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लखीमपुर खीरी: कटान में तबाह हो गए गांव, 4 साल से सड़क पर है आशियाना

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले चार सालों से घाघरा और शारदा नदियों के कटान से पीड़ित लोग सड़कों पर जीवन यापन कर रहे हैं. जिला प्रशासन का कहना है कि कुछ को आवास मिल गया है कुछ को अभी देना बाकी है. ईटीवी भारत ने विस्थापन का दर्द झेल रहे लोगों से बात की तो लोगों ने कहा कि सरकार केवल आश्वासन दे रही हैं, मकान नहीं.

लखीमपुर खीरी में विस्थापन का दर्द झेल रहे लोगों की कहानी.
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Published : Sep 28, 2019, 9:10 PM IST

लखीमपुर खीरीः यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में चार सालों से कटान पीड़ित सड़कों के किनारे रह रहे हैं. सरकार आज तक उनके विस्थापन की व्यवस्था नहीं कर पाई. ईटीवी भारत ने इन गरीबों का दर्द जाना. वहीं जब डीएम से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कटान पीड़ितों को मुख्यमंत्री आवास जल्द दिए जाएंगे.

लखीमपुर खीरी में विस्थापन का दर्द झेल रहे लोगों की कहानी.

चार साल और कई कहानियां
विस्थापन का दर्द झेल रही अल्लो का घर चार साल पहले आई बाढ़ में शारदा नदी में समा गया था. अल्लो तब से बेलरायां पनवाड़ी राजमार्ग के किनारे एक झोपड़ी में गुजर बसर कर रही हैं. खाने को भरपूर राशन नहीं है. किसी तरह दाल रोटी पर अपना गुजारा कर रही हैं. उनका कहना है कि चार साल हो गए सड़क पर रहते हुए. सरकार हर साल आश्वासन दे रही है कि रहने के लिए जगह मिल जाएगी. बस इसी आस में जिंदगी का एक-एक दिन कट रहा है.

असुरक्षा का डर
शैफुन्नीशा का दर्द भी अल्लो जैसा ही है. सर्वा गांव में पक्का मकान था पर शारदा नदी की बाढ़ और तेज लहरों ने चार साल पहले उनके मकान को अपने आगोश में ले लिया. उनका कहना है कि वह सड़क के किनारे छोटे-छोटे बच्चों को लिए पड़ी हैं. अब यहीं घर है यही दुआर है. बस हर वक्त यही डर सताता रहता है कि कोई आकर सड़क किनारे से भी न उजाड़ दे.

ये गांव आए हैं कटान की जद में
पलिया, गोला, लखीमपुर और धौरहरा तहसील के कोई न कोई गांव हर साल नदी कटान का दंश झेलते हैं. बेलरायां पनवारी राजमार्ग पर चार साल पहले कटान का दंश झेल रहीं उषा भार्गव अपनी जिंदगी की गाड़ी एक छोटी सी गुमटी से चला रही हैं. कहती हैं कि क्या करें, सड़क पर आ गए. अब बस आस ही है. न घर है न दुआर है.

पिछले चार सालों में घाघरा और शारदा ने लील लिए हैं इतने घर

2016- 17 में क्षतिग्रस्त हुए मकान
पक्के मकान 758
कच्चे मकान 2432
झोपड़ी 1653
पशुशाला 211
2017-18 में क्षतिग्रस्त हुए मकान
पक्के मकान 90
कच्चे मकान 1531
झोपड़ी 1414
पशुशाला 173
2018-19 में क्षतिग्रस्त हुए मकान
पक्के मकान 65
कच्चे मकान 1715
झोपड़ी 921
पशुशाला 112
2019-20 में क्षतिग्रस्त हुए मकान ( 31 अगस्त तक )
झोपड़ी 1104
कच्चे मकान 25

समस्या बड़ी है. चार साल हो गए सड़क किनारे पड़े. कुछ को जगह मिल गई थी, कुछ को नहीं मिल पाई. इनके बच्चों को, जानवरों को और सड़क पर गुजरने वालों को भी इन कटान पीड़ितों से खतरा बना रहता है. एक्सीडेंट हो जाते हैं.
-अभय यादव, ग्राम प्रधान, गुम फूलबेहड़ गांव

यूपी के सीएम बाढ़ पीड़ितों के लिए संवेदनशील हैं. सबकी जिओ टैगिंग कराई जा चुकी है. कुछ को मुख्यमंत्री आवास दिए जा चुके हैं और कुछ रह गए हैं. उन्हें भी जल्द आवास उपलब्ध कराएंगे जाएंगे.
-शैलेन्द्र कुमार सिंह,डीएम

लखीमपुर खीरीः यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में चार सालों से कटान पीड़ित सड़कों के किनारे रह रहे हैं. सरकार आज तक उनके विस्थापन की व्यवस्था नहीं कर पाई. ईटीवी भारत ने इन गरीबों का दर्द जाना. वहीं जब डीएम से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कटान पीड़ितों को मुख्यमंत्री आवास जल्द दिए जाएंगे.

