लखीमपुर खीरी: 29 जुलाई यानी आज देश अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मना रहा है. इस बार लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व में भी बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है. दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी की 'बेल डांडा टाइग्रेस' की एक तस्वीर ने दुधवा टाइगर रिजर्व और किशनपुर सेंचुरी को भारत में ही नहीं, बल्कि इंटरनेशनल पहचान दिला दी है. ट्विटर हो या फिर फेसबुक, इंस्टाग्राम हो या वाट्सएप, सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू ने विश्व बाघ दिवस पर इसी तस्वीर को शेयर किया है. लेकिन यह तस्वीर किसकी है, इस बात की जानकारी कम ही लोगों को पता है.
यह तस्वीर है लखनऊ के रहने वाले वाइल्ड फोटोग्राफर सिद्धार्थ सिंह की, जिनकी एक तस्वीर ने दुधवा टाइगर रिजर्व को वर्ल्ड फेमस बना दिया. सिद्धार्थ का कहना है कि बेलडांडा टाइग्रेस को दुधवा का ब्राण्ड बनाना है. उनकी यही इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा लोग बाघों के बारे में जानें और बाघों को संरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ें.
बढ़ी है बाघों की संख्या
भारत में बाघों की तादात बढ़ी है. यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व और पड़ोसी जिले पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में भी बाघों की तादात 107 से 117 तक आंकी गई है. एक समय था जब नेपाल बॉर्डर से सटे दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों की एक तस्वीर पाना मुश्किल होता था, लेकिन अब टाइगर रिजर्व में खूब बाघ दिख रहे हैं. यूपी का दुधवा टाइगर रिजर्व इको टूरिज्म का हब बन रहा है. नवम्बर 2019 में दुधवा के किशनपुर सेंचुरी से निकली एक तस्वीर ने भारत ही नहीं विश्व के बाघ प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा. वन में ली गई यह तस्वीर 16 नवम्बर की है.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बढ़ी बाघों की संख्या
उत्तर प्रदेश का पीलीभीत टाइगर रिजर्व टाइगर्स को लेकर अपने आपमें विशेष पहचान रखता है. यहां पर टाइगर्स का दीदार करने के लिए देश-प्रदेश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 65 टाइगर मौजूद हैं, जो कि टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए बेहद खुशी की बात है.
सिद्धार्थ सिंह की है यह फोटो
तराई के किशनपुर सेंचुरी में लखनऊ के वाइल्ड फोटोग्राफर सिद्धार्थ सिंह अपने दोस्तों के साथ सफारी पर निकले तो एक बाघिन अपने कुछ बच्चों के साथ दिखी. सिद्धार्थ कहते हैं कि हमने जिप्सी को बंद करवाकर लगातार सैकड़ों शाट्स लिए. तब मुझे पता नहीं था कि बाघिन के साथ पांच बच्चे हैं. वहीं जब तस्वीर जूम करके देखी तो खुशी का ठिकाना नहीं था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी कई करोड़ों की लॉटरी निकल आई हो.
पांच बच्चों के साथ दिखी बाघिन
सिद्धार्थ बताते है कि बेल डांडा फीमेल एक वाटर होल के पास किशनपुर सेंचुरी में रहती है. 2019 जून के बाद बन्द हुआ टूरिज्म सीजन जब 15 नवम्बर में खुला तो ये दुधवा टाइगर रिजर्व और मेरे लिए एक किसी अवार्ड से कम के पल नहीं थे. 16 नवम्बर को जब मैंने बेलडांडा फीमेल को पांच बच्चों के साथ कैमरे में कैद किया. भारत में पांच बच्चों के साथ बाघिन का दिखना बहुत कम ही रिपोर्टेड है, वह भी उस वक्त जब बाघ चारों तरफ से जंगल के सिकुड़ते जाने और न जाने कितने शिकारी खतरों से जूझ रहे हैं.
