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लखीमपुर खीरी: शारदा-घाघरा में छोड़ा गया पानी, नदी में जमींदोज हो रही जमीन

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Published : Aug 10, 2020, 2:53 PM IST

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में शारदा और घाघरा नदियां तेज बारिश की वजह से उफनाने लगी हैं. इन नदियों से आस-पास के क्षेत्रों में तेजी से कटान हो रही है. सिंचाई विभाग कटान को रोकने के लिए तेजी से काम कर रहा है, लेकिन नदी की तेज धार के आगे सिंचाई विभाग की कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं.

लखीमपुर खीरी में शारदा और घाघरा कर रही कटान
लखीमपुर खीरी में शारदा और घाघरा कर रही कटान

लखीमपुर खीरी: उत्तराखण्ड और नेपाल के पहाड़ों पर हुई तेज बारिश अब आफत बनकर मैदानी इलाकों में आ रही है. तेज बारिश के पानी से अब शारदा और घाघरा नदियां उफनाने लगी हैं और नदियों के किनारे तेजी से कटान होने लगी हैं. शारदा नदी ने पलिया तहसील से लेकर गोला, लखीमपुर और धौरहरा तहसील के लगभग 6 गांवों में कटान की तो घाघरा ने भी चार गावों को अपने निशाने पर लिया है. पलिया तहसील के जगन्नाथ टांडा में सिंचाई विभाग के काम पर नदी की तेज धार पानी फेर रही है. बैम्बू क्रेट और ईंटों से भरी बोरियां नदी में समाती जा रही हैं.

लखीमपुर खीरी में शारदा और घाघरा कर रही कटान

तेजी से कटान कर रही नदी
शारदा नदी पलिया तहसील के जगन्नाथ पुरवा गांव के तटबन्ध को काटते हुए आगे गांव की तरफ बढ़ रही है. गांव के राजेन्द्र सिंह की ढाई एकड़ जमीन नदी में जमींदोज हो गई. इधर फूलबेहड़ इलाके में भी शारदा नदी खेती की जमीन को काटने लगी है. धौरहरा तहसील के रैनी गांव में नदी अभी भी कटान कर रही है. सिंचाई विभाग की टीम और बचाव कार्य नदी के वेग के आगे बौने नजर आ रहे हैं. सोमवार सुबह आठ बजे शारदा बैराज से 1.31 लाख क्यूसेक पानी, गिरिजा बैराज से घाघरा नदी में 2.29लाख क्यूसेक पानी, बनबसा बैराज उत्तराखण्ड में 79 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. वहीं बनबसा बैराज उत्तराखण्ड में 3 मिमी बारिश, शारदा बैराज पर 97 मिलींमीटर बारिश तो गिरिजा बैराज पर 84 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है.

नदी की तेज धार के आगे सिंचाई विभाग नाकाम
जिले में जगन्नाथ टांडा और रैनी गांव में तेजी से कटान हो रहा है. रैनी गांव में तो शारदा नदी में कई घर पानी में समा चुके हैं. यहां 10 एकड़ से ज्यादा खेती वाली जमीन को नदी काट चुकी है. जगन्नाथ टांडा में फ्लड फाइटिंग के तहत सिंचाई विभाग काम तेजी से कर रहा है, लेकिन नदी की तेज धार के आगे सिंचाई विभाग की कोशिशें नाकाम नजर आ रहीं हैं. नदी के किनारे लगाए गए बैम्बू क्रेट और परकुपाईंन नदी में समाती जा रहीं हैं. सिंचाई विभाग के एसडीओ ने बताया कि अचानक नदी ने धार मोड़ दी, जिससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है. उनका कहना है कि वह प्रयास कर रहे हैं कि गांव तक नदी का पानी न पहुंचे.

लखीमपुर खीरी: उत्तराखण्ड और नेपाल के पहाड़ों पर हुई तेज बारिश अब आफत बनकर मैदानी इलाकों में आ रही है. तेज बारिश के पानी से अब शारदा और घाघरा नदियां उफनाने लगी हैं और नदियों के किनारे तेजी से कटान होने लगी हैं. शारदा नदी ने पलिया तहसील से लेकर गोला, लखीमपुर और धौरहरा तहसील के लगभग 6 गांवों में कटान की तो घाघरा ने भी चार गावों को अपने निशाने पर लिया है. पलिया तहसील के जगन्नाथ टांडा में सिंचाई विभाग के काम पर नदी की तेज धार पानी फेर रही है. बैम्बू क्रेट और ईंटों से भरी बोरियां नदी में समाती जा रही हैं.

लखीमपुर खीरी में शारदा और घाघरा कर रही कटान

तेजी से कटान कर रही नदी
शारदा नदी पलिया तहसील के जगन्नाथ पुरवा गांव के तटबन्ध को काटते हुए आगे गांव की तरफ बढ़ रही है. गांव के राजेन्द्र सिंह की ढाई एकड़ जमीन नदी में जमींदोज हो गई. इधर फूलबेहड़ इलाके में भी शारदा नदी खेती की जमीन को काटने लगी है. धौरहरा तहसील के रैनी गांव में नदी अभी भी कटान कर रही है. सिंचाई विभाग की टीम और बचाव कार्य नदी के वेग के आगे बौने नजर आ रहे हैं. सोमवार सुबह आठ बजे शारदा बैराज से 1.31 लाख क्यूसेक पानी, गिरिजा बैराज से घाघरा नदी में 2.29लाख क्यूसेक पानी, बनबसा बैराज उत्तराखण्ड में 79 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. वहीं बनबसा बैराज उत्तराखण्ड में 3 मिमी बारिश, शारदा बैराज पर 97 मिलींमीटर बारिश तो गिरिजा बैराज पर 84 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है.

नदी की तेज धार के आगे सिंचाई विभाग नाकाम
जिले में जगन्नाथ टांडा और रैनी गांव में तेजी से कटान हो रहा है. रैनी गांव में तो शारदा नदी में कई घर पानी में समा चुके हैं. यहां 10 एकड़ से ज्यादा खेती वाली जमीन को नदी काट चुकी है. जगन्नाथ टांडा में फ्लड फाइटिंग के तहत सिंचाई विभाग काम तेजी से कर रहा है, लेकिन नदी की तेज धार के आगे सिंचाई विभाग की कोशिशें नाकाम नजर आ रहीं हैं. नदी के किनारे लगाए गए बैम्बू क्रेट और परकुपाईंन नदी में समाती जा रहीं हैं. सिंचाई विभाग के एसडीओ ने बताया कि अचानक नदी ने धार मोड़ दी, जिससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है. उनका कहना है कि वह प्रयास कर रहे हैं कि गांव तक नदी का पानी न पहुंचे.

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