्णु निर्दोष साबित हुआ है.
आपसी रंजिश में फंसाया गया युवक
ललितपुर जिले थाना महरौनी क्षेत्र के गांव सिलावन निवासी विष्णु के खिलाफ साल 2000 में एक अनुसूचित जाति की महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. इस मामले में उस दौरान सत्र न्यायालय ने विष्णु को 10 वर्ष और एससी-एसटी एक्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उस दौरान विष्णु की उम्र लगभग 16 वर्ष थी, तभी से विष्णु जेल में सजा काट रहा है. आजीवन कारावास की सजा होने के बाद उसे अप्रैल 2003 में आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था. अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विष्णु को बरी कर दिया है. इतना ही नहीं कोर्ट उसके 20 साल से जेल में बंद रहने पर भी हैरानी व्यक्त की है.
विष्णु तिवारी के घर में 5 भाई और माता पिता थे. विष्णु के जेल जाने के बाद से 20 सालों में उसका पूरा परिवार बर्बाद हो गया. विष्णु के पिता रामेश्वर प्रसाद तिवारी सामाजिक रूप से तिरस्कार मिलने का सदमा झेल नहीं सके और उन्हें लकवा हो गया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद विष्णु के बड़े भाई दिनेश तिवारी की भी मौत हो गई और सामाजिक तिरस्कार ने पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया. पांच भाइयों में दिनेश के बाद रामकिशोर तिवारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई. उनकी मां भी निर्दोष विष्णु को याद करते-करते चल बसीं. लेकिन विष्णु को परिवार के किसी भी सदस्य के अंतिम दर्शन के लिये बेल तक नही मिली.
परिजनों ने उठाए सवाल
परिजनों का कहना है कि अब सरकार ने विष्णु को निर्दोष तो साबित कर दिया. लेकिन अब क्या फायदा. क्या सरकार विष्णु के इन 20 सालों को लौटा सकती है, क्या उसके माता-पिता और भाइयों को लौटा सकती है. जो इज्जत समाज मे खराब हुई है और समाज के लोग आज भी उसी तरीके से उनके परिवार को देखते हैं, न ही किसी के पास बैठ सकते हैं और न ही किसी कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.