लखीमपुर खीरी: असम और बंगाल के बाद गैंडों की आबादी में उत्तर प्रदेश अब भारत में तीसरे नम्बर पर आ जाएगा. यूपी में दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) के बाद अब नेपाल की तराई में कर्तनियाघाट और सोहगीबरवा में भी गैंडों का तीसरा नया आशियाना बनने के रास्ते खुलने लगे हैं. सब कुछ ठीक रहा तो नया बनने वाला गैंडों का आशियाना यूपी का सबसे बड़ा गैंडों का घर होगा.
दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक (Field Director Sanjay Pathak) कहते हैं कि 'विशेषज्ञों ने गैंडों के नए आशियाने की जगह चिन्हित कर ली है. जियो टैगिंग हो चुकी है. दो जगहें उपयुक्त पाई गई हैं. अभी कुछ फॉर्मेलिटीज बाकी हैं. प्रपोजल चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को भेज दिया गया है. अब सिक्योरिटी ऑडिट का इंतजार है. इसके बाद चीजें आगे बढ़ेंगी.'
कहां बनेगा गैंडों का नया आशियाना!
यूपी में 100 साल पहले विलुप्त हो चुके गैंडों की तीसरी नई कॉलोनी यूपी वन विभाग नेपाल से सटे बहराइच जिले के कर्तनियाघाट और महराजगंज जिले के सोहगीबरवा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में बनाने जा रहा. इसकी तैयारी वन विभाग ने शुरू कर दी है. वन विभग्ग ने कर्तनियाघाट वन्यजीव विहार के सुजौली रेंज और ट्रांस गेरुआ एरिया को और महराजगंज जिले के सोहगीबरवा रेंज का कुछ हिस्सा गई गैंडों के नए आशियाने के लिए चयनित किया है.
एक्सपर्ट टीमों ने ग्राउंड परीक्षण के बाद गैंडों के लिए इन दोनों ही स्थानों को उपयुक्त पाया है. दलदली भूमि, पानी की उपलब्धता और गैंडों की पसंदीदा घास के मैदान और वनस्पतियां इन दोनों जगहों पर विशेषज्ञों को मिली है. विश्व प्रकृति निधि (WWF) ने इन दोनों गैंडों के नए आशियाने खोजने में वन विभाग की तकनीकी मदद की है.
इसे भी पढ़ेंः खुद को पार्वती मान महादेव से शादी करने की जिद कर कैलाश में तप पर बैठी महिला
यूपी में बनी है राज्य गैंडा संरक्षण नीति
भारत सरकार ने 'नेशनल राइनो कंजर्वेशन स्ट्रेटजीज 2019 में बना ली थी. इसी तर्ज पर यूपी सरकार ने भारत सरकार की तरह ही गैंडा संरक्षण नीति (Rhinoceros Conservation Policy) को हरी झंडी दे दी है. 2030 तक यूपी में गैंडा संरक्षण एक्शन प्लान (Rhinoceros Conservation Action Plan) के लिए डब्लूडब्लूएफ को वन विभाग का वर्किंग पार्टनर बनाया है. इसके तहत एक गैंडा संरक्षण प्रोग्राम बनाया गया है. अप्रैल में यूपी के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डेन के नेतृत्व में बैठक हो चुकी है. यूपी में गैंडा संरक्षण का एक्शन प्लान तैयार हो चुका है. इसके तहत फंड की व्यवस्था भी की गई है, जो राज्य में गैंडा संरक्षण पर काम करेगी.
1984 में बना था दुधवा में गैंडों का पहला आशियाना
यूपी में दुधवा टाइगर रिजर्व में 1984 में सोनारीपुर रेंज में 27 वर्ग किलोमीटर की जगह चयनित कर गैंडों का पहला आशियाना बना था. असम से हवाई जहाज से दिल्ली होते हुए पांच गैंडे दुधवा की सरजमीं परलै गए पर कुछ शुरुआती झटकों के बाद गैंडों का ये आशियाना फलने -फूलने लगा. इसके बाद 2018 में दुधवा में ही गैंडों
का दूसरा आशियाना बेलरायां रेंज में बनाया गया, जहां एक मेल और तीन फीमेल गैंडों को फेंसिंग बनाकर रखा गया. हाल ही में इस नए आशियाने में भी एक नए शावक ने जन्म लिया.
तराई में कभी गैंडों की थी अच्छी आबादी
भारत नेपाल की तराई में कभी गेंदों की अच्छी आबादी हुआ करती थी. वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि करीब 100 साल पहले भारत नेपाल के तराई इलाके के जंगलों में गैंडों की अच्छी-खासी तादाद के प्रमाण मिले हैं. नेपाल के चितवन नेशनल पार्क में आज भी गैंडों की अच्छी संख्या है पर भारत में तराई के जंगलों में अंधाधुंध शिकार के चलते पिछले 100 सालों में गैंडों की आबादी लगभग खत्म हो गई थी. इसी के चलते 1984 में असम से गैंडों को लाकर तराई की इस पुरानी धरती पर गैंडों को बसाया गया था. इसके बाद ये प्रयोग सफल रहा. दुधवा में इस वक्त करीब 40 गैंडों की कॉलोनी फलफूल रही.
सुरक्षा आडिट पर टिकी है आस
यूपी में गैंडा संरक्षण नीति लागू होने के साथ ही अब नई गैंडों के उपयुक्त जमीन और जगहों की तलाश शुरू कर दी गई. गैंडों को तराई की दलदली जमीन खूब पसंद होती सो इंडो -नेपाल बार्डर के तराई के इलाके में ही संभावनाएं तलाशी जा रही. गैंडों के पुरखों की पुरानी जमीन तराई के इन्हीं जंगलों से जुड़ी है, सो अब नए गैंडों के आशियानों के लिए सुरक्षा ऑडिट पर वन विभाग की नजरें टिकी हैं. इस सुरक्षा ऑडिट में गैंडों के लिए अनुकूल माहौल है कि नहीं, सुरक्षा की क्या व्यवस्थाएं होगी. हैबिटेट आदि का अध्ययन बाकी है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप