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कैसे दोगुनी होगी आय, जब औने-पौने दाम में किसान बेच रहे धान - लखीमपुर खीर में कम दाम में किसान धान बेचने को मजबूर

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में धान किसानों का बुरा हाल है. जिले में लाखों की लागत से बने सरकारी धान क्रय केंद्र बदहाल पड़े हैं. इस वजह से किसान अपनी फसल मिल मालिकों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं.

कम दाम में धान बेच रहे किसान.
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Published : Nov 9, 2019, 7:00 PM IST

लखीमपुर खीरी: योगी सरकार में भी सरकारी धान खरीद का हाल बुरा है. खून-पसीने और बड़ी लागत लगाकर उगाया गया धान किसान अब मंडी में सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हैं. धान का सरकारी रेट 1815 और 1835 रुपये कुंतल तय है, लेकिन मंडी में किसान 1100 से लेकर 1500 रुपये कुंतल में धान बेचने को मजबूर हैं.

देखें वीडियो.

अमरजीत को नहीं मिली सही कीमत
बसैगाफार्म के रहने वाले किसान अमरजीत सिंह लखीमपुर मंडी में अपना धान बेंचने पहुंचे. बोली लगने का घण्टों इंतजार करने के बाद नम्बर आया, लेकिन धान बिका 1230 रुपये कुंतल तो मन मसोस कर रह गए.

मिल मालिक और आढ़तियों की बोली ही किसान की फसल की कीमत तय करती है. अमरजीत सिंह कहते हैं, क्या करें मजबूरी है. सरकारी खरीद वाले लेंगे नहीं थोड़ा गीला है धान. गेहूं की बोआई करनी है कुछ पैसे मिल जाएंगे तो आगे का काम चलेगा.

इसे भी पढ़ें- धान बेचने का लक्ष्य हो रहा धाराशायी, बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर किसान

जकीउल्ला बोले नौ पानी लगाए थे साहब
किसान जकीउल्ला सीतापुर जिले के लहरपुर इलाके से लखीमपुर मंडी में अपना धान बेचने के पहुंचे. वो कहते हैं हमारे इलाके में कोई धान क्रय केंद्र चल नहीं चल रहे, जो लगे भी हैं उन पर मानक इतने कड़े हैं कि धान बिक नहीं सकता. ऐसे में मजबूरी में मंडी में जो रेट मिल जाएगा वही हमारा होगा. यह पूछने पर कि क्या 11 सौ 12 सौ रुपये में बेचने पर आपकी लागत निकलेगी. जकीउल्ला मुंह बिचकाकर कहते हैं नौ-नौ पानी लगाएं हैं साहब, तब फसल तैयार हुई. लागत भी नहीं निकलेगी इतने में बल्कि पास से ही चला जाएगा.

प्रेमचंद ने कहा, क्या इतना खराब है धान
दाउदपुर से धान बेंचने आए प्रेमचंद कहते है, क्या इतना खराब है धान. गांव में 1200 रुपये कुंतल बिक रहा था, लेकिन हम मंडी फसल लेकर आ गए. सोंचा था कि रेट अच्छा मिल जाएगा. पर यहां तो 1150 रुपये का ही रेट मिला. 500 रुपये का भाड़ा दिया सो अलग, अब मजबूरी है क्या करें.

सरकारी धान क्रय केंद्रों पर लगे सिर्फ बैनर
फ्री में सरकारी धान क्रय केंद्र खोल तो दिए गए हैं. मंडी में ही चार से पांच केंद्र लगे हैं, लेकिन सिर्फ बैनर दिखाई पड़ रहे हैं. केंद्रों पर कांटे भी लगे हैं. लाखों रुपये की ड्रायर मशीन भी मंडी में लगाई गई है.

धान खरीद के नाम पर कागजों में दौड़ रहे घोड़े
सरकारी धान खरीद के नाम पर सरकारी कागजों में घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं. केंद्रों पर खरीद होती दिख नहीं रही, लेकिन कागजों में खरीद हो जा रही है. ऐसे में किसान आढ़तियों, मिल मालिकों के हाथों अपना धान 1100 से 1500 में बेंचने को मजबूर हैं.

ज्यादा नमी है तो धान हो रहा रिजेक्ट
सरकारी धान क्रय केंद्र पर 16% नमी तक का धान खरीदा जाता है, लेकिन उससे एक फीसदी भी अगर ज्यादा नमी है तो धान रिजेक्ट कर दिया जाता है. ऐसे में एक अक्टूबर से चालू सरकारी क्रय केंद्र सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ा रहे हैं.

