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लखीमपुर: शिकारियों के फंदे में फंसे बाघ की मौत, वन विभाग पर उठे सवाल

लखीमपुर खीरी जिले के महेशपुर रेंज में बुधवार को शिकारियों के द्वारा लगाए गए फंदे में फंसकर एक बाघ की मौत हो गई. बाघ की मौत ने एक बार फिर से खीरी वन विभाग की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं.

जंगल में पड़ा बाघ का शव.
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Published : Mar 27, 2019, 8:56 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिले में बुधवार को एक बाघ को शिकारियों के फंदे ने मौत के घाट उतार दिया. बाघ की मौत की पुष्टि डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने की. वहीं फंदे में फंसकर बाघ की मौत ने वन विभाग और बाघ सुरक्षा में लगी एजेंसियों परसवाल उठा दिए हैं. डीएफओ का कहना है कि अभी इसकी जांच की जा रही है कि फंदा शिकारियों ने या गांव वालों ने लगाया था.

दरअसल बुधवार सुबह खबर मिली कि महेशपुर रेंज के कंपार्टमेंट नंबर 10 में एक बाघ जंगल के अंदर तड़प रहा है. वन विभाग के वाचर और फील्ड स्टाफ ने मौके पर जाकर देखा तो बाघ फंंदे में फंसा हुआ था. बाघ की दहाड़ सुनकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उसके पास जा सकें. वाचर और फॉरेस्ट स्टाफ ने उच्चाधिकारियों को इसकी खबर दी. इसके बाद लखनऊ से ट्रेंकुलाइजिंग टीम को बुलाया गया, लेकिन ट्रेंकुलाइजिंग टीम के आते-आते इतनी देर हो गई कि फंदे में फंसे होने के कारण बाघ घंटों तड़पता रहा.

बाघ के शव को ले जाते वन विभाग के लोग.

बाघ के फंदे में फंसे होने की खबर जंगल के आसपास के इलाकों में आग की तरह फैल गई. खबर लगते ही गांव वालों की भारी भीड़ उमर पड़ी. वन विभाग की टीम और लखनऊ से आई ट्रेंकुलाइजिंग टीम ने बाघ को रेस्क्यू कर रेंज के अंदर ले आई, लेकिन तब तक बाघ ने दम तोड़ दिया था. डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने बाघ की मौत की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि हमने बाघको बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन हम विफल रहे.

समीर कुमार ने बताया कि जंगल के किनारे किसी ने तार लगा रखा था, जिसमें बाघ फंस गया. हम पूरे इलाके में शर्च ऑपरेशन कर घटना की जांच कर रहे हैं. घटना जंगल के किनारे की है. इस वजह से यह भी देखा जा रहा है कि फंदा शिकारियों ने या गांव वालों ने लगाया था. इधर वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशनिस्टों ने बाघ की मौत को वन विभाग की लापरवाही बताया. डॉ. वीपी सिंह ने कहा कि वन्यजीव और मानव संघर्ष का ये नतीजा है. उन्होंने कहा कि विभाग को और अलर्ट रहकर जंगल किनारे के लोगों को बाघों के महत्व को समझाने की जरूरत है.

लखीमपुर खीरी: जिले में बुधवार को एक बाघ को शिकारियों के फंदे ने मौत के घाट उतार दिया. बाघ की मौत की पुष्टि डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने की. वहीं फंदे में फंसकर बाघ की मौत ने वन विभाग और बाघ सुरक्षा में लगी एजेंसियों परसवाल उठा दिए हैं. डीएफओ का कहना है कि अभी इसकी जांच की जा रही है कि फंदा शिकारियों ने या गांव वालों ने लगाया था.

दरअसल बुधवार सुबह खबर मिली कि महेशपुर रेंज के कंपार्टमेंट नंबर 10 में एक बाघ जंगल के अंदर तड़प रहा है. वन विभाग के वाचर और फील्ड स्टाफ ने मौके पर जाकर देखा तो बाघ फंंदे में फंसा हुआ था. बाघ की दहाड़ सुनकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उसके पास जा सकें. वाचर और फॉरेस्ट स्टाफ ने उच्चाधिकारियों को इसकी खबर दी. इसके बाद लखनऊ से ट्रेंकुलाइजिंग टीम को बुलाया गया, लेकिन ट्रेंकुलाइजिंग टीम के आते-आते इतनी देर हो गई कि फंदे में फंसे होने के कारण बाघ घंटों तड़पता रहा.

बाघ के शव को ले जाते वन विभाग के लोग.

बाघ के फंदे में फंसे होने की खबर जंगल के आसपास के इलाकों में आग की तरह फैल गई. खबर लगते ही गांव वालों की भारी भीड़ उमर पड़ी. वन विभाग की टीम और लखनऊ से आई ट्रेंकुलाइजिंग टीम ने बाघ को रेस्क्यू कर रेंज के अंदर ले आई, लेकिन तब तक बाघ ने दम तोड़ दिया था. डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने बाघ की मौत की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि हमने बाघको बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन हम विफल रहे.

