लखीमपुर खीरीः दुधवा टाइगर रिजर्व में हथिनी टेरेसा ने बच्चे को जन्म दिया है. पांच साल बाद दुधवा टाइगर रिजर्व में किसी पालतू हथिनी ने किसी बच्चे को जन्म दिया है. पार्क प्रसाशन ने 'टेरसा' के बच्चे का नाम सुझाने की लोगों से अपील की है. एक पैनल नामों को सेलेक्ट करेगा फिर सेलेक्ट हुए नाम भेजने वाले को आकर्षक पुरस्कार भी दिया जाएगा. फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है कि हम बच्चे का पूरा ख्याल रख रहे हैं. जच्चा और बच्चा की देखभाल दुधवा की वेटरनरी टीम कर रही है. उनके खाने-पीने से लेकर उनके स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
साउथ सोनारीपुर कैंपस में दिया बच्चे को जन्म
दुधवा टाइगर रिजर्व के साउथ सोनारीपुर में पालतू हाथियों का कुनबा रहता है. जो गैंडा पुनर्वासन केंद्र की रखवाली भी करता है और पार्क की सुरक्षा में फील्ड स्टाफ के साथ गश्त का भी काम करता है. साउथ सोनारीपुर कैंपस में ही मादा हथिनी टेरेसा ने तीन फरवरी को सुबह 3ः19 बजे मादा बच्चे को जन्म दिया है.
नामकरण के लिए चलाया कैंपेन
दुधवा टाइगर रिजर्व में जन्मे मादा हाथी के बच्चे के नाम रखने को लेकर पर दुधवा पार्क प्रशासन ने एक कैंपेन चलाया है. दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि टेरेसा के बच्चे का नाम लोगों से सुझाव के तौर पर मांगा गया है. लोग अपनी एंट्री डिप्टी डायरेक्टर के व्हाट्सएप नंबर 7839435186 पर भेज सकते हैं. इसके अलावा Dudhwanp.palia@gmail.com पर भी नाम की एंट्री भेजी जा सकती है. संजय पाठक का कहना है कि जिस किसी के नाम का सेलेक्शन होगा उसको एक आकर्षक पुरस्कार भी दिया जाएगा.
जंगली हाथी का 22 महीने पहले 'टेरेसा' पर आया था दिल
दुधवा टाइगर रिजर्व में कर्नाटक से आई हथिनी टेरेसा पर 22 महीने पहले नेपाल और दुधवा के कॉरिडोर में घूमने वाले घुमंतू दल का एक हाथी फिदा हो गया था. ये जंगली हाथी 'टेरेसा' का इतना दीवाना हो गया था कि सोनारीपुर कैंपस में टेरेसा से मिलने उसके बाड़े तक रात के अंधेरे में पहुंच जाता था. टेरेसा और जंगली हाथी की ये प्रेमकथा कई महीनों तक चली. एक दो बार तो टेरेसा ने जंजीरे तक तोड़कर जंगल में मिलने चली गई. करीब 22 महीनों पहले हुए इस प्रणय का फल टेरेसा को अब मिला है.
अप्रैल 2017 में कर्नाटक से आए थे 10 हाथी
टेरेसा, डायना समेत दस हाथी दुधवा टाइगर रिजर्व में अप्रैल 2017 में आए थे. दुधवा पार्क में तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर रहे और वर्तमान में वाराणसी के डीएफओ महावीर कौजलगी बताते हैं कि कर्नाटक से हम लोग ट्रकों से लगातार चलते हुए तीन दिन की जर्नी करके दुधवा टाइगर रिजर्व पहुंचे थे. टेरेसा के उस वक्त ढाई साल का बच्चा तुंगा साथ था. टेरेसा, तुंगा, डायना, कावेरी नकुल, भास्कर अमृता को कर्नाटका के शिवमोगा, बांदीपुर नेशनल पार्क और नागरहोले टाइगर रिजर्व से लाए गए थे.
दुर्गा और विनायक पहले से ही हैं आकर्षण का केंद्र
दुधवा टाइगर रिजर्व में हाथी के नन्हे बच्चे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं. इसके पहले बिजनौर से आई दुर्गा नाम की छोटे से मादा बच्चे को पर्यटक खूब पसंद करते हैं. विनायक नाम के मेल बच्चे को भी पर्यटक सेल्फी खींचने के लिए खूब प्रयोग करते हैं.