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लखीमपुर: डीएम ने शुरू की भूगर्भ जल बचाने की अनोखी पहल

यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के डीएम ने भूगर्भ जल बचाने को एक अनोखी पहल शुरू की है. डीएम शैलेन्द्र ने पांच लाख से ज्यादा छात्रों को जल के महत्व को बताया. उन्होंने कहा कि स्कूल हमारे समाज की नींव होते हैं. इसलिए स्कूलों से ही जल बचाओ मुहिम की शुरूआत की गई है.

पांच लाख से ज्यादा छात्रों को बताया जाएगा जल का महत्व.
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Published : Aug 1, 2019, 7:51 PM IST

लखीमपुर: हिंदुस्तान में हर व्यक्ति को दो हजार घनमीटर पानी की उपलब्धता है, लेकिन आने वाले 20-25 सालों में यह तादाद घटकर 1500 घन मीटर रह जाएगी. आने वाले समय में दैनिक उपयोग के लिए लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा. खेतों की सिंचाई के लिए भी पानी की कमी हो जाएगी. इन सभी समस्याओं को देखते हुए डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह, सीडीओ रवि रंजन और बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने मिलकर भूगर्भ जल को बचाने की अनोखी योजना बनाई.

पांच लाख से ज्यादा छात्रों को बताया जाएगा जल का महत्व.

शहर और गांव में हो रहा अंधाधुंध पानी का दोहन-

  • खीरी जिले के तराई इलाके में हर साल 20 सेंटीमीटर से ज्यादा वाटर लेबल नीचे जा रहा है.
  • इस समस्या के चलते डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह ने भूजल बचाने की पहल की है.
  • जिले के 3856 स्कूलों में पांच लाख से ज्यादा छात्रों को पानी का महत्व बताया जाएगा.
  • जिले के 3856 स्कूलों में रेनवाटर हार्वेस्ट करने के तरीके भी.
  • खीरी जिले के 3865 स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जाएगा.
  • अभियान के तहत एक सोक पिट बनाया जाएगा जिसमें पाइप के माध्यम से स्कूल का पानी भूगर्भ में जाएगा.

हमें समय रहते सचेत होना पड़ेगा. तराई में भी वाटर लेबल तेजी से नीचे जा रहा है. ये सिस्टम पानी बचाने में सहायता करेगा.
शैलेन्द्र कुमार सिंह, डीएम

हम बाल संसद की तरह स्कूलों में 'जलसंसद' बनाएंगे. बच्चों को पानी का महत्व बताएंगे. उनके जरिए अभिभावकों को भी यह समझाएंगे कि पानी का उपयोग जितनी जरूरत हो उतना ही करें.
बुद्धप्रिय सिंह, बीएसए

लखीमपुर: हिंदुस्तान में हर व्यक्ति को दो हजार घनमीटर पानी की उपलब्धता है, लेकिन आने वाले 20-25 सालों में यह तादाद घटकर 1500 घन मीटर रह जाएगी. आने वाले समय में दैनिक उपयोग के लिए लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा. खेतों की सिंचाई के लिए भी पानी की कमी हो जाएगी. इन सभी समस्याओं को देखते हुए डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह, सीडीओ रवि रंजन और बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने मिलकर भूगर्भ जल को बचाने की अनोखी योजना बनाई.

पांच लाख से ज्यादा छात्रों को बताया जाएगा जल का महत्व.

शहर और गांव में हो रहा अंधाधुंध पानी का दोहन-

  • खीरी जिले के तराई इलाके में हर साल 20 सेंटीमीटर से ज्यादा वाटर लेबल नीचे जा रहा है.
  • इस समस्या के चलते डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह ने भूजल बचाने की पहल की है.
  • जिले के 3856 स्कूलों में पांच लाख से ज्यादा छात्रों को पानी का महत्व बताया जाएगा.
  • जिले के 3856 स्कूलों में रेनवाटर हार्वेस्ट करने के तरीके भी.
  • खीरी जिले के 3865 स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जाएगा.
  • अभियान के तहत एक सोक पिट बनाया जाएगा जिसमें पाइप के माध्यम से स्कूल का पानी भूगर्भ में जाएगा.