डीएम ने दी जानकारी
मामले पर खीरी के डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह कहते हैं कि ऑनलाइन पंजीकरण की वजह से किसानों को धान बेंचने में थोड़ा विलम्ब हुआ है. अब सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि तत्काल सत्यापन करके भेज दें. जिससे किसान धान बेंच सके. डीएम कहते हैं कि सभी केंद्र प्रभारियों को भी बैठक कर निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी किसान को लौटाया न जाए. अगर कहीं से भी कोई शिकायत आएगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.

लखीमपुर खीरी: योगी सरकार में भी सरकारी धान खरीद का हाल बुरा है. खून-पसीने और बड़ी लागत लगाकर उगाया गया धान किसान अब मंडी में सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हैं. धान का सरकारी रेट 1815 और 1835 रुपये कुंतल तय है, लेकिन मंडी में किसान 1100 से लेकर 1500 रुपये कुंतल में धान बेचने को मजबूर हैं.

देखें वीडियो.

अमरजीत को नहीं मिली सही कीमत
बसैगाफार्म के रहने वाले किसान अमरजीत सिंह लखीमपुर मंडी में अपना धान बेंचने पहुंचे. बोली लगने का घण्टों इंतजार करने के बाद नम्बर आया, लेकिन धान बिका 1230 रुपये कुंतल तो मन मसोस कर रह गए.

मिल मालिक और आढ़तियों की बोली ही किसान की फसल की कीमत तय करती है. अमरजीत सिंह कहते हैं, क्या करें मजबूरी है. सरकारी खरीद वाले लेंगे नहीं थोड़ा गीला है धान. गेहूं की बोआई करनी है कुछ पैसे मिल जाएंगे तो आगे का काम चलेगा.

इसे भी पढ़ें- धान बेचने का लक्ष्य हो रहा धाराशायी, बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर किसान

जकीउल्ला बोले नौ पानी लगाए थे साहब
किसान जकीउल्ला सीतापुर जिले के लहरपुर इलाके से लखीमपुर मंडी में अपना धान बेचने के पहुंचे. वो कहते हैं हमारे इलाके में कोई धान क्रय केंद्र चल नहीं चल रहे, जो लगे भी हैं उन पर मानक इतने कड़े हैं कि धान बिक नहीं सकता. ऐसे में मजबूरी में मंडी में जो रेट मिल जाएगा वही हमारा होगा. यह पूछने पर कि क्या 11 सौ 12 सौ रुपये में बेचने पर आपकी लागत निकलेगी. जकीउल्ला मुंह बिचकाकर कहते हैं नौ-नौ पानी लगाएं हैं साहब, तब फसल तैयार हुई. लागत भी नहीं निकलेगी इतने में बल्कि पास से ही चला जाएगा.

प्रेमचंद ने कहा, क्या इतना खराब है धान
दाउदपुर से धान बेंचने आए प्रेमचंद कहते है, क्या इतना खराब है धान. गांव में 1200 रुपये कुंतल बिक रहा था, लेकिन हम मंडी फसल लेकर आ गए. सोंचा था कि रेट अच्छा मिल जाएगा. पर यहां तो 1150 रुपये का ही रेट मिला. 500 रुपये का भाड़ा दिया सो अलग, अब मजबूरी है क्या करें.

सरकारी धान क्रय केंद्रों पर लगे सिर्फ बैनर
फ्री में सरकारी धान क्रय केंद्र खोल तो दिए गए हैं. मंडी में ही चार से पांच केंद्र लगे हैं, लेकिन सिर्फ बैनर दिखाई पड़ रहे हैं. केंद्रों पर कांटे भी लगे हैं. लाखों रुपये की ड्रायर मशीन भी मंडी में लगाई गई है.

धान खरीद के नाम पर कागजों में दौड़ रहे घोड़े
सरकारी धान खरीद के नाम पर सरकारी कागजों में घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं. केंद्रों पर खरीद होती दिख नहीं रही, लेकिन कागजों में खरीद हो जा रही है. ऐसे में किसान आढ़तियों, मिल मालिकों के हाथों अपना धान 1100 से 1500 में बेंचने को मजबूर हैं.

ज्यादा नमी है तो धान हो रहा रिजेक्ट
सरकारी धान क्रय केंद्र पर 16% नमी तक का धान खरीदा जाता है, लेकिन उससे एक फीसदी भी अगर ज्यादा नमी है तो धान रिजेक्ट कर दिया जाता है. ऐसे में एक अक्टूबर से चालू सरकारी क्रय केंद्र सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ा रहे हैं.

