लखीमपुर खीरी : लखीमपुर हिंसा मामले में शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा की लीगल एडवाइजर की टीम लखीमपुर खीरी पहुंची. इस दौरान टीम ने कहा कि उनकी मांग है कि मंत्री के पद पर बने रहते किसी की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. ऐसे में उनकी मांग है कि जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में हो. संयुक्त किसान मोर्चा के लीगल टीम ने एसआईटी की धीमी जांच पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि क्रिमिनल केस में धीमी जांच केस को कमजोर करती है. हम चाहते हैं कि केस की जांच तेजी से हो.
संयुक्त किसान मोर्चा के लीगल टीम ने यह भी कहा कि यूपी में मंत्री के बेटे के खिलाफ जांच हो रही है. मंत्री अभी पद पर बना हुआ है. ऐसे में वो केस का ट्रायल यूपी के बाहर कराना चाहेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा की लीगल टीम ने कहा कि किसी भी पीड़ित को घबराने की जरूरत नहीं है. वह हर परिवार को लीगल मदद देंगे. 11 महीनों से वह सरकार के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं, सिर्फ अपने हकों के लिए. और तिकोनियां काण्ड में पीड़ित परिवारों को भी न्याय दिलाकर ही रहेंगे.
श्री भंगू ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा जल्द एक लीगल पैनल किसानों की पैरवी के लिए जारी करेगा. आज उनके साथ हरमिंदर सिंह पटियाला, एडवोकेट पूनम कौशिक और धर्मेंद्र मलिक आए हैं. किसान मोर्चा के लीगल पैनल की तरफ से आए हरमिंदर सिंह पटियाला ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. क्योंकि मंत्री के पद पर बने रहते हमें सही जांच की उम्मीद नहीं है. हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के दो सदस्य सिटिंग जज जो इस मामले की देखरेख कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में किसी जज की अध्यक्षता में एक कमेटी की निगरानी में पूरी जांच और सुनवाई भी हो.
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फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भी आई
किसानों की तरफ से इस तिकुनिया केस में पीपुल्स फार डेमोक्रेटिक राइट्स संस्था की तरफ से भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय एक कमेटी पूरे केस की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट बना रही है. प्रोफेसर जगमोहन ने बताया कि हमारी टीम ने तिकुनिया से लेकर पीड़ित परिवारों और अलग-अलग लोगों से जिले में जाकर बात की है. हमने पूरे केस के तथ्य जुटाए हैं. हमारी संस्था में देश भर के तमाम लोग इसमें शामिल हैं, जो मानवाधिकारों के लिए लड़ते हैं. यह लड़ाई न्याय की लड़ाई है और संघर्ष की लड़ाई है. हम जल्द ही तिकुनिया कांड पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करेंगे. उन्होंने कहा कि लोगों में जब न्याय की आस कम होने लगे, तो यह एक नकारात्मक संकेत होता है. इस केस में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है.