ETV Bharat / state

चम्बल के बीहड़ों से तराई के वोट की फसल काटने आए दस्यू मलखान सिंह, इनसे है मुकाबला

जो मलखान सिंह कभी चम्बल के बीहड़ो में खौफ का पर्याय था, वो अब रोज सुबह मन्दिर जाते हैं. हनुमान जी की पूजा कर अपने चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में निकल पड़ते हैं. पहले जब दस्यु मलखान की बंदूक गरजती थी तो पुलिस भी बचती फिरती थी. वहीं अब 75 वर्ष के दस्यु मलखान सियासत की राह पकड़ चुके हैं.

author img

By

Published : Apr 20, 2019, 4:16 PM IST

दस्यू मलखान सिंह

लखीमपुर खीरी : कभी बीहड़ों में जिसकी बंदूक से जर्रा-जर्रा कांपता था वो बागी मलखान सिंह अब तराई की धरती पर वोटों की फसल काटने के लिए तैयार है. धौरहरा लोकसभा सीट से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की टिकट से ताल ठोक चुके हैं. दस्यु मलखान सिंह का मुकाबला यहां कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, बीजेपी की रेखा वर्मा और सपा-बसपा गठबन्धन के अरशद सिद्दीकी से है.

देखें विशेष रिपोर्ट.

जो मलखान सिंह कभी चम्बल के बीहड़ों में खौफ का पर्याय था, वो अब रोज सुबह मन्दिर जाते हैं. हनुमान जी की पूजा कर अपने चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में निकल पड़ते हैं. पहले जब दस्यु मलखान की बंदूक गरजती थी तो पुलिस भी बचती फिरती थी. वहीं अब 75 वर्ष के दस्यु मलखान सियासत की राह पकड़ चुके हैं.

धौरहरा लोकसभा सीट 2009 में बनी थी. तब जितिन यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. कांग्रेस की कर्जामाफी की स्कीम और जितिन का बड़ा चेहरा धौरहरा की जनता को खूब भाया. जितिन ने भी इसका फायदा उठाया और बम्पर जीत मिली. पेट्रोलियम, संसदीय कार्य, सड़क परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री रहे पर 2014 में मोदी लहर में जितिन को इसी धौरहरा की जनता ने चौथे स्थान पर धकेल दिया.

वहीं दस्यु मलखान की उम्मीदवारी के सवाल पर जितिन कहते हैं कि लोकतंत्र है, सब लड़ सकते हैं. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि उनका मुकाबला किसी से नहीं है. इस बार जनता जुमलों में फंसने वाली नहीं है वह बदलाव के मूड में है.

मौजूदा चुनाव में विपक्षी दल भले ही इस बार 'मोदी लहर' की संभावना को खारिज कर रहे हों, मगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नरेन्द्र मोदी के दम पर इस बार भी चुनावी नैया पार लगाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. यही कारण है कि भाजपा की मौजूदा सांसद के विरोध के बावजूद कांग्रेस के दिग्गज नेता को चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है.

इधर गठबन्धन के प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी भी सामाजिक समीकरण और अपने पिता इलियास आजमी की कर्मभूमि की बदौलत संसद पहुंचने के सपने संजोए हैं. मलखान के सवाल पर कहते हैं कि मैं किसी डाकू को नहीं जानता. अरशद पीएम मोदी पर ही सबसे बड़ा डाकू होने का इल्जाम लगा देते हैं. कहते हैं जनता इन्हीं से निजात चाहती.

लखीमपुर खीरी : कभी बीहड़ों में जिसकी बंदूक से जर्रा-जर्रा कांपता था वो बागी मलखान सिंह अब तराई की धरती पर वोटों की फसल काटने के लिए तैयार है. धौरहरा लोकसभा सीट से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की टिकट से ताल ठोक चुके हैं. दस्यु मलखान सिंह का मुकाबला यहां कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, बीजेपी की रेखा वर्मा और सपा-बसपा गठबन्धन के अरशद सिद्दीकी से है.

देखें विशेष रिपोर्ट.

जो मलखान सिंह कभी चम्बल के बीहड़ों में खौफ का पर्याय था, वो अब रोज सुबह मन्दिर जाते हैं. हनुमान जी की पूजा कर अपने चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में निकल पड़ते हैं. पहले जब दस्यु मलखान की बंदूक गरजती थी तो पुलिस भी बचती फिरती थी. वहीं अब 75 वर्ष के दस्यु मलखान सियासत की राह पकड़ चुके हैं.

धौरहरा लोकसभा सीट 2009 में बनी थी. तब जितिन यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. कांग्रेस की कर्जामाफी की स्कीम और जितिन का बड़ा चेहरा धौरहरा की जनता को खूब भाया. जितिन ने भी इसका फायदा उठाया और बम्पर जीत मिली. पेट्रोलियम, संसदीय कार्य, सड़क परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री रहे पर 2014 में मोदी लहर में जितिन को इसी धौरहरा की जनता ने चौथे स्थान पर धकेल दिया.

वहीं दस्यु मलखान की उम्मीदवारी के सवाल पर जितिन कहते हैं कि लोकतंत्र है, सब लड़ सकते हैं. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि उनका मुकाबला किसी से नहीं है. इस बार जनता जुमलों में फंसने वाली नहीं है वह बदलाव के मूड में है.

