लखीमपुर खीरी : कभी बीहड़ों में जिसकी बंदूक से जर्रा-जर्रा कांपता था वो बागी मलखान सिंह अब तराई की धरती पर वोटों की फसल काटने के लिए तैयार है. धौरहरा लोकसभा सीट से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की टिकट से ताल ठोक चुके हैं. दस्यु मलखान सिंह का मुकाबला यहां कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, बीजेपी की रेखा वर्मा और सपा-बसपा गठबन्धन के अरशद सिद्दीकी से है.
जो मलखान सिंह कभी चम्बल के बीहड़ों में खौफ का पर्याय था, वो अब रोज सुबह मन्दिर जाते हैं. हनुमान जी की पूजा कर अपने चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में निकल पड़ते हैं. पहले जब दस्यु मलखान की बंदूक गरजती थी तो पुलिस भी बचती फिरती थी. वहीं अब 75 वर्ष के दस्यु मलखान सियासत की राह पकड़ चुके हैं.
धौरहरा लोकसभा सीट 2009 में बनी थी. तब जितिन यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. कांग्रेस की कर्जामाफी की स्कीम और जितिन का बड़ा चेहरा धौरहरा की जनता को खूब भाया. जितिन ने भी इसका फायदा उठाया और बम्पर जीत मिली. पेट्रोलियम, संसदीय कार्य, सड़क परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री रहे पर 2014 में मोदी लहर में जितिन को इसी धौरहरा की जनता ने चौथे स्थान पर धकेल दिया.
वहीं दस्यु मलखान की उम्मीदवारी के सवाल पर जितिन कहते हैं कि लोकतंत्र है, सब लड़ सकते हैं. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि उनका मुकाबला किसी से नहीं है. इस बार जनता जुमलों में फंसने वाली नहीं है वह बदलाव के मूड में है.
मौजूदा चुनाव में विपक्षी दल भले ही इस बार 'मोदी लहर' की संभावना को खारिज कर रहे हों, मगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नरेन्द्र मोदी के दम पर इस बार भी चुनावी नैया पार लगाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. यही कारण है कि भाजपा की मौजूदा सांसद के विरोध के बावजूद कांग्रेस के दिग्गज नेता को चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है.
इधर गठबन्धन के प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी भी सामाजिक समीकरण और अपने पिता इलियास आजमी की कर्मभूमि की बदौलत संसद पहुंचने के सपने संजोए हैं. मलखान के सवाल पर कहते हैं कि मैं किसी डाकू को नहीं जानता. अरशद पीएम मोदी पर ही सबसे बड़ा डाकू होने का इल्जाम लगा देते हैं. कहते हैं जनता इन्हीं से निजात चाहती.