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लखीमपुर खीरी: भादों में भी रूठे बादल, किसान हुए बेहाल - भादों में बादलों ने किसानों को दिया धोखा

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं. जहां सावन में हल्की बारिश हुई थी वहीं भादों में बादलों ने किसानों को धोखा दे दिया है. बादल ऐसे रूठे हैं कि बरसने का नाम नहीं ले रहे, जिसके चलते खरीफ की फसलों में किसानों की लागत दो गुनी हो गई है.

भादों को सूखे बादलों ने छीना किसानों का चैन.
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Published : Sep 14, 2019, 1:18 PM IST

लखीमपुर खीरी: यूपी के तराई इलाके के जिले में इस बार बारिश कम होने से किसान काफी परेशान हैं. सावन में बहुत कम बारिश हुई थी, वहीं भादों पूरा ही सूखा निकला जा रहा है. इस कारण किसानों की लागत दोगुनी से ज्यादा हो गई. वहीं कुछ इलाकों में किसान धान की फसल जोत रहे हैं.

भादों को सूखे बादलों ने छीना किसानों का चैन.

बनवारी पुर गांव के पटवारी लाल ने चार बीघा खेत बटाई पर लेकर बोया था. उनका कहना है कि सोचा था बारिश अच्छी हो जाएगी तो फसल भी ठीक हो जाएगी. पटवारी रोज अपने धान के हरे भरे खेतों के ऊपर उमड़ते- घुमड़ते बादलों को देखते हैं पर बादल आकर ऐसे ही चले जाते हैं.

इसे पढ़ें-बाराबंकी: लाइव प्रसारण के जरिये महिला किसानों ने सीखे उन्नत खेती के तरीके

सावन में तो हल्की-फुल्की बारिश हो भी गई थी, लेकिन भादों तो पूरे सूखे निकले जा रहे है. पटवारी जहां जोताई, बोआई, बीज और पानी का हिसाब लगाते हैं वहीं वे उदास हो जाते हैं. बारिश न होने से धान की लागत दोगुनी हो गई. सात पानी लगा चुके तब खेत हरा भरा दिख रहा, लेकिन खेत से मिलेगा क्या ये अभी तक पता नहीं चल पाया है.

तराई के खीरी जिले से इस बार बादल रूठ गए हैं. पटवारी चिंता में कभी धोखेबाज बादलों को देखते हैं, तो कभी अपनी फसल को. वहीं इन दिनों लबालब रहने वाले खेतों में ट्यूबवेल चल रहे हैं.

लखीमपुर खीरी: यूपी के तराई इलाके के जिले में इस बार बारिश कम होने से किसान काफी परेशान हैं. सावन में बहुत कम बारिश हुई थी, वहीं भादों पूरा ही सूखा निकला जा रहा है. इस कारण किसानों की लागत दोगुनी से ज्यादा हो गई. वहीं कुछ इलाकों में किसान धान की फसल जोत रहे हैं.

भादों को सूखे बादलों ने छीना किसानों का चैन.

बनवारी पुर गांव के पटवारी लाल ने चार बीघा खेत बटाई पर लेकर बोया था. उनका कहना है कि सोचा था बारिश अच्छी हो जाएगी तो फसल भी ठीक हो जाएगी. पटवारी रोज अपने धान के हरे भरे खेतों के ऊपर उमड़ते- घुमड़ते बादलों को देखते हैं पर बादल आकर ऐसे ही चले जाते हैं.

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सावन में तो हल्की-फुल्की बारिश हो भी गई थी, लेकिन भादों तो पूरे सूखे निकले जा रहे है. पटवारी जहां जोताई, बोआई, बीज और पानी का हिसाब लगाते हैं वहीं वे उदास हो जाते हैं. बारिश न होने से धान की लागत दोगुनी हो गई. सात पानी लगा चुके तब खेत हरा भरा दिख रहा, लेकिन खेत से मिलेगा क्या ये अभी तक पता नहीं चल पाया है.

तराई के खीरी जिले से इस बार बादल रूठ गए हैं. पटवारी चिंता में कभी धोखेबाज बादलों को देखते हैं, तो कभी अपनी फसल को. वहीं इन दिनों लबालब रहने वाले खेतों में ट्यूबवेल चल रहे हैं.

Intro:लखीमपुर- यूपी के तराई इलाके के लखीमपुर खीरी जिले में इस बार बारिश कम होने से किसान काफी परेशान हैं। सावन में बहुत कम बारिश हुई। भादों तो पूरे ही सूखे निकले जा रहे। इससे किसानों की लागत दोगुनी से ज्यादा हो गई। वहीं कुछ इलाकों में किसान धान की फसल जोत तक दे रहे। देखिए हमारे संवाददाता प्रशान्त पाण्डेय की ये ग्राउंड रिपोर्ट...
बनवारी पुर गाँव के पटवारी लाल ने चार बीघा खेत बटाई पर लेकर बोया था। सोंचा था बारिश अच्छी हो जाएगी तो फसल भी ठीक हो जाएगी। पटवारी रोज अपने धान के हरे भरे खेतों के ऊपर उमड़ते घुमड़ते बादलों को देखते हैं। पर बादल आकर ऐसे ही चले जाते हैं। सावन में तो हल्की फुल्की बारिश हो भी गई थी पर भादों तो पूरे सूखे निकले जा रहे। पटवारी जोताई बोआई,बीज पानी का हिसाब लगाते हैं तो उदास हो जाते हैं। बारिश न होने से धान की लागत दोगुनी हो गई। सात पानी लगा चुके तब खेत हरा भरा दिख रहा। पर खेत से मिलेगा क्या ये अभी तक पता नहीं। चिंता में कभी धोखेबाज बादलों को देखते हैं तो कभी अपनी फसल को। चिंता ये की घर से लागत न लग जाए।


Body:पटवारीलाल कहते है। घर से जोड़ बटोर के उम्मीद में लगा रहे पर भादों के सूखे ने सब उम्मीदें तोड़ दी हैं। अब लग रहा घाटे में चले जाएँगे।

तराई के खीरी जिले से इस बार बादल रूठ गए है। सावन में हल्की बारिश हुई थी वो भी सामान्य से काफी कम। पर भादों में बादलों ने किसानों को धोखा ही दे दिया। बादल ऐसे रूठे हैं कि बरसने का नाम नहीं ले रहे। सावन भादों में खीरी जिले में कहावत है कि गन्ना रोज एक बित्त बढ़ता है। पर इस बार बादल बरस ही नहीं रहे। इन दिनों लबालब रहने वाले खेतों में ट्यूबवेल चल रहे।
बनवारी पुर गाँव के इरफान का भी हाल पटवारी जैसा ही है। धान के खेत मे इंजन चला रहे। कहते हैं खाद,बीज,डीजल सब महंगा हो गया। अब तो लग रहा धानों की लागत निकल आए तो बड़ी बात है।



Conclusion:
बाइट-पटवारी लाल(किसान)
बाइट इरफान किसान(किसान)
पीटीसी-
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प्रशान्त पाण्डेय
9984152598
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