लखीमपुर खीरी में विस्थापन का दर्द झेल रहे लोगों की कहानी.

चार साल और कई कहानियां
विस्थापन का दर्द झेल रही अल्लो का घर चार साल पहले आई बाढ़ में शारदा नदी में समा गया था. अल्लो तब से बेलरायां पनवाड़ी राजमार्ग के किनारे एक झोपड़ी में गुजर बसर कर रही हैं. खाने को भरपूर राशन नहीं है. किसी तरह दाल रोटी पर अपना गुजारा कर रही हैं. उनका कहना है कि चार साल हो गए सड़क पर रहते हुए. सरकार हर साल आश्वासन दे रही है कि रहने के लिए जगह मिल जाएगी. बस इसी आस में जिंदगी का एक-एक दिन कट रहा है.

असुरक्षा का डर
शैफुन्नीशा का दर्द भी अल्लो जैसा ही है. सर्वा गांव में पक्का मकान था पर शारदा नदी की बाढ़ और तेज लहरों ने चार साल पहले उनके मकान को अपने आगोश में ले लिया. उनका कहना है कि वह सड़क के किनारे छोटे-छोटे बच्चों को लिए पड़ी हैं. अब यहीं घर है यही दुआर है. बस हर वक्त यही डर सताता रहता है कि कोई आकर सड़क किनारे से भी न उजाड़ दे.

ये गांव आए हैं कटान की जद में
पलिया, गोला, लखीमपुर और धौरहरा तहसील के कोई न कोई गांव हर साल नदी कटान का दंश झेलते हैं. बेलरायां पनवारी राजमार्ग पर चार साल पहले कटान का दंश झेल रहीं उषा भार्गव अपनी जिंदगी की गाड़ी एक छोटी सी गुमटी से चला रही हैं. कहती हैं कि क्या करें, सड़क पर आ गए. अब बस आस ही है. न घर है न दुआर है.

पिछले चार सालों में घाघरा और शारदा ने लील लिए हैं इतने घर

2016- 17 में क्षतिग्रस्त हुए मकान
पक्के मकान 758
कच्चे मकान 2432
झोपड़ी 1653
पशुशाला 211
2017-18 में क्षतिग्रस्त हुए मकान
पक्के मकान 90
कच्चे मकान 1531
झोपड़ी 1414
पशुशाला 173
2018-19 में क्षतिग्रस्त हुए मकान
पक्के मकान 65
कच्चे मकान 1715
झोपड़ी 921
पशुशाला 112
2019-20 में क्षतिग्रस्त हुए मकान ( 31 अगस्त तक )
झोपड़ी 1104
कच्चे मकान 25

समस्या बड़ी है. चार साल हो गए सड़क किनारे पड़े. कुछ को जगह मिल गई थी, कुछ को नहीं मिल पाई. इनके बच्चों को, जानवरों को और सड़क पर गुजरने वालों को भी इन कटान पीड़ितों से खतरा बना रहता है. एक्सीडेंट हो जाते हैं.
-अभय यादव, ग्राम प्रधान, गुम फूलबेहड़ गांव

यूपी के सीएम बाढ़ पीड़ितों के लिए संवेदनशील हैं. सबकी जिओ टैगिंग कराई जा चुकी है. कुछ को मुख्यमंत्री आवास दिए जा चुके हैं और कुछ रह गए हैं. उन्हें भी जल्द आवास उपलब्ध कराएंगे जाएंगे.
-शैलेन्द्र कुमार सिंह,डीएम

Intro:उमेश सर के ध्यानार्थ लखीमपुर-कटान वाली स्टोरी के लिए विजुअल कटान पीड़ित सड़क पर पड़े हुए। मंत्री स्वाति सिंह ने कुछ दिनों पहले लिया था जायजा


Body:लखीमपुर खीरी


Conclusion:प्रशान्त पाण्डेय 9984152598
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