ललितपुर: उत्तर प्रदेश के ललितपुर स्थित सदन शाह की दरगाह पर 5 दिवसीय 104वां उर्स मनाया जा रहा है. यह मजार एक ऐसे कृष्ण भक्त की है जो पैदा मुस्लिम परिवार में हुए थे. पाकिस्तान से आए सदन शाह कृष्ण भगवान के भक्त थे. 'भक्तमल' नामक किताब में बाबा के कटे हाथों के चमत्कार की घटना दर्ज है.
कौन हैं बाबा सदन शाह: लोग बाबा सदन शाह को ईश्वर का शांति दूत मानते हैं. बाबा सदन का जन्म सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) में हुआ था. उनका बचपन का नाम जलालुद्दीन कुरैशी था. अपने गुरु आखुंद सिंधी से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की. मुस्लिम होने के बावजूद वे सभी धर्मों को आदर भाव से देखते थे. बाबा सदन शाह की मजार को '9 मणि, 32 खंभ' के नाम से भी जाना जाता है.
मजार के कई रहस्य ऐसे हैं जो आजतक लोगों के लिए पहेली बना हुआ है. यहां लगभग एक दर्जन मणि और लगभग तीन दर्जन खंभ स्थित हैं. बताया जा रहा है कि इन मणि और खंभों को आज तक कोई सामने खड़े होकर गिन नहीं पाया. इसमें 9 मणियां हैं, जो हर चार-चार खंभों पर सधी हैं. गिनती में कुल बत्तीस खंभ नजर आते हैं. किवदंती है कि अगर किसी ने इसे गिनने की कोशिश भी की तो वह शख्स पागल हो जाता है. इस तरह की घटना यहां देखने को मिल चुकी है.
सैंकड़ों साल से बनी हुई है दरगाह
ललितपुर के पश्चिमी कोने में बाबा सदन शाह की मजार बनी है. यहां हर धर्म के लोग भी यहां मन्नत मांगने आते हैं. मान्यता है कि इस दरगाह पर उमड़ने वाले लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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ऐसे जुड़े सूफियत से
युवावस्था में एक बार बाबा सदन शाह दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर गए. यहीं उन्हें सूफी मत के प्रचार का निर्देश मिला. उन्होंने अपना जीवन सूफी मत के प्रचार-प्रसार को समर्पित कर दिया. सूफी मत के प्रचार के लिए वह तत्कालीन चंदेरी रियासत आए और वहीं बस गए. उस समय ललितपुर चंदेरी राज्य का अंग था.
क्या है मान्यता
बाबा सदन शाह के पास एक क्रिश्चन हॉस्पिटल बना हुआ है जिसमें अधिकतर बच्चों की डिलीवरी के केस आते रहते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि बाबा सदन शाह के दरबार में सभी लोग एक जैसे हैं. चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान. यहां सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पांच दिन चलने वाले उर्स में अलग-अलग कार्यक्रम होंगे. 30 मार्च को इज्जितमाई शादियां, 31 मार्च को कौमी एकता मुशायरा, 01 व 02 व 03 को कब्बाली कार्यक्रम होगा.
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