लखीमपुर खीरी: कोरोना काल में वकीलों की कमाई पर बुरा असर पड़ा है. सबसे ज्यादा परेशानी तो उन युवा वकीलों को उठानी पड़ रही है जिनकी कमाई पर पूरी तरह ब्रेक लग गया है. वहीं वकीलों के साथ काम करने वाले मुंशी, टाइपिस्ट, फोटोकॉपी करने वाले और कचहरी से जुड़े हजारों लोगों की कमाई बुरी तरीके से प्रभावित है. आलम यह है कि कुछ वकील तो इस कोविड काल में मुअक्किल से अपने फोन का रिचार्ज करके फीस ले रहे हैं.
वकीलों को लगा बड़ा झटका
खीरी जिला अधिवक्ता संघ से करीब 2000 से ज्यादा वकील रजिस्टर्ड हैं, जिसमें कुछ सीनियर हैं बाकी 15 से 20 साल की प्रैक्टिस वाले भी हैं. ज्यादातर वकील दिहाड़ी की तरह ही कमाते खाते हैं, लेकिन कोविड काल मे चाहे सीनियर हों या जूनियर सबको बड़ा आर्थिक झटका लगा है. मुकदमों की नियमित सुनवाई नहीं हो रही है तो मुअक्किल भी कचहरी नहीं आ रहे हैं. कोरोना काल में मुअक्किल भी एक-एक पैसे को मोहताज हैं. ऐसे में वकीलों को फीस देने और सौ-सौ किलोमीटर का सफर करके जिला मुख्यालय तक आना ही उनको भारी पड़ रहा है. नाम न छापने की शर्त पर कुछ वकीलों ने बताया कि हम मुअक्किलों को मना कर दे रहे हैं कि मत आओ और अपने मोबाइल में उनसे 100-200 का रिचार्ज ही करा ले रहे हैं.
कोरोना ने फीस पर ब्रेक लगाया
लखीमपुर कचहरी में करीब 40 साल से ज्यादा समय से प्रैक्टिस कर रहे सीनियर वकील राम नारायण त्रिवेदी ने बताया कि कचहरी में कभी इतना सूखा नहीं देखा जितना कोरोना काल में पैसे का अकाल पड़ा है. वकील होने के नाते राम नारायण त्रिवेदी को तो रोज कचहरी आना ही पड़ता है, लेकिन मुअक्किलों का कचहरी में अकाल है. जब मुअक्किल ही नहीं आ रहे हैं तो उनकी फीस पर भी ब्रेक लग गया है. युवा अधिवक्ता राहुल तिवारी भी रोज फेस शील्ड, मास्क लगाकर कचहरी आते हैं. अपने मुअक्किल के लिए डेट भी लेते हैं. वह बताते हैं कि मिनिमम में काम चल रहा है. उन्होंने बताया कि हर तरफ मंदी है हर काम बंद है तो वकालत भी बंद है.
सबकी रोजी-रोटी पर संकट गहराया
युवा अधिवक्ता अजय पाण्डेय ने बताया कि मुअक्किल मोबाइल में रिचार्ज भी सीनियर वकीलों का ही कराते होंगे, जूनियर वकीलों की माली हालत बहुत खराब है. उनका काम दैनिक मजदूरों की तरह ही चलता था पर कोरोना ने सब बन्द कर दिया. वकीलों के साथ काम करने वाले टाइपिस्ट, मुंशी सबकी रोजी-रोटी पर संकट गहरा गया है. कचहरी में टाइपिस्ट का काम करने वाले मुन्नालाल कहते हैं कि उनकी कमाई 50 फीसदी भी नहीं रही. उन्होंने बताया कि किसी-किसी दिन खाली हाथ मायूस होकर ही वापस जाना पड़ता है.
लखीमपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष घनश्याम अग्निहोत्री कहते हैं कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार सबने मजदूरों, व्यापारियों और अन्य वर्गों के लिए तो कुछ न कुछ किया. राशन दिया और राहत पैकेज दिए पर वकीलों के बारे में किसी ने जरा भी नहीं सोचा. जबकि सबसे बड़ा आर्थिक झटका वकीलों को ही लगा है. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारे बारे में भी कुछ पैकेज जारी करेगी.