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प्रशासनिक उदासीनता से नाराज ग्रामीणों ने नदी पर बनाया पुल, 18 गांव कनेक्ट

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी स्थित मकसूदपुर सेमरा निवासी ग्रामीणों ने मिलकर गोमती नदी पर लकड़ी का पुल बनाया है, जिससे करीब 23 किलोमीटर की दूरी कम हो गई. लोग इस प्रयास को 'दशरथ मांझी द माउंटेन मैन' की कहानी से जोड़कर देख रहे हैं.

प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने बनाया पुल.
प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने बनाया पुल.
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Published : Mar 2, 2021, 12:01 PM IST

लखीमपुर खीरी: शासन-प्रशासन से मिली निराशा तो ग्रामीणों ने खुद ही अपने संसाधनों से गोमती नदी पर लकड़ी का पुल बनाकर खड़ा कर दिया. जी हां मोहम्मदी तहसील स्थित मकसूदपुर सेमरा गांव के लोगों ने करीब 25 किलोमीटर फेर से बचने के लिए लकड़ी का अस्थाई पुल बनाकर तैयार कर दिया. शासन-प्रशासन से पुल निर्माण की गुहार लगा चुके करीब 20 ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर अपने जीवन को आसान बनाने के लिए यह कदम उठाया था.

प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने बनाया पुल.

मांझी द माउंटेन मैन की तरह ग्रामीणों ने बनाया पुल
'मांझी द माउंटेन मैन' दशरथ मांझी का नाम तो आपने सुना ही होगा. बिहार के दशरथ मांझी नाम के शख्स ने कई वर्षों की मेहनत से पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था. ठीक ऐसी ही एक तस्वीर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से भी सामने आई है. इस तस्वीर में अनोखा कुछ नहीं है, लेकिन गांवों वालों के जीवन के लिए उतना ही उपयोगी है. दरअसल, गांव वालों ने मिलकर गोमती नदी पर लकड़ी का पुल बनाया है, जिससे करीब 23 किलोमीटर की दूरी कम हो गई.

18 गांव के लोगों को मिला लाभ
इस अस्थायी पुल के निर्माण से ग्रामीणों की आपसी कनेक्टिविटी महज 2 किलोमीटर के इर्द-गिर्द सिमट गई है, जिसके लिए उन्हें अब 25 किलोमीटर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. उम्मीद का यह पुल मोहम्मदी तहसील इलाके में प्रवाहित गोमती नदी पर बनाया गया है. इस पुल के निर्माण से मकसूदपुर सेमरा घाट, मधुवा घाट, अब्बासपुर इमलिया, शाहजना सहित करीब 18 गांव को लाभ मिला है. लोग इसी पुल के सहारे के सहारे पैदल निकलते हैं.

इसे भी पढ़ें-प्रशासनिक उदासीनता से परेशान ग्रामीणों ने खुद बनाया लकड़ी का पुल

2 लाख की लागत तैयार हुआ लकड़ी का पुल
पुल के निर्माण में करीब 2 लाख की लागत लगने की बात कही जा रही है. ग्रामीणों की माने तो यह पुल बरसात में नदी के तेज बहाव के आगे नहीं टिक पाता है, लेकिन उससे पहले गर्मी के सीजन में नदी में कम पानी होने के चलते इस पुल से निकला जा सकता है.

ग्रामीणों की माने तो उन्होंने जनप्रतिनिधियों से लेकर के जिला प्रशासन के आला अधिकारियों तक लगातार गुहार लगाई, लेकिन महज आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला. जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह की माने तो जिले में पुलों का निर्माण निरंतर किया जा रहा है. अगर ग्रामीणों की तरफ से मांग की गई है तो उनका प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा जाएगा, जिससे कि स्थानीय जनता को राहत मिल सकेगी.

लखीमपुर खीरी: शासन-प्रशासन से मिली निराशा तो ग्रामीणों ने खुद ही अपने संसाधनों से गोमती नदी पर लकड़ी का पुल बनाकर खड़ा कर दिया. जी हां मोहम्मदी तहसील स्थित मकसूदपुर सेमरा गांव के लोगों ने करीब 25 किलोमीटर फेर से बचने के लिए लकड़ी का अस्थाई पुल बनाकर तैयार कर दिया. शासन-प्रशासन से पुल निर्माण की गुहार लगा चुके करीब 20 ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर अपने जीवन को आसान बनाने के लिए यह कदम उठाया था.

प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने बनाया पुल.

मांझी द माउंटेन मैन की तरह ग्रामीणों ने बनाया पुल
'मांझी द माउंटेन मैन' दशरथ मांझी का नाम तो आपने सुना ही होगा. बिहार के दशरथ मांझी नाम के शख्स ने कई वर्षों की मेहनत से पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था. ठीक ऐसी ही एक तस्वीर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से भी सामने आई है. इस तस्वीर में अनोखा कुछ नहीं है, लेकिन गांवों वालों के जीवन के लिए उतना ही उपयोगी है. दरअसल, गांव वालों ने मिलकर गोमती नदी पर लकड़ी का पुल बनाया है, जिससे करीब 23 किलोमीटर की दूरी कम हो गई.

18 गांव के लोगों को मिला लाभ
इस अस्थायी पुल के निर्माण से ग्रामीणों की आपसी कनेक्टिविटी महज 2 किलोमीटर के इर्द-गिर्द सिमट गई है, जिसके लिए उन्हें अब 25 किलोमीटर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. उम्मीद का यह पुल मोहम्मदी तहसील इलाके में प्रवाहित गोमती नदी पर बनाया गया है. इस पुल के निर्माण से मकसूदपुर सेमरा घाट, मधुवा घाट, अब्बासपुर इमलिया, शाहजना सहित करीब 18 गांव को लाभ मिला है. लोग इसी पुल के सहारे के सहारे पैदल निकलते हैं.

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2 लाख की लागत तैयार हुआ लकड़ी का पुल
पुल के निर्माण में करीब 2 लाख की लागत लगने की बात कही जा रही है. ग्रामीणों की माने तो यह पुल बरसात में नदी के तेज बहाव के आगे नहीं टिक पाता है, लेकिन उससे पहले गर्मी के सीजन में नदी में कम पानी होने के चलते इस पुल से निकला जा सकता है.

ग्रामीणों की माने तो उन्होंने जनप्रतिनिधियों से लेकर के जिला प्रशासन के आला अधिकारियों तक लगातार गुहार लगाई, लेकिन महज आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला. जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह की माने तो जिले में पुलों का निर्माण निरंतर किया जा रहा है. अगर ग्रामीणों की तरफ से मांग की गई है तो उनका प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा जाएगा, जिससे कि स्थानीय जनता को राहत मिल सकेगी.

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