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लखीमपुर खीरी: डीएम बोले, हाथ से मिट्टी निकालने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं - soil extraction

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने खनन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि निजी कार्य के लिए हाथ से मिट्टी निकालने के लिए अब परमिशन की आवश्यकता नहीं होगी.

जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह
जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह
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Published : Jun 6, 2020, 9:28 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिले में अब अपने निजी प्रयोग के लिए हाथ से मिट्टी निकालने के लिए किसी परमिशन की आवश्यकता नहीं रहेगी. डीएम शेलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली में उल्लेख है कि ईंट एवं मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए हस्तचालन से खुदाई अथवा हस्तचालन से साधारण मृदा, सामान्य मिट्टी को निकालने की क्रिया खनन संक्रिया के अंतर्गत नहीं आएगी. प्रतिबंध यह है कि ऐसी खुदाई अथवा खनन के फलस्वरूप उत्पन्न गड्ढों की गहराई 2 मीटर से अधिक नहीं होगी.

जिलाधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि भूतत्व एवं खनिकर्म अनुभाग लखनऊ की ओर से जारी शासनादेश में जनसामान्य को मिट्टी के उपयोग में आ रही कठिनाइयों के निराकरण एवं विकास कार्यों में मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित कराते हुए उसे गति प्रदान करने के उद्देश्य से सामान्य मिट्टी एवं साधारण मृदा की रायल्टी शून्य कर दी गई है.

उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली की अधिसूचना के परिशिष्ट 9 में कतिपय मामलों में पर्यावरणीय अनापत्ति की अपेक्षा से छूट प्रदान की गई है. इसमें यह उल्लेख है कि ‘ऐसे क्रियाकलाप, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा विधान या नियमों के अधीन गैर खननकारी क्रियाकलाप के रूप में घोषित किया गया है’.

उन्होंने बताया कि उपरोक्त नियमों में दी गई व्यवस्था के अंतर्गत दो मीटर की गहराई तक हस्तचालन से मिट्टी निकासी का कार्य खनन संक्रिया में नहीं होने और मिट्टी की रायल्टी दर शून्य हो जाने एवं पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण की अपेक्षा से छूट प्रदान किये जाने के कारण हस्तचालन से मिट्टी निकासी का कार्य किया जा सकता है.

लखीमपुर खीरी: जिले में अब अपने निजी प्रयोग के लिए हाथ से मिट्टी निकालने के लिए किसी परमिशन की आवश्यकता नहीं रहेगी. डीएम शेलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली में उल्लेख है कि ईंट एवं मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए हस्तचालन से खुदाई अथवा हस्तचालन से साधारण मृदा, सामान्य मिट्टी को निकालने की क्रिया खनन संक्रिया के अंतर्गत नहीं आएगी. प्रतिबंध यह है कि ऐसी खुदाई अथवा खनन के फलस्वरूप उत्पन्न गड्ढों की गहराई 2 मीटर से अधिक नहीं होगी.

जिलाधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि भूतत्व एवं खनिकर्म अनुभाग लखनऊ की ओर से जारी शासनादेश में जनसामान्य को मिट्टी के उपयोग में आ रही कठिनाइयों के निराकरण एवं विकास कार्यों में मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित कराते हुए उसे गति प्रदान करने के उद्देश्य से सामान्य मिट्टी एवं साधारण मृदा की रायल्टी शून्य कर दी गई है.

उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली की अधिसूचना के परिशिष्ट 9 में कतिपय मामलों में पर्यावरणीय अनापत्ति की अपेक्षा से छूट प्रदान की गई है. इसमें यह उल्लेख है कि ‘ऐसे क्रियाकलाप, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा विधान या नियमों के अधीन गैर खननकारी क्रियाकलाप के रूप में घोषित किया गया है’.

उन्होंने बताया कि उपरोक्त नियमों में दी गई व्यवस्था के अंतर्गत दो मीटर की गहराई तक हस्तचालन से मिट्टी निकासी का कार्य खनन संक्रिया में नहीं होने और मिट्टी की रायल्टी दर शून्य हो जाने एवं पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण की अपेक्षा से छूट प्रदान किये जाने के कारण हस्तचालन से मिट्टी निकासी का कार्य किया जा सकता है.

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