लखीमपुर खीरी : कमीशन का धंधा मरीजों की जेब की सेहत बिगाड़ रहा है. यह कमीशन सीधे 'धरती के भगवान' की जेब में जाता है. कमाई के लिए जरूरत से अधिक जांचें कराने का भी खेल होता है. आलम यह कि बड़े-बड़े अस्पतालों में जांच की सुविधा होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों के आस-पास बने डायग्नोस्टिक सेंटर्स की मौजूदगी कमीशन के इस खेल की ओर इशारा करते हैं.
यूपी के सरकारी अस्पतालों का हाल देखना हो तो आप लखीमपुर खीरी चलिए. यहां सरकारी डॉक्टरों ने सांसद के कर्मचारी से ही 4,500 रुपये वसूल लिए.
सन्तोष मिश्रा, खीरी के सांसद के भाई की राईस मिल में चौकीदारी कर अपना पेट पालते हैं. बीबी को पेट मे दर्द हुआ तो अस्पताल आये. जांच हुई तो पता चला कि पथरी है. सरकारी अस्पताल में पथरी के ऑपरेशन की फीस चार सौ रुपए है.
संतोष का आरोप है कि अस्पताल में सर्जन डॉक्टर राजकुमार कोहली के अटेंडेंट सन्तोष ने उनसे आपरेशन के लिये 4500 रुपये मांगे. संतोष को बेड के लिए 200, खून की जांच के लिए 100, और दवाई के लिए भी 200 रूपये देने ही पड़ गए. पर इतना लेने के बाद भी अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ का पेट नहीं भरा. दर्द होने पर इंजेक्शन लगाने पर हर बार 10-20 अलग से देंते रहे.
जब ये पूरी बात सांसद के भतीजों और भाजपा के नगर अध्यक्ष को पता चली तो जिला अस्पताल के जनरल वार्ड में चल रहे वसूली के खेल का शोर बाहर निकल पड़ा.
शोर ऐसा हुआ कि अस्पताल में मरीज के तीमारदारों के साथ सांसद के भतीजे पहुंच गए. उन्होंने कहा सरकारी तनख्वाह से पेट नहीं भर रहा क्या और सबको जमकर खरी खोटी सुनाई. सरकार गरीबों के लिए इतना कुछ कर रही है पर आप लोग सरकार की बदनामी करा रहे है.
प्रभारी सीएमएस से जब इस वसूली के बारे में पूछा गया तो संतोष मिश्रा का जवाब था कि अभी हमारे पास कोई लिखित जानकारी नहीं आई है अगर ऐसा हुआ है तो हम कार्रवाई करेंगे.