हमें समय रहते सचेत होना पड़ेगा. तराई में भी वाटर लेबल तेजी से नीचे जा रहा है. ये सिस्टम पानी बचाने में सहायता करेगा.
शैलेन्द्र कुमार सिंह, डीएम

हम बाल संसद की तरह स्कूलों में 'जलसंसद' बनाएंगे. बच्चों को पानी का महत्व बताएंगे. उनके जरिए अभिभावकों को भी यह समझाएंगे कि पानी का उपयोग जितनी जरूरत हो उतना ही करें.
बुद्धप्रिय सिंह, बीएसए

Intro:लखीमपुर- यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के डीएम ने भूगर्भ जल बचाने को एक अनोखी पहल शुरू की है। डीएम ने यह मुहिम सरकारी प्राइमरी स्कूलों से शुरू की है सरकारी स्कूलों में भरने वाले पानी और नल से निकलने वाला पानी अब बर्बाद नहीं होगा। स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनेगा। सोकपिट से भी नल का पानी जमीन में ही अंदर जाएगा। डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह कहते हैं,स्कूल हमारे समाज की नींव होते हैं इसलिए स्कूलों से ही जल बचाओ मुहिम शुरू की गई है। सरकारी स्कूलों में पानी भरने की तस्वीरें आम होती हैं आए दिन बच्चे पानी से गुजरते दिखते हैं। पर अब न स्कूलों में भरने वाला पानी नालियों में बहेगा न नल का एक्स्ट्रा पानी।


Body:खीरी के डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह,सीडीओ रवि रंजन और बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने मिलकर भूगर्भ जल को बचाने की अनोखी योजना बनाई है। खीरी जिले में 3865 स्कूलों में रेन वारे हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जाएगा। एक सोक पिट बनेगा और एक पाइप से स्कूल का पानी भूगर्भ में जाएगा। डीएम कहते हैं हमें समय रहते सचेत होना पड़ेगा। तराई में भी वाटर लेबल तेजी से नीचे जा रहा। ये सिस्टम पानी बचाने में सहायक होगा। हिंदुस्तान में हर व्यक्ति को दो हजार घनमीटर पानी की उपलब्धता है। पर आने वाली 20-25 सालों में यह तादाद घटकर 1500 घन मीटर रह जाएगी। इसका मतलब होगा कि दैनिक उपयोग के लिए भी आपको पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा। खेतों की सिंचाई के लिए भी जरूरी पानी की कमी हो जाएगी। तराई के खीरी जिले में भी हर साल 20 सेंटीमीटर से ज्यादा वाटर लेबल नीचे जा रहा है। शहर हो या गांव अंधाधुंध पानी का दोहन हो रहा है। अब डीएम ने भूजल बचाने की पहल की है। जिले के 3856 स्कूलों में पाँच लाख से ज्यादा छात्र छात्राएं पढ़ती हैं। इन्हें पानी का महत्व बताया जाएगा और रेनवाटर हार्वेस्ट करने के तरीके भी।


Conclusion:खीरी के बीएसए बुद्धप्रिय सिंह कहते हैं कि हम बाल संसद की तरह स्कूलों में 'जलसंसद' बनाएंगे। बच्चों को पानी का महत्व बताएंगे। उनके जरिए अभिभावकों को भी यह समझाएंगे कि पानी का उपयोग जितनी जरूरत हो उतना ही करें। बारिश के पानी को बचाने की मुहिम भी शुरू करें। क्योंकि जल ही जीवन है और जल का कोई दूसरा विकल्प नहीं। बीएसए कहते हैं कि पानी बचाने को स्कूलों में पेंटिंग प्रतियोगिता,वाद-विवाद प्रतियोगिता, और नाटक कराकर बच्चों में पानी के महत्व को समझाया जाएगा। खीरी के डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह की भूगर्भ जल बचाने की ये पहल आशमा में तबीयत से उछाले उस पत्थर की तरह है। जो आशमा में सुराख करने को उछाला गया हो। ईटीवी भारत के लिए प्रशान्त पाण्डेय की रिपोर्ट.. बाइट-शैलेन्द्र कुमार सिंह(डीएम खीरी) बाइट-2बुद्धप्रिय सिंह(बीएसए,खीरी)
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