लखीमपुर खीरीः प्रधानमंत्री मोदी की नई टीम में राज्यमंत्री बने लखीमपुर खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्रा टेनी के संघर्षों और मेहनत का परिणाम है. इंडो-नेपाल बार्डर के एक छोटे से गांव से जिला पंचायत सदस्य के रूप में शुरू हुआ अजय मिश्रा का सियासी सफर सांसद बनने साथ अब केंद्रीय मंत्री तक जा पहुंचा है.
खेती किसानी और व्यवसायी परिवार से आने वाले अजय मिश्रा के गांव बनवीरपुर के लोगों ने कभी नहीं सोंचा होगा कि वे कभी देश के गृह राज्यमंत्री बन जाएंगे. बुधवार को हुए मोदी कैबिनेट विस्तार में खीरी सांसद केंद्रीय मंत्री बनने की खबर आई तो समर्थक खुशी से झूम उठे. खीरी जिले को भी ये खुशी का मौका 50 साल बाद नसीब हुआ है जब कोई जिले का रहने वाला सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुआ हो.
जिला पंचायत सदस्य से केंद्रीय मंत्री बनने तक का तय किया सफर
खीरी सांसद और इस वक्त केंद्रीय राज्यमंत्री बन चुके अजय मिश्र का सियासी सफर गांव की छोटे पंचायतों से शुरू हुआ था. अजय मिश्रा छोटी उम्र से ही महत्वाकांक्षी होने के साथ सामाजिक जिम्मेदारियां खूब निभाते थे. गांव के छोटे मोटे विवाद अजय मिश्रा के समझाने मात्र से ही सुलझ जाते थे. भाजपा से लगाव के चलते पहली बार अजय मिश्रा ने 1994 में भाजपा की युवा टीम में शामिल होकर प्रदेश कार्यसमिति में अपनी जगह बनाई. बीएससी एलएलबी की डिग्री कानपुर से हासिल करने के बाद अजय मिश्रा सक्रिय राजनीति में कूद पड़े. गांव और खीरी जिले में भी सुदूर नेपाल बॉर्डर के रहने वाले अजय मिश्रा ने अपनी जिले से लेकर प्रदेश तक सियासी पैठ बनाई. अपनी वाकपटुता से अजय मिश्रा जल्द ही प्रदेश के नेताओं के चहेते बन गए.
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सहकारी बैंक संचालक मंडल चुनाव में हुए निर्विरोध
1998 में अजय मिश्रा भाजपा के संगठन मंत्री रहते जिला सहकारी बैंक संचालक मंडल का पहला चुनाव लड़ा. पहले ही चुनाव में अजय मिश्रा निर्विरोध चुने गए. 1999 से 2004 तक डीसीबी लखीमपुर के उपाध्यक्ष रहे. अजय मिश्रा भाजपा संगठन में जिला महामंत्री बन गए. जिले में पार्टी के कई वटवृक्षों की तरह फैले नेताओं के बीच संघर्ष करते 2005 में पहली बार निघासन प्रथम से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा. भाजपा समर्थित उम्मीदवार के रूप में अजय मिश्रा अच्छे वोटों से जीतकर आए. 2007 में भाजपा में अपनी जड़ें जमा चुके अजय मिश्रा को भाजपा ने निघासन से विधानसभा प्रत्याशी के तौर पर टिकट दे दिया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि क्षेत्र की जनता में अच्छी पकड़ के चलते अजय मिश्रा को वोट अच्छा मिला.
2007 के परिणाम से अजय मिश्रा ने हार नहीं मानी. 2012 में फिर निघासन विधानसभा से विधायक के प्रत्याशी बनाए गए. इस बार अजय मिश्रा ने सपा प्रत्याशी को 32000 वोटों से हरा दिया.
2014 में बने पहली बार सांसद
विधायक बनने के बाद अजय मिश्रा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2014 में भाजपा ने अजय मिश्रा को खीरी लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया. नरेंद्र मोदी पूरे देश में काफी लोकप्रियता के साथ जोर शोर से प्रचार-प्रसार करके प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के लिए लगे हुए थे. अजय मिश्र भी 2014 में पहली बार भाजपा के टिकट से संसद पहुंचे. 2019 में भी भाजपा ने अजय मिश्रा को फिर खीरी से सांसद उम्मीदवार बनाया. अजय फिर भारी वोटों से जीतकर दोबारा संसद पहुंच गए.
संसद रत्न से नवाजे गए, कई समितियों के बनाए गए सदस्य
सांसद अजय मिश्रा अपनी कार कुशलता और मेहनत से लगातार आगे बढ़ते रहे. अजय मिश्रा को 2015 में राजभाषा समिति के सदस्य और संयोजक बने. 2017 में भारत कोरिया पार्लियामेंट्री ग्रुप के सदस्य बने. रेलवे हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य बने. खाद्य उपभोक्ता मामलों की संसदीय समिति के सदस्य बने. 2018 में मॉरीशस में हिंदी सम्मेलन में सुषमा स्वराज के साथ प्रतिभाग किया. 2019 में भाजपा ने उन्हें संसदीय दल का सचेतक बनाया. 2019 में पीएम की अगुआई वाली प्रशासनिक समिति, लोकलेखा समिति और रायबरेली एम्स के सदस्य बनाए गए.
अजय मिश्रा ने संसद में 2019 में चार निजी विधेयक पेश किए. इसके साथ ही संसद में तर्कपूर्ण बहस के साथ डेढ़ सौ प्रश्न पूछे. 2020 में टाइगर प्रोजेक्ट में बाघ संरक्षण समिति के सदस्य बने. 2020 में संसद रत्न से सम्मानित हुए. 2021 में यूपी राज्य सड़क निधि प्रबंधन समिति के सदस्य भी बनाए गए. इस बार पीएम मोदी ने उन पर भरोसा किया और केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया है. अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने पर जिले में खुशी है. वहीं परिवार के लोग गदगद.