डीएम ने दी जानकारी
मामले पर खीरी के डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह कहते हैं कि ऑनलाइन पंजीकरण की वजह से किसानों को धान बेंचने में थोड़ा विलम्ब हुआ है. अब सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि तत्काल सत्यापन करके भेज दें. जिससे किसान धान बेंच सके. डीएम कहते हैं कि सभी केंद्र प्रभारियों को भी बैठक कर निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी किसान को लौटाया न जाए. अगर कहीं से भी कोई शिकायत आएगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Intro:लखीमपुर- योगी सरकार में भी सरकारी धान खरीद का हाल बुरा है। खून पसीने और बड़ी लागत लगाकर उगाया धान किसान अब मंडी में सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हैं। धान का सरकारी रेट 1815 और 1835 रूपए कुंतल तय है। पर मंडी में किसान 1100 से लेकर 1500 रुपए कुंतल में धान बेचने को मजबूर हैं।
बसैगाफार्म के रहने वाले किसान अमरजीत सिंह लखीमपुर मंडी में अपना धान बेंचने आए हैं। बोली लगने का घण्टों इंतजार करने के बाद नम्बर आया। धान बिका तो 1230 रुपए कुंतल। मन मसोस कर रह गए। मिल मालिक और आढ़तियों की बोली ही किसान की फसल की कीमत तय करती है। अमरजीत सिंह कहते हैं क्या करें मजबूरी है सरकारी खरीद वाले लेंगे नहीं थोड़ा गीला है धान। गेहूँ की बोआई करनी है कुछ पैसे मिल जाएँगे तो आगे का काम चलेगा।



Body:किसान जकीउल्ला सीतापुर जिले के लहरपुर इलाके से लखीमपुर मंडी में अपना धान बेचने के लिए आए हैं कहते हैं हमारे इलाके में कोई धान क्रय केंद्र चल नहीं चल रहे। जो लगे भी हैं उन पर मानक इतने कड़े हैं धान बिक नहीं सकता। ऐसे में मजबूरी में मंडी में जो रेट मिल जाएगा वही हमारा होगा। यह पूछने पर कि क्या 11 सौ ₹12 सौ रुपए में बेचने पर आपकी लागत निकलेगी। जकीउल्ला मुँह बिचकाकर कहते हैं नौ नौ पानी लगाएं हैं। तब फसल तैयार हुई। लागत भी नहीं निकलेगी इतने में बल्कि पास से ही चला जाएगा।


Conclusion:हाल दाउदपुर से धान बेंचने आए प्रेमचंद का भी यही है धान दिलाते हुए कहते है,क्या इतना खराब है धान। गाँव में 1200 रुपए कुंतल बिक रहा था। पर हम मंडी फसल लेकर आ गए सोंचा था रेट अच्छा मिल जाएगा पर यहाँ तो 1150 रुपए का ही रेट मिला। 500 रुपए का भाड़ा दिया सो अलग। अब मजबूरी है। क्या करें।
फ्री में सरकारी धान क्रय केंद्र खोल तो दिए गए हैं मंडी में ही चार से पांच केंद्र लगे हैं पर सिर्फ बैनर दिखाई पड़ रहे हैं। केंद्रों पर लगे कांटे भी हैं लाखों रुपए की ड्रायर मशीन भी मंडी में लगाई गई है। सरकारी धान खरीद के नाम पर सरकारी कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। केंद्रों पर खरीद होती दीख नहीं रही पर कागजो में खरीद हो जा रही। आम किसान आढ़तियों मिल मालिकों के हाथों अपना धान 1100 से 1500 में बेंच रहे।
सरकारी धान क्रय केंद्र पर 16% नमी तक का धान खरीदा जाता है पर अगर उससे एक फीसदी भी अगर ज्यादा नमी है तो धान रिजेक्ट कर दिया जाता है। ऐसे में एक अक्टूबर से चालू सरकारी क्रय केंद्र सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ा रहे।
खीरी के डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह कहते हैं। ऑनलाइन पंजीकरण की वजह से किसानों को धान बेंचने में थोड़ा विलम्ब तो हुआ पर अब सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि तत्काल सत्यापन करके भेज दें। जिससे किसान धान बेंच सके। डीएम कहते हैं कि सभी केंद्र प्रभारियों को भी बैठक कर निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी कर्मचारी को किसी भी किसान को लौटाया न जाए। अगर कहीं से भी कोई शिकायत आएगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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प्रशान्त पाण्डेय
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