लखीमपुर खीरी: जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुल गांव सहरूवा के किसानों ने परंपरागत गन्ने की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती करना क्या शुरू किया कि पांच साल में उनकी तकदीर ही बदल गई. सब्जी की खेती से एक साल में तीन फसल होने और नकद बिक्री से किसान अब अमीर होने लगे हैं. यह किसान अपनी खेत की सब्जी लखीमपुर, शहजहांनपुर, बहराइच और सीतापुर भी भेजते हैं.
सब्जी की खेती किसानों का एक व्यवसाय
- जिले के मितौली तहसील क्षेत्र के गांव सहरूवा में युवा किसानों ने सब्जी की खेती को एक व्यवसाय का रूप दिया है.
- इस गांव में लगभग 800 परिवार रहते हैं, जिसमें दस परसेंट मौर्य परिवार को छोड़कर बाकी मुस्लिम परिवार हैं.
- सहरूवा गांव की परंपरागत खेती धान, गेहूं और गन्ना थी, लेकिन गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी थी.
- किसानों ने लगभग 5 सालों से सब्जी की खेती शुरू की है.
- खेती में किसान आलू, गोभी, भिंडी, तोरई, पालक, सोया, टमाटर आदि सब्जी की बुवाई करते हैं.
- सब्जी को किसान साप्ताहिक बाजार में भी बेचते हैं, जिससे नकद भुगतान भी तुरंत मिल जाता है
हम लोग एक साल में तीन से चार फसल सब्जी की काट लेते हैं. यह फसल भी नकदी है, जिसको बेचकर बरसात में अपना खर्चा चलाते हैं.
-राहुल, युवा किसान