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लखीमपुर खीरी: कोरोना काल में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर क्यों कर रहे नर्सिंग होम्स में प्रैक्टिस - लखीमपुर खीरी में कोरोना का कहर

यूपी के लखीमपुर खीरी में अखिर क्यों सरकारी अस्पताल के डॉक्टर नर्सिंग होम्स में प्रैक्टिस कर रहे हैं. बड़ा सवाल यह है कि संविदा सरकारी डॉक्टर आखिर प्राइवेट नर्सिंग होम्स में मरीजों को क्यों और कैसे देख रहे हैं. इस पर सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग की निगाह क्यों नहीं पड़ रही है.

संविदा सरकारी डॉक्टर क्यों कर रहे नर्सिंग होम्स में प्रैक्टिस
संविदा सरकारी डॉक्टर क्यों कर रहे नर्सिंग होम्स में प्रैक्टिस
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Published : May 12, 2020, 3:58 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिले में सरकारी संविदा डॉक्टर के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद हड़कंप मच गया. इस मामले और निदान अस्पताल के सील होने से एक नया खुलासा हुआ है. क्या कोरोना काल में भी सरकारी डॉक्टर प्राइवेट नर्सिंग होम्स में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा तो जिले का स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन क्या कर रहा, ये बड़ा सवाल है.

सोमवार को जिला अस्पताल में तैनात संविदा मनोचिकित्सक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया है. पॉजिटव पाए गए डॉक्टर की ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली गई तो पता लगा डॉक्टर शहर के कई नर्सिंग होम्स में ओपीडी करता था. 30 अप्रैल के आसपास डॉक्टर ने निदान प्राइवेट अस्पताल में भी ओपीडी की. इसके अलावा शहर के और नर्सिंग होम्स में भी मरीजों को देखने जाता था और ओपीडी करता था.

इस बात की खबर लगते ही स्वास्थ्य महकमे के होश उड़ गए. आनन-फानन में निदान अस्पताल को सील कर सैनिटाइजेशन का कार्य करवा दिया गया. पर बड़ा सवाल यह है कि संविदा सरकारी डॉक्टर कोरोना काल में आखिर प्राइवेट नर्सिंग होम्स में मरीजों को क्यों और कैसे देख रहे हैं. इस पर जिले के सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग की निगाह क्यों नहीं पड़ रही है.

अब सवाल यह उठता है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और आईएमए के निर्देशों के बाद भी सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर किस तरीके से नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की निगाह आखिर ऐसे डॉक्टरों पर क्यों नहीं पड़ रही है.

लखीमपुर खीरी: जिले में सरकारी संविदा डॉक्टर के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद हड़कंप मच गया. इस मामले और निदान अस्पताल के सील होने से एक नया खुलासा हुआ है. क्या कोरोना काल में भी सरकारी डॉक्टर प्राइवेट नर्सिंग होम्स में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा तो जिले का स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन क्या कर रहा, ये बड़ा सवाल है.

सोमवार को जिला अस्पताल में तैनात संविदा मनोचिकित्सक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया है. पॉजिटव पाए गए डॉक्टर की ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली गई तो पता लगा डॉक्टर शहर के कई नर्सिंग होम्स में ओपीडी करता था. 30 अप्रैल के आसपास डॉक्टर ने निदान प्राइवेट अस्पताल में भी ओपीडी की. इसके अलावा शहर के और नर्सिंग होम्स में भी मरीजों को देखने जाता था और ओपीडी करता था.

इस बात की खबर लगते ही स्वास्थ्य महकमे के होश उड़ गए. आनन-फानन में निदान अस्पताल को सील कर सैनिटाइजेशन का कार्य करवा दिया गया. पर बड़ा सवाल यह है कि संविदा सरकारी डॉक्टर कोरोना काल में आखिर प्राइवेट नर्सिंग होम्स में मरीजों को क्यों और कैसे देख रहे हैं. इस पर जिले के सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग की निगाह क्यों नहीं पड़ रही है.

अब सवाल यह उठता है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और आईएमए के निर्देशों के बाद भी सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर किस तरीके से नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की निगाह आखिर ऐसे डॉक्टरों पर क्यों नहीं पड़ रही है.

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