लखीमपुर खीरी: यूपी में सरकारी गेहूं की खरीद पर इस बार बायोमेट्रिक मशीनों ने ब्रेक लगा रखा है. सरकार अभी तक खरीद केंद्रों पर बायोमेट्रिक मशीन नहीं पहुंचा पाई है. ऐसे में गेहूं खरीद भी ठीक से शुरू नहीं हो पाई है. यूपी के सबसे बड़े जिले लखीमपुर खीरी में हाल यह है कि छह दिनों में नौ किसानों से अब तक 674 क्विंटल गेहूं की ही खरीद हो पाई है.
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खीरी जिले में इस बार सात एजेंसियां करेंगी खरीद
लखीमपुर खीरी जिले में इस बार सात एजेंसियां ही गेहूं खरीद करेंगी. मार्केटिंग, एफसीआई, पीसीयू, पीसीएफ, मंडी समिति और यूपीएसएस ही इस बार सरकारी खरीद केंद्र खोलेंगी. इस बार यूपी एग्रो, कर्मचारी कल्याण निगम, नैफेड, नैकाफ और एनसीसीएफ आदि एजेंसियों को खरीद से बाहर कर दिया गया है. खीरी जिले में इस बार गेहूं खरीद के 153 सेंटर यही सात एजेंसियां चलाएंगी.
सरकार नहीं देगी शिकायत का मौका
कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप और पंचायत चुनाव के बीच इस बार गेहूं खरीद योगी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है. किसान आंदोलन के बीच किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प के साथ यूपी में चुनावी साल में सरकार भी इस बार किसानों को कोई शिकायत का मौका देना नहीं चाहती. हालांकि, सरकार के गेहूं खरीद की तैयारियों के दावों की जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग नजर आ रही है. हाल यह है कि सरकारी गेहूं खरीद के लिए अभी तक भंडारण की कोई टैगिंग शुरू नहीं हुई है. बायोमेट्रिक मशीनों की आपूर्ति भी अभी तक खाद्य एवं रसद विभाग को नहीं कराई जा सकी है. इसकी व्यवस्था खुद सरकार ने ही इस बार पारदर्शी गेहूं खरीद व्यवस्था चलाने के लिए की है. बायोमेट्रिक मशीन में हर किसान का अंगूठा लगाकर ही गेहूं की खरीदी की जाएगी. इससे ये सुनिश्चित हो सकेगा कि असली किसान ने ही गेहूं बेचा है. खीरी के डिप्टी आरएमओ लालमणि पाण्डेय कहते हैं कि चार-पांच दिन में बायोमेट्रिक मशीनें आने लगेंगी. हमने बोरी, कांटा और अन्य व्यवस्थाएं ठीक कर दी हैं. खरीद भी शुरू हो गई है. हमने 674 क्विंटल गेहूं अब तक खरीद लिया है.
यूपी में 55 लाख मीट्रिक टन है खरीद का लक्ष्य
यूपी में गेहूं खरीद का लक्ष्य 55 लाख मीट्रिक टन रखा गया है. हालांकि, खीरी जिले में इस बार लक्ष्य की कोई बाध्यता नहीं है. एक अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीद अब तक धीमी चाल से ही चल रही है. यूपी के सबसे बड़े जिले में छह दिन में नौ किसानों से ही खरीद हो पाई है.
नॉमिनी का रजिस्ट्रेशन जरूरी
यूपी सरकार ने इस बार सरकारी गेहूं खरीद के लिए नॉमिनी रखने की व्यवस्था की है. फर्जी खरीद को रोकने के लिए असली किसानों के पाल्य अगर नामिनी के रूप में रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो वह क्रय केंद्र पर जाकर अंगूठा लगाकर गेहूं बेच सकते हैं. इसके लिए नॉमिनी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. खीरी के डिप्टी आरएमओ लालमणि पाण्डेय कहते हैं कि यह व्यवस्था सरकार ने फर्जी किसानों और बिचौलियों को रोकने के लिए की है.
1975 रुपये क्विंटल बिकेगा इस बार गेहूं
केंद्र सरकार ने इस बार किसानों के लिए एमएसपी में 50 रुपये बढ़ोतरी की है. सरकारी क्रय केंद्रों पर पिछले साल 1925 में खरीदा जाने वाला गेहूं, इस बार 1975 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा. कोई भी राज्य सरकार अलग से बोनस आदि नहीं दे सकेगी. गेहूं की इस बार बम्पर पैदावार हुई है.
पांच हेक्टेयर से ज्यादा बड़े किसानों को कराना होगा एडीएम से सत्यापन
सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के लिए किसानों को इस बार एसडीएम से ही नहीं, एडीएम से भी सत्यापन कराना पड़ेगा. जो किसान सरकारी वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराएंगे, वे अगर पांच हेक्टेयर से ज्यादा का गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाते हैं तो इसका सत्यापन एसडीएम नहीं, बल्कि एडीएम करेंगे. सरकार ने यह व्यवस्था गेहूं खरीद में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए वर्ष 2021-22 की खरीद के लिए शुरू की है.
सरकार पर है दबाव
चुनावी साल में सरकार किसानों को नाराज नहीं करना चाहती. दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन, किसानों की एमएसपी की गारंटी की मांग और तीन कृषि कानूनों का विरोध भी सरकार पर कहीं ना कहीं दबाव बना रहा है. ऐसे में सरकार इस बार गेहूं खरीद में एक-एक कदम फूंक कर रख रही है. वहीं सरकार का 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा भी सरकार पर कहीं न कहीं दबाव बनाए हुए हैं.