लखीमपुर खीरी: जिले में बाघ ने एक बालक को अपना शिकार बना लिया. बाग बालक को गन्ने के खेत में खींच ले गया. हादसा दुधवा बफर जोन इलाके के मरौचा निबुआ बोझ गांव के पास हुआ है. बालक की मौत के बाद गांव वाले गुस्से में है. महीने भर में खीरी जिले में बाघ-तेंदुए के हमलों से आठवीं मौत हुई है.
दुधवा बफर जोन में पड़ने वाले पलिया कोतवाली इलाके के निबुआबोझ गांव निवासी आबिद का बेटा जसीम (10) अपनी बकरियों को चराने के लिए गया था. गांव के पड़ोस में ही कुछ लेबर गन्ना छील रहे थे. वहीं, पर जसीम अपनी बकरी चरा रहा था. तभी गन्ने के खेत से निकले एक बाघ ने जसीम पर हमला कर दिया. बाघ जसीम को उठाकर खेत में ले गया. पड़ोस में गन्ना छील रहे लेबरों ने शोर मचा कर किसी तरीके से बाघ को वहां से भगाया. बाघ बालक को छोड़कर भाग गया. लेकिन बाघ के हमले से जसीम के सिर में गहरा घाव हो गया. जिससे जसीम की मौत हो गई.
इंस्पेक्टर पलिया प्रमोद मिश्र खबर मिलते ही घटनास्थल पर पहुंच गए. बाघ के हमले से बालक की मौत से गांव वाले गुस्से में हैं. वहीं, विभाग की टीम खबर लिखने तक नहीं पहुंची है. ग्राम प्रधान नाजिम ने बताया कि बाघ कई दिनों से इस इलाके में था. वन विभाग को खबर की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ग्रामीण वारिस ने बताया कि बाघ गांव की तीन बकरियों और एक गाय को भी अपना शिकार बना चुका है. वन विभाग कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है.
बहराइच में बालिका पर किया तेंदुए ने हमला:वहीं, बहराइच में गुरुवार को शौच के लिए निकली बालिका पर तेंदुए ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया. वन क्षेत्र मोतीपुर थाना मोतीपुर अंतर्गत ग्राम सेमईगौड़ी निवासी रामचंद्र की बेटी सीमा कुमारी (9) अपनी बड़ी बहन कविता कुमारी के साथ शौच के लिए जा रही थी. तभी झाड़ियों में छिपे तेंदुए ने सीमा पर हमला कर दिया. तेंदुआ सीमा को गन्ने के खेत में उठाकर ले गया. बड़ी बहन कविता के शोर मचाने पर पर ग्रामीण इकट्ठा हो गए.
काफी खोजबीन करने पर दूर गन्ने के खेत में सीम का क्षतविक्षत शव बरामद हुआ. मौके पर पहुंची जलिमनागर चौकी पुलिस विधिक कार्रवाई कर रही है. पूर्व प्रधान कैलाश यादव ने बताया कि वन विभाग को सूचना दी गई है. एडवोकेट ओमप्रकाश यादव ने कहा कि गांव में काफी दहशत है. आए दिन जंगली जानवर गांव में पहुंच कर लोगों पर हमला कर रहे हैं. कभी लोग गम्भीर रूप से घायल हो जाते हैं, तो कभी लोगों को जान भी गवानी पड़ती है. ग्रामीण जान जोखिम में डालकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. प्रशासन को इसका कारगर उपाय ढूंढना होगा.
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