इसे पढ़ें - अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2020: पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बढ़ी बाघों की संख्या
सिद्धार्थ बताते हैं कि 16 नवम्बर 2019 को दोपहर में तीन बजे का वक्त था. हम अपने साथियों उमाशंकर मिश्रा और तरुण वीर सिंह के साथ जिप्सी से निकले. मुझे दूर से एक बाघिन कुछ बच्चों के साथ जाती दिखी, हमारे कैमरे तैनात हो गए. कितने क्लिक किए हमें खुद याद नहीं, लेकिन तब तक ये बात किसी को पता नहीं थी कि ये बेलडांडा फीमेल है, जो एक वाटरहोल पर रहती थी. पांच बच्चों के साथ बाघिन का दिखना अपने आपमें अनोखा अनुभव था. हमने पहले इसकी वीडियो बनाई, फिर अनगिनत तस्वीरें उतारी और इसको पहली बार रिपोर्टेड किया. इस तस्वीर के आने के बाद दुधवा टाइगर रिजर्व का प्रसाशन खुश भी था और चिंता में भी आया, क्योंकि फील्ड स्टाफ को अब बाघिन और शावकों की सुरक्षा की एक बड़ी जिम्मेदारी जो उठानी थी.
भारत की ताजा हुई बाघ गणना में दुधवा टाइगर रिजर्व में 107 से 117 बाघों का आंकलन हुआ है. सिद्धार्थ कहते हैं कि बाघों की तादात यूपी के वन विभाग की नई तकनीकों से हुई टाइगर मॉनिटरिंग और कन्जर्वेशन प्रैक्टिसेज का परिणाम है. इसमें एम स्ट्राइप सबसे कारगर रहा, जिससे 2022 के पहले ही बाघों की आबादी हमने दोगुनी कर ली.
उपराष्ट्रपति ने साझा की सिद्धार्थ की फोटो
दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी में खींची सिद्धार्थ सिंह की बेल डांडा बाघिन की तस्वीर को आज वर्ल्ड ग्लोबल टाइगर डे पर भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ट्विटर पर साझा किया है और भारत के बाघ संरक्षण में किए काम को ऐतिहासिक बताया है.
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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर, भारत के इस शानदार राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करने का आह्वाहन करता हूं।
— Vice President of India (@VPSecretariat) July 29, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
यह हर्ष का विषय है कि विश्व भर में कुल बाघों में से करीब 70% भारत में पाए जाते हैं। #IndiasTigerSuccess pic.twitter.com/RYvWeZUKT9
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यह हर्ष का विषय है कि विश्व भर में कुल बाघों में से करीब 70% भारत में पाए जाते हैं। #IndiasTigerSuccess pic.twitter.com/RYvWeZUKT9
सिद्धार्थ कहते हैं यह मेरे लिए किसी अवार्ड से कम नहीं हैं कि देश के उपराष्ट्रपति ने मेरी तस्वीर ग्लोबल टाइगर डे पर साझा की. ये दुधवा को भी नई पहचान देगा. सिद्धार्थ बताते हैं कि भारत में बाघों की बढ़ती तादात को दर्शाने में मेरी तस्वीर एक आइकॉन की तरह सामने आ रही है, जो कि मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है. इससे यूपी का इको टूरिज्म बढ़ेगा और लोग जंगल के बाघों और उनको बचाने के प्रति आगे आएंगे.
पीएम मोदी भी इस तस्वीर के साथ बनवा चुके हैं डाक्यूमेंट्री
सिद्धार्थ कहते हैं सोशल मीडिया पर मेरी ये तस्वीर इतनी वायरल हुई कि देश-विदेश तक इस तस्वीर ने धूम मचा दी. इस तस्वीर को भारत सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने भी भारत में बाघों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के तौर पर पेश किया, जो बिल्कुल सही भी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस तस्वीर के अपनी बाघों पर बनी एक डाक्यूमेंट्री में यूज किया है.
'पिता ने दिया आशीर्वाद'
बिल्डर टाइग्रेस की फोटो खींचने वाले सिद्धार्थ सिंह कहते हैं कि जब मैंने इस तस्वीर को अपने पिता रामलखन सिंह को दिखाया तो वे खुशी से झूम उठे. उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया. राम लखन सिंह दुधवा टाइगर रिजर्व के पहले डायरेक्टर रहे हैं. 1972 में दुधवा टाइगर रिजर्व की स्थापना हुई तो 1284 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा टाइगर रिजर्व की 1987 में प्रोजेक्ट टाइगर के साथ यूपी में शुरुआत हुई, तभी दुधवा को नेशनल पार्क के साथ टाइगर रिजर्व का भी तमगा मिला.