समीर कुमार ने बताया कि जंगल के किनारे किसी ने तार लगा रखा था, जिसमें बाघ फंस गया. हम पूरे इलाके में शर्च ऑपरेशन कर घटना की जांच कर रहे हैं. घटना जंगल के किनारे की है. इस वजह से यह भी देखा जा रहा है कि फंदा शिकारियों ने या गांव वालों ने लगाया था. इधर वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशनिस्टों ने बाघ की मौत को वन विभाग की लापरवाही बताया. डॉ. वीपी सिंह ने कहा कि वन्यजीव और मानव संघर्ष का ये नतीजा है. उन्होंने कहा कि विभाग को और अलर्ट रहकर जंगल किनारे के लोगों को बाघों के महत्व को समझाने की जरूरत है.

बिग ब्रेकिंग्

यूपी में एक तरफ बाघों का कुनबा बढ़ रहा है पर बाघों से संघर्ष की कहानियां भी बढ़ती जा रही हैं। लखीमपुर खीरी जिले में बुधवार को एक बात को शिकारियों के फंदे ने मौत के घाट उतार दिया। बाघ की मौत की पुष्टि डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने की है। पर फंदे में फंसकर बाघ की मौत ने वन विभाग और बाघ सुरक्षा में लगी एजेंसियों पर कई गम्भीर सुरक्षा के सवाल उठा दिए हैं। डीएफओ का कहना है अभी जांच हो रही कि फंदा शिकारियों ने लगाया था या गाँव वालों ने। 
महेशपुर रेंज में बाघों के कुनबा फल फूल रहा है। आज सुबह खबर मिली थी कि एक बाघ फंदे में फंसा है। फंदे में फंसा बाघ घंटों तड़पता रहा। रेस्क्यू टीम मौके पर देर से पहुंची और बाघ के मर जाने की खबर आई।
दक्षिण खीरी वन प्रभाग के महेशपुर रेंज में इन दिनों बाघों का खौफ काफी दिनों से चल रहा था। महेशपुर रेंज के जंगल का पैच एकदम दुधवा टाइगर रिजर्व और किशनपुर सेंचुरी से काफी दूर कर पैच है। गोमती और कठिना नदी से सटे जंगल का ये छोटा सा हिस्सा बाघों को कुछ यूँ भाया कि बाघ यहां रह ही नहीं रहे। ब्रीडिंग भी कर रहे। गन्ने की छिलाई के दौरान इस इलाके में बाघ मानव संघर्ष की घटनाएं भी हुई। तीन सालों में यहां तीन लोगों को बाघ ने मार भी डाला। कइयों को घायल भी किया। इस इलाके में दुधवा टाइगर रिजर्व से एक हथिनी भी लाकर निगहबानी को रखी गई थी।
बुधवार सुबह खबर मिली की महेशपुर रेंज के कंपार्टमेंट नंबर 10 में एक बाघ जंगल के अंदर तड़प रहा है। वन विभाग के वाचर और फील्ड स्टाफ ने मौके पर जाकर देखा कि तो वहां बाघ खाभड़ में फंसा हुआ था। बाघ की दहाड़ सुनकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उसके पास जा सके। फंदे में फंसा बाघ बराबर तड़प रहा था। वाचर और फॉरेस्ट स्टाफ ने उच्चाधिकारियों को खबर दी । इसके बाद लखनऊ से रेस्क्यू टीम बुलाई गई। लखनऊ से ट्रेंकुलाइजिंग टीम बुलाई गई। लेकिन ट्रेंकुलाइजिंग टीम आते आते इतनी देर हो गई। फंदे में बाघ बराबर तड़पता रहा। बाघ की फंदे में फंसे होने की खबर जंगल की आग की तरह आसपास के इलाके में फैल गई। गांव वालों की भीड़ उमर पड़ी। जंगल लोगों से भर गया। वन विभाग ने बाघ को जब तक ट्रेंकुलाइज किया और  रेस्क्यू किया खबर मिली। पर जब तब बाघ को बचाकर रेंज लाया जाता बाघ की फंदे में फंसने से दम घुटने से मौत हो गई। डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने बाघ की मौत की पुष्टि की है। कहा कि हमने उसे बचाने का काफी प्रयास किया। जंगल के किनारे किसी ने तार लगा रखा था। उसमें बाघ फँस गया था। हम पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चलवा रहे। घटना की जांच की जा रही। घटना जंगल किनारे की है। इधर वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशनिस्टों ने बाघ की मौत को वन विभाग की लापरवाही बताया है। डॉ वीपी सिंह ने कहा कि वन्यजीव और मानव संघर्ष का ये नतीजा है। वह विभाग को और अलर्ट रहकर जंगल किनारे के लोगों को बाघों के महत्व समझाने की जरूरत है।

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प्रशान्त पाण्डेय
9984152598


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