मौजूदा चुनाव में विपक्षी दल भले ही इस बार 'मोदी लहर' की संभावना को खारिज कर रहे हों, मगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नरेन्द्र मोदी के दम पर इस बार भी चुनावी नैया पार लगाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. यही कारण है कि भाजपा की मौजूदा सांसद के विरोध के बावजूद कांग्रेस के दिग्गज नेता को चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है.

इधर गठबन्धन के प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी भी सामाजिक समीकरण और अपने पिता इलियास आजमी की कर्मभूमि की बदौलत संसद पहुंचने के सपने संजोए हैं. मलखान के सवाल पर कहते हैं कि मैं किसी डाकू को नहीं जानता. अरशद पीएम मोदी पर ही सबसे बड़ा डाकू होने का इल्जाम लगा देते हैं. कहते हैं जनता इन्हीं से निजात चाहती.

Intro:लखीमपुर-कभी बीहड़ो में जिसकी बन्दूक़ से जर्रा जर्रा कांपता था वो बागी मलखान सिंह अब तराई की धरती पर वोटों की फसल काटने को धौरहरा लोकसभा से ताल ठोंक चुके हैं।
मलखान का मुकाबला यहाँ पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद,रेखा वर्मा और गठबन्धन के अरशद सिद्दीकी से है।
जो मलखान सिंह कभी चम्बल के बीहड़ो में खौफ का पर्याय थे। वो अब रोज सुबह मन्दिर जाते हैं। हनुमान जी की पूजा कर आशीर्वाद ले अपने चुनाव प्रचार को निकल पड़ते हैं। मलखान सिंह के नाम से चम्बल के बीहड़ 15 बरसों से ज्यादा तक सांय सांय करते रहे। यहाँ बागी मलखान की बन्दूक गरजती थी तो पुलिस और मिलेट्री भी बचती फिरती थी। पर 75 के हो गए मलखान अब सियासत की राह पकड़ चुके। धौरहरा से शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के प्रत्याशी हैं।
36 साल पहले पुलिस के सामने सरेंडर कर चुके बागी मलखान सिंह अब जनता के लिए सरेंडर होने को तैयार हैं। अपने लिए वोट माँगते हैं। अपने डाकू बनने और सरेंडर के गाँव वालों को किस्से सुनाते हैं। उनसे मिलने और किस्से सुनने को लोग पेड़ के नीचे ही नहीं पेड़ और बैलगाड़ी रोककर भी किस्से सुनते हैं।
बीहड़ से निकल मलखान के लिए तराई की धरती पर धौरहरा सीट कोई नई नहीं है। वो 2009 के चुनाव में काँग्रेस प्रत्याशी जितिन प्रसाद के प्रचार में आ चुके पर 2019 में अब जितिन के खिलाफ ही ताल ठोंक रहे। कहते हैं बीहड़ में भी अन्याय के खिलाफ उतरे थे। तराई में भी जनता के लिए मैदान में उतरे हैं।



Body:धौरहरा लोकसभा सीट 2009 में बनी थी। तब जितिन यूपीए सरकार में केन्दीय मंत्री थे। काँग्रेस की कर्जा माफी की स्कीम और जितिन का बड़ा चेहरा धौरहरा की जनता को खूब भाया। जितिन ने भी इसका फायदा उठाया,बम्पर जीत मिली।पेट्रोलियम,संसदीय कार्य,सड़क परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मन्त्रालयो में मिनिस्टर रहे। पर 2014 में मोदी लहर में जितिन को इसी धौरहरा की जनता ने चौथे स्थान पर धकेल दिया। बागी मलखान के उम्मीदवार बनने के सवाल पर जितिन कहते हैं लोकतंत है। सब लड़ सकते। मेरा मुकाबला किसी से नहीं। इस बार जनता जुमलों में फँसने वाली नहीं,जनता बदलाव के मूड में है।



Conclusion:जितिन के अलावा धौरहरा सीट पर मलखान सिंह का सामना इस बार 2014 की विजयी प्रत्याशी बीजेपी की रेखा वर्मा से भी है। रेखा वर्मा मोदी के नाम और सरकार के कामों की बदौलत पर फिर अपनी दावेदारी मजबूत बता रही हैं।
इधर गठबन्धन के प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी भी सामाजिक समीकरण और अपने पिता इलियास आजमी की कर्मभूमि की बदौलत संसद पहुँचने के सपने सँजोए हैं। मलखान के सवाल पर कहते हैं, मैं किसी डाकू को नहीं जानता। अरशद पीएम मोदी पर ही सबसे बड़ा डाकू होने का इल्जाम लगा देते हैं। कहते हैं जनता इन्हीं से निजात चाहती।
बाइट-1-मलखान सिंह(प्रत्याशी धौरहरा)
बाइट-2-जितिन प्रसाद(प्रत्याशी धौरहरा)
बाइट-3-रेखा वर्मा-प्रत्याशी बीजेपी धौरहरा)
बाइट-4-अरशद सिद्दीकी(गठबन्धन,बसपा,धौरहरा)
पीटीसी
--------------------
प्रशान्त पाण्डेय
9984152598
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.