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लखीमपुर खीरी: गन्ने की खेती छोड़ सब्जी की खेती कर मिसाल बन रहे युवा किसान - lakhimpur kheri today news

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में युवा किसान परंपरागत गन्ने की खेती को छोड़कर सब्जी की खेती करने लगे हैं. किसानों का कहना है कि गन्ने की फसल पूरे वर्ष में तैयार होती है और फिर पैसे के लिए मिल या व्यापारियों का मुंह देखना पड़ता है, जबकि सब्जी की फसल दो या तीन महीने में तैयार हो जाती है. साथ ही नकद भुगतान भी तुरंत हो जाता है.

युवा किसान बने खेती के मिसाल.
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Published : Aug 14, 2019, 3:15 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुल गांव सहरूवा के किसानों ने परंपरागत गन्ने की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती करना क्या शुरू किया कि पांच साल में उनकी तकदीर ही बदल गई. सब्जी की खेती से एक साल में तीन फसल होने और नकद बिक्री से किसान अब अमीर होने लगे हैं. यह किसान अपनी खेत की सब्जी लखीमपुर, शहजहांनपुर, बहराइच और सीतापुर भी भेजते हैं.

युवा किसान बने खेती के लिए मिसाल.

सब्जी की खेती किसानों का एक व्यवसाय

  • जिले के मितौली तहसील क्षेत्र के गांव सहरूवा में युवा किसानों ने सब्जी की खेती को एक व्यवसाय का रूप दिया है.
  • इस गांव में लगभग 800 परिवार रहते हैं, जिसमें दस परसेंट मौर्य परिवार को छोड़कर बाकी मुस्लिम परिवार हैं.
  • सहरूवा गांव की परंपरागत खेती धान, गेहूं और गन्ना थी, लेकिन गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी थी.
  • किसानों ने लगभग 5 सालों से सब्जी की खेती शुरू की है.
  • खेती में किसान आलू, गोभी, भिंडी, तोरई, पालक, सोया, टमाटर आदि सब्जी की बुवाई करते हैं.
  • सब्जी को किसान साप्ताहिक बाजार में भी बेचते हैं, जिससे नकद भुगतान भी तुरंत मिल जाता है

हम लोग एक साल में तीन से चार फसल सब्जी की काट लेते हैं. यह फसल भी नकदी है, जिसको बेचकर बरसात में अपना खर्चा चलाते हैं.
-राहुल, युवा किसान

लखीमपुर खीरी: जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुल गांव सहरूवा के किसानों ने परंपरागत गन्ने की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती करना क्या शुरू किया कि पांच साल में उनकी तकदीर ही बदल गई. सब्जी की खेती से एक साल में तीन फसल होने और नकद बिक्री से किसान अब अमीर होने लगे हैं. यह किसान अपनी खेत की सब्जी लखीमपुर, शहजहांनपुर, बहराइच और सीतापुर भी भेजते हैं.

युवा किसान बने खेती के लिए मिसाल.

सब्जी की खेती किसानों का एक व्यवसाय

  • जिले के मितौली तहसील क्षेत्र के गांव सहरूवा में युवा किसानों ने सब्जी की खेती को एक व्यवसाय का रूप दिया है.
  • इस गांव में लगभग 800 परिवार रहते हैं, जिसमें दस परसेंट मौर्य परिवार को छोड़कर बाकी मुस्लिम परिवार हैं.
  • सहरूवा गांव की परंपरागत खेती धान, गेहूं और गन्ना थी, लेकिन गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी थी.
  • किसानों ने लगभग 5 सालों से सब्जी की खेती शुरू की है.
  • खेती में किसान आलू, गोभी, भिंडी, तोरई, पालक, सोया, टमाटर आदि सब्जी की बुवाई करते हैं.
  • सब्जी को किसान साप्ताहिक बाजार में भी बेचते हैं, जिससे नकद भुगतान भी तुरंत मिल जाता है

हम लोग एक साल में तीन से चार फसल सब्जी की काट लेते हैं. यह फसल भी नकदी है, जिसको बेचकर बरसात में अपना खर्चा चलाते हैं.
-राहुल, युवा किसान

Intro:एंकर
कहते है जहाँ चाह वहां राह कुछ ऐसा ही देखने को सहरूवा गांव में मिला है यहाँ के युवा किसान गन्ने की खेती को छोड़कर सब्जी की खेती करने लगे है और सब्जी में उनकी अच्छी पैदावार भी हो रही है। किसानों का कहना है कि गन्ने की फसल पूरे वर्ष में तैयार होती है और फिर पैसे के लिए मिल या व्यापारी दूसरे का मुंह देखना पड़ता है जब की सब्जी की फसल 2 या 3 महीने में तैयार जाती है और नकद भुगतान भी तुरंत देती है इन युवाओं ने उन लोगों के लिए मिसाल पेश कर दी है जो परिस्थितियों का रोना रोकर सफलता से जी चुराते हैं
Body:लखीमपुर खीरी मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुल गांव सहरूवा के किसानों ने परंपरागत गन्ने की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती करना क्या शुरू किया 5 साल में उनकी तकदीर ही बदल गई सब्जी की खेती से 1 साल में तीन फसल को लेकर उनकी नगद बिक्री करने वाले किसान अब अमीर होने लगे हैं यह किसान अपनी खेत की सब्जी की बिक्री लखीमपुर ,शहजानपुर ,मोहम्मदी बहराइच, सीतापुर भी भेजते हैं सब्जी की खेती को किसानों ने एक व्यवसाय का रूप दिया है जिससे उनकी माली हालत सुधर गई है लखीमपुर खीरी के मितौली तहसील के गांव सहरूवा मैं लगभग 800 परिवार रहते हैं जिसमें दस परसेंट मौर्य परिवार को छोड़कर बाकी मुस्लिम परिवार हैं जिनकी परंपरागत खेती धान, गेहूं ,गन्ना थी लेकिन गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी थी जिसके चलते अब किसानों ने लगभग 5 सालों से सब्जी की खेती शुरू किया है सब्जी की खेती में किसान आलू ,गोभी ,भिंडी ,तोरई ,पालक ,सोया, टमाटर ,आदि सब्जी की बुवाई करते हैं जिसको साप्ताहिक बाजार में भी बेचते हैं
उधर किसानों का कहना है कि हम लोग 1 साल में तीन से चार फसल सब्जी की काट लेते हैं और यह फसल भी नगदी है जिसको बेचकर बरसात में अपना खर्चा चलाते हैं।
बाइट- युवा किसान राहुल
पीटीसी गोपाल गिरि Conclusion:
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